Jharkhand News: पहले नाम में नशा, फिर जाम में नशा, देसी शराब में नाम और ब्रांड का तड़का डाल लुभाने की कोशिश
झारखंड में शराब के नाम में दबंगता भी है और मस्ती भी। टाइगर व भौकाल के साथ रसीली लैला नूरी भी यहां पहुंच गई है। बाम्बर छबीली कड़क रंगीली का भी नशा है। यहां शेरा भी है और शक्तिमान भी। तुलसी से लेकर कड़क व दमदार किक तक की मौजूदगी है। देसी शराब के बाजार में अंगूरी से लेकर टंच तक को लांच कर दिया गया है।

दिलीप कुमार, रांची। झारखंड में शराब के नाम में दबंगता भी है और मस्ती भी। टाइगर व भौकाल के साथ रसीली, लैला, नूरी भी यहां पहुंच गई है। बाम्बर, छबीली, कड़क, रंगीली का भी नशा है।
यहां शेरा भी है और शक्तिमान भी। तुलसी से लेकर कड़क व दमदार किक तक की मौजूदगी है। देसी शराब के बाजार में अंगूरी से लेकर टंच तक को लांच कर दिया गया है।
शराब के इस खुदरा बाजार में नाम के साथ-साथ ब्रांड का तड़का लगाकर ग्राहकों को लुभाने की कोशिश की जा रही है। पहले नाम फिर जाम में नशा पिरोने की कोशिश की गई है।
राज्य में एक सितंबर से लागू नई उत्पाद नीति के तहत बिक रही शराब मं नाम व ब्रांड का तड़का लगा दिया गया है। पूरे राज्य में देसी शराब की कुल 159 दुकानें खुली हैं।
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने देसी शराब के कुल 62 ब्रांड की एमआरपी सूची जारी की है। कम से कम 30 रुपये से अधिकतम 130 रुपये तक की शराब के देसी ब्रांड लांच किए गए हैं। दुकानें खुल चुकी हैं, जिससे आने वाले राजस्व को लेकर विभाग भी उत्साहित है।
इन ब्रांड नामों से देसी शराब किए गए हैं लांच
दबंग, मस्ती, टाइगर, भौकाल, रसीली, बाम्बर, छबीली, कड़क, रंगीली, टनाका, शक्तिमान, तुलसी, लैला, नूरी, शेरा, दमदार किक, तूफानी किक, अंगूरी, कैप्टन 60, टंच लाइट, टंच स्ट्रांग, टंच, देसी नंबर वन, रांची नंबर वन व रायल झारखंड।
राज्य में दुकानें घटीं, राजस्व लक्ष्य बढ़ा
राज्य में पुरानी उत्पाद नीति के तहत कुल 1453 दुकानें संचालित थीं। एक सितंबर से शुरू नई उत्पाद नीति के तहत कुल 1343 दुकानों की बंदोबस्ती की गई है।
इनमें 1184 कंपोजिट व 159 देसी शराब की दुकानें शामिल हैं। इतना ही नहीं, राजस्व लक्ष्य भी बढ़ाया गया है। पुरानी उत्पाद नीति में वित्तीय वर्ष 2025-26 में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग का लक्ष्य 2985 करोड़ रुपये रखा गया था।
नई उत्पाद नीति में इस चालू वित्तीय वर्ष का उत्पाद राजस्व लक्ष्य 3585 करोड़ रुपये रखा गया है। इसके तहत 31 अगस्त तक राजस्व लक्ष्य 1183 करोड़ रुपये था।
एक सितंबर 2025 से 31 मार्च 2026 तक उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग का राजस्व् लक्ष्य 2402 करोड़ रुपये रखा गया है।
एक सितंबर से नई उत्पाद नीति के तहत शराब की खुदरा बिक्री हो रही है। इस नीति के तहत निजी दुकानदार खुदरा शराब की दुकानों का संचालन कर रहे हैं।
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