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    भारतीय शिक्षण मंडल के सह संगठन मंत्री ने कहा, नई शिक्षा नीति धर्म ग्रंथों का समावेश है, यह भगवद गीता है

    By Jagran NewsEdited By: Uttamnath Pathak
    Updated: Thu, 24 Nov 2022 06:00 AM (IST)

    जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी द्वारा एमएनपीएस के सभागार में आयोजित बिरसा मुंडा व्याख्यानमाला में भारतीय शिक्षण मंडल के पदाधिकारियों ने शिरकत की। इस दौरान मंडल के सह संगठन मंत्री शंकरानंद ने कहा कि नई शिक्षा नीति भगवद गीता है।

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    एमएनपीएस के सभागर में बिरसा मुंडा व्याख्यानमाला के दौरान मंचासीन पदाधिकारी, कुलगीत गाती छात्राएं व संगीत शिक्षक।

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित बिरसा मुंडा व्याख्यानमाला की शुरुआत एमएनपीएस के सभागार में बुधवार की शाम को हुई। इस व्याख्यानमाला में भारतीय ज्ञान परंपरा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर भारतीय शिक्षण मंडल के पदाधिकारियों ने अपने विचार व्यक्त किए। विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए भारतीय शिक्षण मंडल के सह संगठन मंत्री बी आर शंकरानंद ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा और स्वाधीनता एक ही सिक्के दो पहलू है। किसी भी नीति को बनाते समय अपने विचार एवं संस्कृति को आधार बनाते हुए बनाना चाहिए। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। अब हमारे देश में ऐसा हो रहा है। अब भारत बदल रहा है। नई शिक्षा नीति इसका परिचायक है। नई शिक्षा नीति में सारे धर्म ग्रंथों का समावेश है, यह भगवद गीता है। भारत को भारत के रूप में रखने के लिए बौद्धिक योगदान की आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति में हम अपने भारत को देखने जा रहे हैं। उन्हाेंने कहा कि किसी भी नीति को बनाने के लिए चार तत्वों की आवश्यकता होती है। एक सभी में ईश्वर है। दूसरा सर्वे भवंतु सुखिना, तीसरा प्रसाद की तरह संसाधन का उपयोग तथा चौथा मन, वचन और कर्म। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भगवद गीता है यह शिक्षक से हटकर छात्र तक पहुंचा है। इस व्याख्यानमाला की अध्यक्षता वीमेंस यूनिवर्सिटी कुलपति प्रो. डा. अंजिला गुप्ता ने की। अतिथियों का परिचय कुलानुशासक डा. अविनाश कुमार सिंह ने किया।

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    अब तक तय नहीं हो पाया देश का नाम

    भारतीय शिक्षण मंडल के सह संगठन मंत्री बी आर शंकरानंद ने कहा कि हम वर्तमान में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, वह भी स्वाधीनता का स्वतंत्रता का नहीं। आजादी के 75 साल बाद हमारे देश का एक नाम अब तक नहीं हुआ है, लोग इंडिया व भारत कहकर बुला रहे हैं। राष्ट्र गान भी है, राष्ट गीत भी है। कोई एक गीत होना चाहिए। इस बारे में हमें सोचना होगा एक देश एक गीत होना चाहिए।

    मिली हुई वस्तु को कभी अपना नहीं माने

    बिरसा मुंडा व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता भारतीय शिक्षण मंडल के सह संगठन मंत्री बी आर शंकरानंद ने कहा कि आकार के आधार पर किसी का आकलन करना गलत है। दृष्टि में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। यह शिक्षण संस्थान पर लागू होता है। सुरक्षा कर्मी से लेकर कुलपति तक को सभी एक दृष्टि से देखना चाहिए। यह मेरा संगठन है मेरा देश है इसका भाव सभी को आना चाहिए। उन्होंने मनुष्य के शरीर के बारे में कहा कि मिली हुई वस्तु को कभी अपना नहीं मानना चाहिए। यह अपराध है। यह शरीर आपको किसी ने दिया है इस कारण आप दूसरों का परोपकार कीजिए। खुद को परिवर्तित करना संभव है, दूसरों को परिवर्तित करना असंभव है, लेकिन हमारे यहां लोग दूसरों को परिवर्तित करने में ज्यादा समय लगाते हैं और यह समय व्यर्थ हो जाता है।

    आज तक शिकायत का समानांतर शब्द नहीं बना

    शिकायत शब्द को लेकर व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता ने कहा कि शिकायत करना कमजोर व्यक्तित्व का लक्षण है। उन्होंने उपस्थित तमाम शिक्षाविदों से कहा कि शिकायत उर्दू शब्द है, इसका समानांतर शब्द आज तक नहीं बन पाया। इसके बारे में आज तक किसी ने नहीं सोचा। आज इस दिशा में सोचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ने कोरोना में भारत का लोहा माना है। यह भारत की भारतीयता के कारण ही संभव हो पाया है।

    स्मृति ईरानी की तरह बवंडर नहीं मचेगा : डा. ओम प्रकाश

    जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित बिरसा मुंडा व्याख्यानमाला में विशिष्ट अतिथि के रूप में भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त महामंत्री डा. ओम प्रकाश सिंह डा. ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि अपनी परंपरा एवं संस्कृति को बचाने के लिए आज तक कुछ नहीं हुआ। अब इस दिशा में प्रयास हो रहा है। नई शिक्षा नीति में परंपरा एवं संस्कृति दाेनों का समावेश है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय शिक्षण मंडल की देन है। जिसे बहुत विचार-विमर्श के बाद लागू किया जा रहा है। शिक्षा की भारतीय पद्धति एवं पाठ्यक्रम को शामिल करने के लिए भारतीय शिक्षण मंडल 1969 से ही प्रयासरत है। अब यह सफल होता दिख रहा है। इस नीति के कारण पूर्व शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी की तरह बवंडर नहीं मचेगा। अब अगर छात्र एक साल भी पढ़ेंगे तो उन्हें प्रमाण पत्र मिलेगा।

    वीमेंस यूनिवर्सिटी के कुलगीत का हुआ पहला सार्वजनिक गायन

    जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी के कुलगीत का पहला सार्वजनिक गायन भी बिरसा मुंडा व्याख्यानमाला के दौरान किया गया। जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय नामक कुलगीत में झारखंड के प्रकृति प्रेम और झारखंड के स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र है। इस गीत को हिंदी के व्याख्याता डा. अविनाश कुमार सिंह ने लिखा है। सार्वजनिक गायन में संगीत शिक्षक डा. सनातन दीप में छात्राओं के साथ अपनी आवाज दी।