Ghatshila by election में किधर जाएंगे कुड़मी वोटर्स, एनडीए के घटक के रूप में आजसू की होगी परीक्षा
घाटशिला उपचुनाव में आजसू पार्टी की परीक्षा है, क्योंकि वह भाजपा प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने में जुटी है। कोल्हान में आजसू नेता प्रचार कर रहे हैं। भाजपा को आजसू के जनाधार और कुड़मी वोटों से उम्मीद है, लेकिन जेएलकेएम की चुनौती भी है। पिछले चुनाव में गठबंधन पर सवाल उठे थे, इसलिए इस उपचुनाव के नतीजे महत्वपूर्ण होंगे।

राज्य ब्यूरो, रांची। घाटशिला उपचुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल के रूप में आजसू पार्टी की भी परीक्षा होगी। इस कारण आजसू पार्टी इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरा दमखम लगा रही है।
कोल्हान प्रमंडल के आजसू नेताओं सहित स्वयं पार्टी प्रमुख सुदेश महतो वहां चुनाव प्रचार कर रहे हैं। भाजपा को उम्मीद है कि आजसू का वहां जितना भी जनाधार है, उसका लाभ उसके प्रत्याशी को मिलेगा।
यह उम्मीद इसलिए भी है, क्याेंकि वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान आजसू ने अपना जनाधार बताते हुए कोल्हान प्रमंडल की जिन सीटों पर अपना दावा किया था, उनमें तीन सीटें आजसू पार्टी को मिली थीं।
भले ही तीनों सीटों पर इसकी हार हुई थी। घाटशिला उपचुनाव में आजसू पार्टी की ओर से पूर्व मंत्री रामचंद्र सहिस तथा हरेलाल महतो भाजपा प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।
पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन से दोनों नेता क्रमश: जुगसलाई विधानसभा सीट तथा ईचागढ़ से प्रत्याशी थे। एक ही प्रमंडल में इन विधानसभा क्षेत्रों के होने से घाटशिला में भी इन नेताओं का कुछ न कुछ प्रभाव है।
घाटशिला में कुड़मी मतदाताओं की संख्या लगभग 10 हजार
घाटशिला में कुड़मी मतदाताओं की संख्या भी लगभग 10 हजार है। ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि आजसू के साथ गठबंधन होने से इनके वोट उनके खाते में आएंगे।
हालांकि जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम द्वारा भी यहां प्रत्याशी देने से यह उम्मीद टूट भी सकती है। पिछले वर्ष के विधानसभा चुनाव में भी जेएलकेएम के प्रत्याशी रामदास मुर्मू ने 8,092 वोट हासिल किए थे।
कहा जाता है कि जेएलकेएम ने ये वोट आजसू पार्टी में सेंध लगाकर हासिल किए थे। रामदास मुर्मू इस बार भी चुनाव मैदान में हैं। घाटशिला उपचुनाव में भाजपा को आजसू के साथ गठबंधन से मिलने वाले लाभ पर इसलिए भी लोगों की नजरें रहेंगी, क्योंकि पिछले वर्ष के विधानसभा चुनाव में आए परिणाम के बाद आजसू पार्टी के साथ गठबंधन पर सवाल उठने लगे थे।

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