रेलवे कर्मचारियों के वेतन में 30 प्रतिशत कटौती! NFIR ने रेलवे बोर्ड से की शिकायत, क्या है पूरा मामला?
सिग्नल पासड एट डेंजर (एसपीएडी) के तहत मनोवैज्ञानिक परीक्षण में असफल होने पर रनिंग कर्मचारियों को गैर-रनिंग कार्यों में लगाने पर वेतन में 30% की कटौती हो रही है। एनएफआइआर ने रेलवे बोर्ड से शिकायत की है, इसे रनिंग भत्ता नियमों के विरुद्ध बताया है। चक्रधरपुर मंडल में लगभग 150 कर्मचारी इससे प्रभावित हैं। रेलवे बोर्ड से इस मामले में उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है।

मेडिकल अनफिट रेलवे कर्मचारियों के वेतन में 30 प्रतिशत कटौती
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। सिग्नल पासड एट डेंजर (एसपीएडी) के तहत यदि कोई रनिंग कर्मचारी मनोवैज्ञानिक परीक्षण में असफल हो जाते हैं तो उन्हें गैर रनिंग कार्यों में लगाया जा रहा है, लेकिन उनके वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती कर दी जा रही है।
नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमैंस (एनएफआइआर) ने इस मामले की शिकायत रेलवे बोर्ड से की है और इस पूरी व्यवस्था को रनिंग भत्ता नियमों के विरुद्ध बताया है।
एनएफआइआर के राष्ट्रीय महासचिव डा. एम रघुवईया ने अपने पत्र में कहा है कि कई रनिंग कर्मचारी एसपीएडी मामलों में असफल हो जाते हैं, जिसके बाद उन्हें स्थिर पदों (गैर रनिंग) कार्यों में तैनात किए जा रहे हैं, लेकिन गैर रनिंग पदों पर तैनाती के साथ ही उनके वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती कर दी जा रही है, जो गलत है।
डॉ. एम रघुवईया ने रेलवे बोर्ड द्वारा 11 अगस्त 2025 को जारी किए गए निर्देशों को वापस लेने का आग्रह किया है। इस पर रेलवे बोर्ड ने उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
चक्रधरपुर मंडल में 150 कर्मचारी हैं भुक्तभोगी
एनएफआइआर के राष्ट्रीय सहायक महासचिव एसआर मिश्रा का कहना है कि रनिंग कर्मचारी कड़ी मेहनत करते हुए ट्रेनों का परिचालन करते हैं। वे नियमित रूप से प्रकृति के नियमों के विरुद्ध काम करते हैं।
इसके बावजूद यदि वे एसपीएडी में असफल हो जाते हैं तो उन्हें गैर रनिंग कार्याें में पदस्थापित तो कर दिया जाता है लेकिन साथ ही उनके वेतन में भी कटौती कर दी जाती है, जो पूरी तरह से गलत है, क्योंकि रनिंग कर्मचारी अपने काम के दबाव के कारण ही मनोवैज्ञानिक रूप से असफल होते हैं, इस पर वेतन कटौती न्यायसंगत नहीं हैं।
चक्रधरपुर मंडल में लगभग 150 ऐसे कर्मचारी हैं, जो भुक्तभोगी हैं। उम्मीद है कि उन्हें जल्द ही इसका लाभ मिलेगा।

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