एक अक्टूबर से दो भागों में बंट जाएगी Tata Motors कंपनी, निवेशकों को मिलेंगे बराबर-बराबर शेयर
टाटा मोटर्स 1 अक्टूबर से दो कंपनियों में विभाजित हो जाएगी। एक कंपनी वाणिज्यिक वाहनों पर ध्यान केंद्रित करेगी जिसका केंद्र जमशेदपुर होगा। शेयरधारकों को 11 के अनुपात में शेयर मिलेंगे। विभाजन का उद्देश्य दोनों व्यवसायों को बेहतर विकास का अवसर देना है। यह प्रक्रिया सितंबर 2025 तक पूरी होने की उम्मीद है।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। भारतीय कॉरपोरेट जगत के सबसे बड़े पुनर्गठन में से एक पर अंतिम मुहर लग गई है। टाटा मोटर्स एक अक्टूबर से आधिकारिक तौर पर दो अलग-अलग कंपनियों में बंट जाएगी, जिनकी रणनीति पूरी तरह से भिन्न होगी। एक कंपनी पूरी तरह से कमर्शियल वाहनों (ट्रक-बस) पर ध्यान केंद्रित करेगी, जबकि दूसरी कंपनी पैसेंजर वाहन (कार, इलेक्ट्रिक गाड़ियां और जगुआर लैंड रोवर) कारोबार को आगे बढ़ाएगी।
इस फैसले का सीधा असर कंपनी के लाखों शेयरधारकों और इसके विशाल इकोसिस्टम पर पड़ेगा। विशेष रूप से, टाटा मोटर्स की जन्मस्थली जमशेदपुर के लिए यह एक नए युग की शुरुआत है, क्योंकि शहर का प्लांट अब नई कमर्शियल वाहन कंपनी की रीढ़ बनेगा।
शेयरधारकों को क्या और कैसे मिलेगा?
कंपनी ने बंटवारे की प्रक्रिया को शेयरधारकों के लिए बेहद सरल रखा है। निवेशकों को 1:1 के अनुपात में शेयर आवंटित किए जाएंगे। इसका सीधा मतलब है कि अगर किसी निवेशक के पास टाटा मोटर्स का एक शेयर है, तो बंटवारे के बाद उसे दोनों नई कंपनियों का एक-एक शेयर मिल जाएगा। दोनों ही कंपनियां शेयर बाजार में अलग-अलग सूचीबद्ध होंगी, जिससे निवेशक अपनी पसंद की कंपनी में निवेश कर सकेंगे। कंपनी जल्द ही एक रिकार्ड डेट की घोषणा करेगी, जिसके आधार पर पात्र शेयरधारकों की सूची तैयार की जाएगी।
टाटा मोटर्स की जन्मस्थली है जमशेदपुर
इस ऐतिहासिक बंटवारे का सबसे गहरा नाता जमशेदपुर से है। 1945 में स्थापित टाटा मोटर्स का पहला और सबसे पुराना प्लांट यहीं है, जिसे कंपनी की ''मदर प्लांट'' भी कहा जाता है। दशकों से यह प्लांट देश में कमर्शियल वाहनों के उत्पादन का मुख्य केंद्र रहा है। बंटवारे के बाद, जमशेदपुर प्लांट नई बनने वाली कमर्शियल व्हीकल (सीवी) कंपनी की मुख्य धुरी होगा। इससे प्लांट को अपने क्षेत्र में और अधिक विशेषज्ञता हासिल करने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। वहीं, पैसेंजर वाहनों के प्लांट, जो मुख्य रूप से पुणे, साणंद में स्थित हैं।
क्यों लिया गया यह बड़ा फैसला?
इस बंटवारे का मुख्य उद्देश्य दोनों कारोबारों को अपनी पूरी क्षमता से आगे बढ़ने का मौका देना है। कमर्शियल वाहनों का बाजार अर्थव्यवस्था की गति से जुड़ा होता है, जबकि पैसेंजर वाहनों का बाजार उपभोक्ता की पसंद, नई तकनीक और इनोवेशन पर निर्भर करता है। दोनों को अलग करने से प्रबंधन का फोकस बढ़ेगा, रणनीतियां बेहतर होंगी और निवेशकों के लिए दोनों कारोबारों का सही मूल्य अनलॉक हो सकेगा।
कंपनी ने बताया है कि इस योजना के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में अंतिम सुनवाई पूरी हो चुकी है और आदेश सुरक्षित है। पूरी प्रक्रिया चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (सितंबर 2025) तक पूरी कर ली जाएगी।
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