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    Jharkhand-Odisha को जोड़ने वाली 60 किमी नई रेल लाइन को मिली मंजूरी, चाकुलिया के 13 गांवों की भूमि आएगी रेलवे परियोजना के दायरे में

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 10:05 PM (IST)

    झारखंड और ओडिशा को जोड़ने वाली 60 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन परियोजना को स्वीकृति मिल गई है। चाकुलिया के 13 गांव इस परियोजना के अंतर्गत आएंगे, जिससे भूमि अधिग्रहण किया जाएगा। यह रेल लाइन दोनों राज्यों के बीच संपर्क को सुधारेगी और क्षेत्रीय विकास को गति देगी। इससे व्यापार और वाणिज्य को भी बढ़ावा मिलेगा।

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    फाइल फोटो।

    जासं, जमशेदपु । कोल्हान और पड़ोसी राज्य ओडिशा के लाखों निवासियों के लिए दशकों पुराना सपना अब हकीकत की पटरी पर दौड़ने को तैयार है। केंद्र सरकार के रेल मंत्रालय ने बहुप्रतीक्षित बुरामारा-चाकुलिया नई रेल लाइन परियोजना के निर्माण के लिए पूर्वी सिंहभूम जिले में भूमि अधिग्रहण की आधिकारिक अधिसूचना (गजट) जारी कर दी है।

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    इस महत्वपूर्ण प्रशासनिक कदम के साथ ही बहरागोड़ा और घाटशिला क्षेत्र के रेल मानचित्र पर आने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। रेल लाइन के लिए बहरागोड़ा अंचल के करीब 13 गांवों (मौजा) की जमीन का विस्तृत ब्योरा सार्वजनिक किया गया है। 

    अधिसूचना में हर प्लाट और जमीन की किस्म का ब्योरा

    दक्षिण पूर्व रेलवे (निर्माण संगठन) की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, 59.96 किलोमीटर लंबी इस विशेष रेल परियोजना के लिए निजी जमीन की आवश्यकता है। अधिग्रहण के दायरे में आने वाली जमीनों की प्रकृति अलग-अलग है। इसमें ''दोन'' (खेतिहर निचली भूमि) और ''गोड़ा'' (ऊपरी टांड़ भूमि) दोनों तरह की जमीनें शामिल हैं।

    गजट में ''दोन 1'', ''दोन 2'', ''दोन 3'' तथा ''गोड़ा 1'', ''गोड़ा 2'', ''गोड़ा 3'' श्रेणी की जमीनों के अलावा, कई मौजा में ''पोखर'' (तालाब), ''नाला'', ''मोटी आड़'' और ''पुरानी परती'' जैसी भूमियों का भी उल्लेख है।

    बहरागोड़ा को मिलेगी पहली रेल कनेक्टिविटी

    बुरामारा-चाकुलिया रेलखंड का सामरिक और आर्थिक महत्व काफी अधिक है। करीब 60 किलोमीटर लंबी यह लाइन झारखंड के चाकुलिया को ओडिशा के मयूरभंज जिले स्थित बुरामारा से जोड़ेगी।

    वर्तमान में चाकुलिया हावड़ा-मुंबई मुख्य मार्ग पर है। इस मिसिंग लिंक के जुड़ने से चाकुलिया से बारीपदा और बालेश्वर की दूरी काफी घट जाएगी।

    सबसे बड़ी बात यह है कि बहरागोड़ा, जो अब तक केवल सड़क मार्ग पर निर्भर था, उसे सीधी रेल कनेक्टिविटी मिलेगी। 1639 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना से क्षेत्र में कृषि, व्यापार और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

    भू-मालिकों के पास आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार

    सरकार ने प्रभावित रैयतों को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया है। 30 दिनों के भीतर कोई भी जमीन मालिक, जिसकी जमीन इस अधिसूचना में शामिल है, वह लिखित रूप में अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है।

    यह आपत्ति सक्षम प्राधिकारी, यानी पूर्वी सिंहभूम के जिला भूमि अधिग्रहण अधिकारी या दक्षिण पूर्व रेलवे (निर्माण) के उप मुख्य अभियंता के कार्यालय में जमा की जा सकती है। आपत्ति दर्ज कराने वाले लोगों को व्यक्तिगत रूप से या अपने वकील के माध्यम से सुनवाई का अवसर दिया जाएगा। इसके बाद ही सक्षम प्राधिकारी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे और अधिग्रहण पर अंतिम मुहर लगेगी।


    इन गांवों (मौजा) की जमीन होगी अधिग्रहित

    बोहोड़ा : थाना संख्या 928, अंचल- बहरागोड़ा
    कुमारडुबी : थाना संख्या 948, अंचल- बहरागोड़ा
    गौरंगपुर : थाना संख्या 908, अंचल- बहरागोड़ा
    भुरशानी : थाना संख्या 916, अंचल- बहरागोड़ा
    खैरबनी : थाना संख्या 909, अंचल- बहरागोड़ा
    बोनाबुड़ा : थाना संख्या 867, अंचल- बहरागोड़ा
    जामडिहा : थाना संख्या 882, अंचल- बहरागोड़ा

    वेनागाड़िया
    हिजली : थाना संख्या 949
    जमीरा : थाना संख्या 929
    तोमाबनी : थाना संख्या 900
    पारुलिया : थाना संख्या 883

    क्या है दोन, गोड़ा और आड़? (जमीन की किस्में)

    दोन : यह निचली सतह की उपजाऊ कृषि भूमि होती है, जहां पानी रुकता है। यह धान की खेती के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। इसे 1, 2 और 3 श्रेणी में बांटा गया है (1 सबसे उत्तम)।
    गोड़ा : यह ऊपरी सतह की भूमि या टांड़ जमीन होती है। यहां पानी नहीं रुकता। इसमें मोटे अनाज या सब्जियों की खेती होती है।
    पोखर : जमीन का वह हिस्सा जो तालाब या जलाशय के रूप में दर्ज है। ''पोखर झाड़ी'' का अर्थ है झाड़ियों वाला तालाब।
    मोटी आड़: खेतों के बीच की चौड़ी मेड़ जो सीमा निर्धारण करती है।
    परती: वह जमीन जिस पर वर्तमान में खेती नहीं हो रही है।