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    Tata Steel को बड़ी राहत, 1902 करोड़ की वसूली पर हाईकोर्ट की रोक; जानें क्या है पूरा मामला?

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 11:07 PM (IST)

    ओडिशा उच्च न्यायालय ने टाटा स्टील को बड़ी राहत देते हुए 1902.72 करोड़ रुपये के मांग नोटिस पर रोक लगा दी है। यह मामला सुकिंदा क्रोमाइट ब्लॉक से खनिजों के कम प्रेषण से जुड़ा है। न्यायालय ने अगली सुनवाई 2 सितंबर को तय की है और अधिकारियों को सख्त कदम उठाने से मना किया है।

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    1902 करोड़ की वसूली पर हाईकोर्ट की रोक

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। ओडिशा हाईकोर्ट ने दिग्गज स्टील कंपनी टाटा स्टील को एक बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने राज्य के खनन विभाग द्वारा कंपनी पर लगाए गए 1902.72 करोड़ रुपये के मांग नोटिस के संबंध में किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है।

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    यह मामला टाटा स्टील के सुकिंदा क्रोमाइट ब्लाक से खनिज भेजने में कथित कमी से जुड़ा है। मंगलवार को कंपनी द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, यह आदेश 14 अगस्त को सुनवाई के बाद दिया गया और कंपनी को इसकी प्रति मिल गई है।

    कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए दो सितंबर की तारीख तय की है और तब तक अधिकारियों को टाटा स्टील के खिलाफ कोई भी सख्त कदम उठाने से मना किया है।

    क्या है पूरा मामला?

    यह विवाद तीन जुलाई को जाजपुर के उप खान निदेशक के कार्यालय से जारी एक मांग नोटिस के बाद शुरू हुआ। नोटिस में आरोप लगाया गया कि टाटा स्टील ने अपने खान विकास और उत्पादन समझौते (एमडीपीए) के चौथे वर्ष (जुलाई 2023 से जुलाई 2024) के दौरान सुकिंदा क्रोमाइट ब्लाक से तय मात्रा से कम खनिज का डिस्पैच किया।

    खनन अधिकारियों के अनुसार, यह खनिज रियायत नियम, 2016 के नियम 12-ए का उल्लंघन है। इस नियम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कंपनियां खनिज संसाधनों का भंडारण करने के बजाय उनका सक्रिय रूप से उपयोग करें।

    इसी नियम के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए विभाग, कंपनी द्वारा जमा की गई ''परफॉर्मेंस सिक्योरिटी'' (एक तरह की प्रदर्शन गारंटी राशि) को जब्त करना चाहता था। यह एक तरह की वित्तीय गारंटी होती है, जिसे कंपनी को पट्टे की शर्तों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जमा करना होता है।

    टाटा स्टील ने दी थी चुनौती

    खनन विभाग के इस नोटिस के खिलाफ टाटा स्टील ने आठ अगस्त को ओडिशा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। कंपनी ने अपनी याचिका में इस मांग को अनुचित बताते हुए इसे रद करने की मांग की।

    टाटा स्टील का तर्क है कि इस दावे का कोई उचित आधार नहीं है और वह इसे कानूनी रूप से चुनौती दे रही है। हाईकोर्ट ने अब इस मामले को इसी तरह के अन्य लंबित मामलों के साथ जोड़ दिया है, जिन पर दो सितंबर को एक साथ सुनवाई होगी।

    कंपनी ने स्टाक एक्सचेंज नियामक सेबी के नियमों के तहत इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी सार्वजनिक की है।

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