Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Jharkhand News: अतिवृष्टि से 2.18 लाख हेक्टेयर की फसल बर्बाद, जानें किस जिले में कितना वर्षापात

    Updated: Mon, 25 Aug 2025 07:44 PM (IST)

    झारखंड में हो रही अतिवृष्टि ने एक ओर जहां जनजीवन को प्रभावित किया है वहीं दूसरी ओर इसका असर खरीफ फसल पर पड़ा है। राज्य में औसतन 33 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। इस वजह से फसलों को नुकसान पहुंचा है। अभी तक उपलब्ध आंकड़ों की मानें तो राज्य में करीब 2.18 लाख हेक्टेयर की फसल बर्बाद हुई है। हालांकि अभी नुकसान होने का सर्वे जारी है।

    Hero Image
    अतिवृष्टि से 2.18 लाख हेक्टेयर की फसल के बर्बाद होने का अनुमान है।

    मनोज सिंह, रांची। झारखंड में हो रही अतिवृष्टि ने एक ओर जहां जनजीवन को प्रभावित किया है, वहीं दूसरी ओर इसका असर खरीफ फसल पर पड़ा है। राज्य में औसतन 33 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। 

    इस वजह से फसलों को नुकसान पहुंचा है। अभी तक उपलब्ध आंकड़ों की मानें तो राज्य में करीब 2.18 लाख हेक्टेयर की फसल बर्बाद हुई है। हालांकि अभी नुकसान होने का सर्वे जारी है।

     राज्य में 31 अगस्त तक धान रोपनी कीअंतिम तिथि है। ऐसे में अभी जिलों में फसलों के नुकसान होने का सटीक आंकड़ा आना बाकी है। जिसे राज्य के आपदा विभाग को भेजा जाएगा।

    फिर किसानों को राहत राशि देने पर फैसला लिया जाएगा। राज्य में इस वर्ष खरीफ फसल के लिए लगभग 30 लाख हेक्टेयर में खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

    पिछली बार यह आंकड़ा 28 लाख हेक्टेयर था। इस बार अच्छी बारिश के पूर्वानुमान को लेकर विभाग ने 30 लाख हेक्टेयर में खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया था।

    इसी के अनुरूप किसानों को बीज, खाद सहित अन्य साधन भी उपलब्ध कराए गए थे। लेकिन अतिवृष्टि की वजह से धान के अलावा कई अन्य खरीफ फसल सहित सब्जियां भी बर्बाद हो रही है।

    राज्य में 60 प्रतिशत अधिक धान की खेती होती है

    राज्य में धान की खेती प्रमुख है। विभाग की ओर से भी लगभग 18 लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया था, जो कुल खेती का लगभग 66 प्रतिशत है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसका सबसे बड़ा कारण मौसम पर निर्भरता है, क्योंकि झारखंड में सिंचाई के साधन बहुत कम हैं। इसलिए किसानों की खेती ज्यादातर बारिश पर निर्भर करती है।

    अच्छी बारिश होने का असर धान के उत्पादन पर पड़ता है। यही वजह है कि पिछले दो सालों से अच्छा मौसम नहीं होने की वजह से किसानों को इसकी मार झेलनी पड़ी थी।

    दो साल लगातार राज्य में सुखाड़ की स्थिति रही। लेकिन इस बार मौसम मेहरबान हुआ तो इतनी बारिश हुई कि इसका असर भी खरीफ की फसलों पर पड़ा है।

    मोटे अनाज की फसल भी हुई प्रभावित

    केंद्र और राज्य सरकार की ओर से किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। झारखंड सरकार ने किसानों को मोटे अनाज (श्रीअन्न) के प्रोत्साहन राशि भी है।

    लेकिन इस बार बारिश का असर इस पर पड़ा है। जानकारी के अनुसार राज्य में बारिश की वजह से मक्का की खेती 35 प्रतिशत प्रभावित हुई है। 

    उसी तरह दलहन, और तिलहन की खेती 50 प्रतिशत प्रभावित हुई है। राज्य में खरीफ फसल के जरिए धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, उड़द, मूंगफली और सोयाबीन जैसी फसलें उगाई जाती हैं।

    • जिलावार                 हुए वर्षापात        सामान्य वर्षा
    • बोकारो                    884.9                664.4
    • चतरा                      890.3                689
    • देवघर                     686.7                701.6
    • धनबाद                    1159.8              761.1
    • दुमका                      985                  740
    • पूर्वी सिंहभूम            1464.8              796.9
    • गढ़वा                      654.7                674.5
    • गिरिडीह                  906.5                700.2
    • गोड्डा                      655.5                  646.5
    • गुमला                      884.7               779.5
    • हजारीबाग                843.7               763
    • जामताड़ा               1080.1              778.6
    • खूंटी                      1126.8              806.3
    • कोडरमा                 769.6                634.6
    • लातेहार                  1203.2             756.6
    • पाकुड़                    722.9              839.2
    • पलामू                      805.7             611.6
    • रामगढ़                     1051.8            748.1
    • रांची                       1250                761.5
    • साहिबगंज               933.2            830.9
    • सरायकेला-खरसावां    1283           740.1
    • सिमडेगा                 1070.3          963.2
    • पश्चिमी सिंहभूम         1081.5           749.