Jharkhand liquor scam: पूर्व उत्पाद सचिव आइएएस मनोज कुमार से एसीबी ने की पूछताछ, शराब घोटाले में साक्ष्य के बावजूद नहीं की थी कार्रवाई
झारखंड में शराब घोटाले की जांच में एसीबी ने तेजी दिखाई है। पूर्व उत्पाद सचिव आइएएस मनोज कुमार से एसीबी ने शराब घोटाले में उनकी भूमिका को लेकर पूछताछ की। एसीबी की टीम ने उनसे कई तथ्यों में जानकारी मांगी और आगे की जांच के लिए महत्वपूर्ण तथ्य जुटाए। घोटाले में शामिल अन्य लोगों की पहचान की जा रही है।

पूर्व उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव आइएएस अधिकारी मनोज कुमार से पूछताछ की गई। मनोज कुमार की फाइल फोटो।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच कर रही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने बुधवार को आइएएस अधिकारी मनोज कुमार से पूछताछ की। वे उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव थे।
वर्तमान में वे महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के सचिव हैं। एसीबी ने उनसे फर्जी बैंक गारंटी पर राज्य की खुदरा शराब दुकानों में मैनपावर आपूर्ति का ठेका लेने वाली दो प्लेसमेंट एजेंसियों मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स विजन हास्पिटालिटी सर्विसेज के विरुद्ध साक्ष्य के बावजूद कार्रवाई नहीं करने के मामले में पूछताछ की है।
इन दोनों एजेंसियों ने पूर्व की उत्पाद नीति के तहत झारखंड राज्य बेवरेजेज कारपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) के तहत खुदरा शराब दुकानों में मैनपावर आपूर्ति का ठेका लिया था। फर्जी बैंक गारंटी देने के चलते राज्य सरकार को 38 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचा था।
आइएएस अधिकारी मनोज कुमार पर अनियमितताओं को प्रश्रय देने का आरोप है। यह भी आरोप है कि उन्होंने राज्य में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से अधिक कीमत पर शराब की बिक्री रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की और इस प्रकरण में उनकी मौन सहमति थी।
उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने छत्तीसगढ़ की दो शराब आपूर्ति कंपनियों मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स ओम साईं बिवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड को बिना तत्कालीन मंत्री को जानकारी दिए ही 11 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान कर दिया। जबकि, इन कंपनियों पर झारखंड सरकार का ही करीब 450 करोड़ रुपये का बकाया था।
एसीबी ने शराब घोटाले में 20 मई को रांची थाने में कांड संख्या 09/2025 दर्ज किया था। प्राथमिकी में तत्कालीन उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे और अन्य अधिकारियों पर पद के दुरुपयोग और आपराधिक साजिश के तहत नियमों की अनदेखी कर चहेते एजेंसियों को ठेका देने का आरोप है।
आइएएस मुकेश कुमार से भी होगी पूछताछ
शराब घोटाला केस में गुरुवार को पूर्व उत्पाद सचिव मुकेश कुमार को भी एसीबी ने पूछताछ के लिए बुलाया है। उनसे भी एसीबी पूछताछ करेगी। आइएएस मनोज कुमार से बुधवार को पूछताछ पूरी नहीं हो सकी है। उन्हें भी गुरुवार को बुलाया गया है।
दोनों आइएएस अधिकारियों से एसीबी के अधिकारी एक साथ पूछताछ करेंगे। शराब घोटाला केस में अब तक एसीबी की छानबीन में जिनके विरुद्ध भी जानकारी सामने आई है, एसीबी एक-एक कर सबसे पूछताछ कर रही है।
हाल ही में तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे के करीबी विनय सिंह की गिरफ्तारी व उनके ठिकानों पर छापेमारी के दौरान बरामद दस्तावेज के आधार पर भी एसीबी ने प्रश्न तैयार किया है, जिसके आधार पर पूछताछ चल रही है।
निलंबित आइएएस विनय कुमार चौबे सहित 11 आरोपित हुए थे गिरफ्तार
शराब घोटाला मामले में एसीबी ने 20 मई को प्राथमिकी दर्ज की थी। इसके बाद एसीबी ने कुल 11 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आरोपितों में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सह अभियान सुधीर कुमार, पूर्व आयुक्त उत्पाद अमित प्रकाश हैं।
उनके अलावा प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन के नीरज कुमार सिंह, छत्तीसगढ़ के शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया, होलोग्राम आपूर्ति कंपनी प्रिज्म होलोग्राफी के विधु गुप्ता, श्री ओम साईं बेवरेजेज के अतुल कुमार सिंह, मुकेश मनचंदा तथा सुमित फैसिलिटीज के निदेशक अमित प्रभाकर सुलौंकी भी हैं।
शराब घोटाला केस में निर्धारित समय 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं करने से इन सभी 11 आरोपितों को जमानत का लाभ मिल चुका है। विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे वर्तमान में हजारीबाग में जमीन घोटाला केस में जेल में बंद हैं।
चार्जशीट दाखिल नहीं होने से विनय कुमार चौबे के करीबी विनय सिंह ने भी गिरफ्तारी वारंट के बाद कोर्ट से जमानत ले लिया था। अभी विनय सिंह भी हजारीबाग के जमीन घोटाला केस में जेल में बंद हैं।
पिछले दिनों एसीबी ने मेसर्स विजन हास्पिटालिटी सर्विसेज एंड कंस्ल्टेंट से जुड़े तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया था। इनमें परेश अभेसिंह ठाकोर, विक्रमासिंह अभेसिंह ठाकोर व महेश शिडगे शामिल थे।

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