फ्रांस के पर्यटक पहुंचे झारखंड, चोगा के छऊ कलाकारों ने जीता विदेशी दिल
झारखंड के चोगा गांव में फ्रांस से आए पर्यटकों ने नटराज कला केंद्र में मानभूम छऊ नृत्य देखा। कलाकारों की प्रस्तुति ने विदेशी मेहमानों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने इस नृत्य को भारत की आत्मा का उत्सव बताया और इसे फ्रांस में भी प्रदर्शित करने की इच्छा जताई। पर्यटकों ने छऊ नृत्य की उत्पत्ति और महत्व को भी समझा।

ईचागढ़ के चोगा गांव पहुंचे फ्रांस के पर्यटक।
संवाद सहयोगी, ईचागढ़। झारखंड का छोटा-सा गांव चोगा गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय रंगों में रंग गया। फ्रांस से आए पांच पर्यटक जब यहां के नटराज कला केंद्र पहुंचे, तो उन्हें न जाने क्या पता था कि वे भारत की आत्मा को नृत्य की लय में महसूस करने जा रहे हैं। ढोल, नगाड़े और शहनाई की गूंज के बीच जब कलाकारों ने मानभूम छऊ नृत्य की प्रस्तुति शुरू की तो विदेशी मेहमान जैसे थम गए। हर भाव, हर ताल, हर भंगिमा मानो उनके भीतर उतर गई हो। नटराज कला केंद्र, चोगा के कलाकारों ने जब अपनी प्रस्तुति समाप्त की तो पूरा माहौल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। एक पर्यटक ने मुस्कुराते हुए कहा कि यह सिर्फ नृत्य नहीं, यह तो भारत की आत्मा का उत्सव है। हम इसे फ्रांस में भी दिखाना चाहते हैं।
छऊ की लय पर थिरके विदेशी दिल :
फ्रांस से आए जोजेत, अवनी, क्रिस्टीन, जेराद और दोमीनीक की आंखें उस समय चमक उठीं जब मंच पर “मां दुर्गा द्वारा महिषासुर वध” का दृश्य साकार हुआ।
छऊ कलाकारों की तेज़ मुद्राएं, रंगीन परिधान और विशाल मुखौटे देखकर उन्होंने ताली बजाकर खूब सराहना की। केंद्र के सचिव प्रभात कुमार महतो ने विदेशी मेहमानों को छऊ नृत्य की उत्पत्ति, इसके धार्मिक और सामाजिक महत्व के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि कैसे मिट्टी, पेपर मेशे और रंगों से बने मुखौटे छऊ की पहचान हैं। पर्यटकों ने खुद मुखौटों को हाथ में लेकर उनके डिजाइन और सामग्री को बारीकी से देखा। छऊ के ढोल और नगाड़े की गूंज, शहनाई की मधुरता और कलाकारों के भावमय चेहरे, सबने विदेशी मेहमानों को मोहित कर दिया। उन्होंने कहा कि यह कला इतनी जीवंत है कि भाषा की दीवारें भी बेमानी लगती हैं।
गांव में गूंजे ढोल-नगाड़े, माहौल बना उत्सव जैसा : स्थानीय ग्रामीणों के लिए यह दिन यादगार बन गया। गांव के बच्चे विदेशी मेहमानों के साथ फोटो खिंचवाने को उत्साहित थे। छऊ कलाकारों के लिए यह सम्मान का क्षण था, जब उनकी कला ने सीमाएं पार की और विदेशी दिलों को जीत लिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारी लोककला को अब फ्रांस जैसे देश में मंच मिलेगा। यही हमारी असली पहचान है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।