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    जमशेदपुर में बिजली प्लांट के नाम पर 244 करोड़ का गबन, कोहिनूर के निदेशक फरार; CBI ने कसा शिकंजा

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 12:10 AM (IST)

    सरायकेला-खरसावां में बिजली प्लांट के नाम पर कोहिनूर पावर लिमिटेड ने 244 करोड़ का बैंक लोन घोटाला किया। कंपनी ने बैंकों से कर्ज लेकर प्लांट लगाने के बजाय दूसरी जगह निवेश किया। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने कंपनी के निदेशकों और बैंक अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। जांच में पता चला कि प्लांट के लिए कोई निर्माण नहीं हुआ। कंपनी के निदेशक फरार हैं।

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    जमशेदपुर में बिजली प्लांट के नाम पर 244 करोड़ का गबन। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। सरायकेला-खरसावां जिले में बिजली प्लांट लगाने की आड़ में हुए 244 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले का सनसनीखेज खुलासा हुआ है।

    कोहिनूर पावर लिमिटेड के निदेशकों ने बैंकों के एक समूह से यह भारी कर्ज लिया था, लेकिन प्लांट लगाने के बजाय पूरी रकम दूसरी जगह खपा दी। कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब सीबीआई ने कंपनी के चार निदेशकों और बैंक अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी एवं भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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    कैसे हुआ यह घोटाला?

    यह पूरा मामला सरायकेला-खरसावां जिले के चौका थाना क्षेत्र स्थित बनसा के कुचिडीह का है। कोहिनूर पावर लिमिटेड कंपनी के निदेशकों ने पांच बैंकों के एक संघ (कंसोर्टियम) से संपर्क किया।

    उन्होंने बैंकों को यह प्रोजेक्ट रिपोर्ट दिखाई कि वे कांड्रा में कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट लगाकर बिजली का उत्पादन करेंगे। इस प्रोजेक्ट के नाम पर बैंकों ने करीब 244 करोड़ रुपये का भारी-भरकम ऋण स्वीकृत कर दिया।

    पैसा किया डायवर्ट, प्लांट खुला ही नहीं

    कंपनी के निदेशकों ने कर्ज की यह भारी-भरकम राशि मिलने के बाद इसे पावर प्लांट में लगाने के बजाय कथित तौर पर दूसरी जगहों पर निवेश कर दिया और फर्जीवाड़ा करके रकम निकाल ली। जब कंपनी ने कर्ज की किश्तें चुकानी बंद कर दीं, तो बैंक खाता एनपीए हो गया।

    बैंकों ने जब अपने स्तर पर खोजबीन शुरू की, तो उनके होश उड़ गए। जांच में पता चला कि जिस जमीन पर थर्मल पावर प्लांट खुलना था, वहां कोई निर्माण हुआ ही नहीं और प्रोजेक्ट सिर्फ कागजों तक सीमित रहा।

    हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई का शिकंजा

    बैंकों के समूह को जब अपने साथ हुई इस बड़ी धोखाधड़ी का अहसास हुआ, तो उन्होंने कोलकाता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने जांच का जिम्मा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को सौंप दिया।

    सीबीआइ ने इस मामले में कोहिनूर पावर लिमिटेड कंपनी को पहला आरोपी बनाया है। इसके अलावा, कंपनी के निदेशक विवेक दुग्गर, विजय बोथरा, और प्रशांत बोथरा समेत एक अज्ञात बैंक अधिकारी को भी आरोपी बनाया गया है।

    जांच एजेंसी को शक है कि बिना वरिष्ठ बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं है, इसलिए कई और अधिकारी भी जांच के रडार पर हैं।

    निदेशक फरार, बंद कंपनी से बिक रहा कबाड़

    सूत्रों के अनुसार, कोहिनूर स्टील और पावर प्लांट पहले चल रहा था। बताया जाता है कि पांच साल पहले, मुख्य निदेशकों ने इसे कोलकाता के सोनू नामक एक व्यवसायी को लीज पर दे दिया था।

    हाल ही में तीन महीने पहले जब यह लीज एग्रीमेंट खत्म हुआ, तो कंपनी पूरी तरह बंद हो गई। सीबीआई जांच शुरू होते ही सभी आरोपी निदेशक फरार बताए जा रहे हैं। चिंता की बात यह है कि बंद पड़ी कंपनी के परिसर से फिलहाल धड़ल्ले से पुराने सामान और कबाड़ बेचे जा रहे हैं।

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