Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    टाटा ट्रस्ट: वेणु श्रीनिवासन फिर बने आजीवन ट्रस्टी, मिस्त्री पर सबकी नजर

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 09:35 PM (IST)

    टाटा ट्रस्ट्स ने वेणु श्रीनिवासन को सर्वसम्मति से आजीवन ट्रस्टी के रूप में पुन: नियुक्त किया है। यह फैसला उनके कार्यकाल की समाप्ति से ठीक पहले लिया गया है। इस कदम को ट्रस्ट के भीतर गुटबाजी खत्म करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। अब सबकी निगाहें मेहरी मिस्त्री की पुनर्नियुक्ति पर टिकी हैं, जिनका कार्यकाल जल्द ही समाप्त हो रहा है। टाटा ट्रस्ट्स की टाटा संस में 66% हिस्सेदारी है।

    Hero Image

    वेणु गोपाल

    जासं, जमशेदपुर। टाटा समूह के नियंत्रण वाली मुख्य इकाई टाटा ट्रस्ट्स में चल रही खींचतान के बीच एक बड़ा फैसला हुआ है। ट्रस्ट ने मंगलवार को वेणु श्रीनिवासन को सर्वसम्मति से ''आजीवन ट्रस्टी'' के रूप में फिर से नियुक्त कर दिया है। यह फैसला श्रीनिवासन का कार्यकाल 23 अक्टूबर को समाप्त होने से ठीक पहले लिया गया है। इस कदम को संगठन के भीतर चल रही गुटबाजी को समाप्त कर एकता का संदेश देने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
    टाटा ट्रस्ट्स इस समय दो गुटों में बंटा हुआ है। एक खेमे का नेतृत्व रतन टाटा के निधन के बाद कमान संभालने वाले नोएल टाटा कर रहे हैं, तो दूसरे का नेतृत्व शापूरजी पालोनजी परिवार से जुड़े मेहरी मिस्त्री के हाथों में है। श्रीनिवासन की नियुक्ति के बाद अब सभी की नजरें मेहरी मिस्त्री की पुनर्नियुक्ति पर टिक गई हैं, जिनका कार्यकाल 28 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है।
    सूत्रों के अनुसार, मिस्त्री की आजीवन ट्रस्टी के रूप में पुनर्नियुक्ति के लिए भी सभी ट्रस्टियों की सर्वसम्मत मंजूरी आवश्यक होगी। हालांकि, इस पर राय बंटी हुई है कि उनका कार्यकाल स्वतः आगे बढ़ जाएगा या इसके लिए सर्वसम्मति से मंजूरी लेनी होगी। ट्रस्ट की पुरानी परंपरा के अनुसार, किसी भी नए या आजीवन ट्रस्टी की नियुक्ति के लिए सर्वसम्मति अनिवार्य है।
    गौरतलब है कि 17 अक्टूबर, 2024 को हुई एक बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया था कि किसी भी ट्रस्टी का कार्यकाल समाप्त होने पर, उसे बिना किसी समय सीमा के फिर से नियुक्त कर दिया जाएगा। प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि यदि कोई ट्रस्टी इस फैसले के खिलाफ वोट करता है, तो उसे प्रतिबद्धता का उल्लंघन माना जाएगा और वह ट्रस्ट में सेवा देने के लिए उपयुक्त नहीं होगा।
    टाटा ट्रस्ट्स, जिसमें सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट जैसे कई धर्मार्थ ट्रस्ट शामिल हैं, की टाटा संस में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है। टाटा संस ही टाटा समूह की सभी कंपनियों की मुख्य होल्डिंग कंपनी है। इस वजह से ट्रस्ट के फैसले पूरे समूह के लिए काफी अहमियत रखते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें