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    Jharkhand News: खेतों में खड़ी धान फसल का विचौलिए कर रहे सौदा, एडवांस बुकिंग शुरू

    By Sachidanand Kumar Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Tue, 11 Nov 2025 07:17 PM (IST)

    झारखंड में धान की फसल खेतों में खड़ी है, पर बिचौलियों ने एडवांस बुकिंग शुरू कर दी है। किसानों को डर है कि उन्हें फसल का सही दाम नहीं मिलेगा। वे सरकार से हस्तक्षेप और धान खरीद केंद्र खोलने की उम्मीद कर रहे हैं ताकि उन्हें उचित मूल्य मिल सके और बिचौलियों से मुक्ति मिले।

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    खेत में लगी फसल का ही सौदा किया जा रहा है।

    जफर हुसैन, जपला (पलामू)। झारखंड में सरकार द्वारा धान खरीद प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही बिचौलियों की सक्रियता बढ़ गई है। हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र के हुसैनाबाद, हैदरनगर और मोहम्मदगंज प्रखंडों के कई गांवों में ये बिचौलिए किसानों से खेतों में खड़ी धान फसल की एडवांस बुकिंग कर रहे हैं।

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    नकद भुगतान और तुरंत उठाव की लालच देकर किसानों को सरकारी दर का इंतजार न करने की सलाह दी जा रही है। किसान बताते हैं कि इस बार बंपर पैदावार हुई है। लक्ष्य के अनुरूप उत्पादन हुआ है और कटाई का काम तेजी से चल रहा है।

    लेकिन सरकारी खरीद केंद्रों के शुरू होने में अभी वक्त है। ऐसे में किसान आर्थिक तंगी और भंडारण की समस्या के कारण 1500 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से ही धान बेचने को मजबूर हैं, जबकि सरकार ने समर्थन मूल्य 2400 रुपये प्रति क्विंटल तय है।

    सरकारी तैयारी सिर्फ कागजों पर


    सहकारिता विभाग और स्टेट फूड कारपोरेशन (SFC) की ओर से इस बार धान खरीद को लेकर तैयारी का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस पहल दिखाई नहीं दे रही। अब तक न तो पैक्सों की सूची जारी हुई है और न किसानों को खरीद तिथि या प्रक्रिया की जानकारी दी गई है।

    पिछले वर्ष सरकार ने 2300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदा था और उस पर 100 रुपये बोनस भी दिया गया था। हालांकि, कई किसानों का भुगतान अब तक लंबित है, जिससे इस बार किसान सरकारी खरीद व्यवस्था पर भरोसा करने में हिचकिचा रहे हैं।

    क्या कहते हैं किसान

    हैदरनगर के किसान अनिल सिंह का कहना है कि सरकार की खरीद प्रक्रिया देर से शुरू होती है। अगर इस बार भी 15 दिसंबर के बाद खरीद शुरू हुई, तो तब तक अधिकांश किसान अपना धान बिचौलियों को बेच चुके होंगे।

    उन्होंने बताया कि बिहार के व्यापारी स्थानीय एजेंटों के माध्यम से गांव-गांव जाकर किसानों से एडवांस में फसल बुक कर रहे हैं, कई जगह किसानों से आधार कार्ड और मोबाइल नंबर लेकर अग्रिम राशि भी दी जा रही है।

    हुसैनाबाद के किसान प्रियरंजन सिंह ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी खरीद में देरी की आशंका है। जब तक पैक्स केंद्र खुलते हैं, तब तक धान खराब होने लगता है, जिससे किसानों को कम दाम पर बेचना पड़ता है।

    उन्होंने कहा कि एक पैक्स की औसतन भंडारण क्षमता लगभग 1000 क्विंटल ही है, जबकि राइस मिलों की कमी से धान का उठाव समय पर नहीं हो पाता, इससे खरीद प्रक्रिया प्रभावित होती है।

    हैदरनगर के किसान अरुण पांडेय ने कहा कि इस साल धान की पैदावार बंपर हुई है, लेकिन अगर सरकार ने समय पर खरीद शुरू नहीं की, तो किसानों को फिर से घाटे में धान बेचने की मजबूरी होगी। उनका कहना है कि समय पर खरीद शुरू हो जाए तो किसानों और सरकार दोनों को लाभ हो सकता है।