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    अनुराग गुप्ता के पूरे कार्यकाल की जांच कराए सरकार, बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन से की मांग

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 09:45 PM (IST)

    भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता के कार्यकाल की जांच की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील करते हुए कहा कि सत्ताधारी दल के नेता द्वारा भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद जांच आवश्यक है। 

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    बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन से पूछा सवाल। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, रांची। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार से पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता के कार्यकाल की जांच की मांग की है।

    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उन्होंने इसके लिए अपील की है। मरांडी ने कहा है कि इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो में कांग्रेस के एक पूर्व मंत्री का बयान चल रहा है जिसमें अनुराग गुप्ता को झारखंड का सबसे भ्रष्ट डीजीपी बताया गया है।

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    मरांडी ने कहा है कि जब सत्ताधारी दल का व्यक्ति भी किसी अधिकारी पर भ्रष्टाचार के इतने गंभीर आरोप लगा रहा है, तो ये समझा जा सकता है कि उसने कैसे और कितने भ्रष्टाचार और अपराध किए होंगे। इसलिए मुख्यमंत्री अनुराग गुप्ता के पूरे कार्यकाल की जांच कराएं।

    राज्य की ब्यूरोक्रेसी में अच्छे अफसर भी भरे पड़े हैं। इन सभी के बीच इस बात की चर्चा है कि झारखंड में राज्य सेवा से लेकर कई आईएएस अफसर भ्रष्टाचार के लिये जेल की हवा खा चुके हैं। लेकिन एक भी भ्रष्टाचारी आईपीएस या पुलिस अफसर पर न तो कार्रवाई हुई न ही कोई जेल गया। इन सभी को किसका संरक्षण मिल रहा था इसकी पूरी जांच होनी चाहिए।

    प्रशासनिक अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग में मनमानी कर रही सरकार 

     

    वहीं, दूसरी ओर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने शनिवार को प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा है कि राज्य में प्रशासनिक अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग में मनमानी हो रही है। डीएमएफटी घोटाले में चर्चित आईएएस अधिकारी आदित्य रंजन फिलहाल धनबाद के डीसी हैं।

    हैरानी की बात यह है कि तबादला हो जाने के बावजूद पिछले पांच महीनों से वे आईटी निदेशक के पद पर भी जमे हुए हैं। एक ही समय पर धनबाद और रांची के दो पदों पर टिके रहने का औचित्य क्या है।

    मरांडी ने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में जिले का एसपी बदलने से बचाने के लिए पूरे आईपीएस बैच का प्रमोशन रोका गया था। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एक अवैध-लुटेरे डीजीपी को बचाने के लिए डीएसपी का आईपीएस में प्रमोशन तक रोकने की मिसाल भी इस सरकार में ही देखने को मिली है।