शहरी निकाय चुनाव नहीं होने पर हाई कोर्ट की कड़ी टिप्पणी, नियमों को नहीं मान रही सरकार
झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में शहरी निकाय चुनाव नहीं कराए जाने के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने आदेश का पालन नहीं किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए तल्ख टिप्पणी की है।अदालत ने आपत्ति प्रकट करते हुए अदालत में मौजूद मुख्य सचिव से कहा कि सरकार संविधान को नहीं मान रही है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में शहरी निकाय चुनाव नहीं कराए जाने के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने आदेश का पालन नहीं किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए तल्ख टिप्पणी की है।
अदालत ने आपत्ति प्रकट करते हुए अदालत में मौजूद मुख्य सचिव से कहा कि सरकार संविधान को नहीं मान रही है। राज्य का कानून है कि प्रत्येक पांच साल में शहरी निकाय का चुनाव कराया जाएगा, उसको भी नहीं माना जा रहा है।
यहां तक कि सुरेश महाजन के केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। अदालत ने सरकार को उस आदेश की प्रति रिकार्ड पर लाने का निर्देश दिया है, जिसके तहत ट्रिपल टेस्ट के बाद भी निकाय चुनाव कराने का निर्णय लिया है।
मामले में अगली सुनवाई 10 सितंबर को निर्धारित की गई है।अदालत ने कहा कि एक जनवरी 2024 को राज्य में तीन माह में चुनाव कराए जाने का निर्देश दिया था। खंडपीठ ने भी इस पर मुहर लगाई थी।
उसके बाद अवमानना की सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव ने 16 जनवरी 2025 को कोर्ट में उपस्थित होकर अंडर टेकिंग दिया था कि चार माह में चुनाव करा लिया जाएगा।
लेकिन अभी तक चुनाव नहीं कराया गया। यह पूरी तरह से कोर्ट की अवमानना का मामला है। मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार ने ट्रिपल टेस्ट के बाद ही निकाय चुनाव कराए जाने का निर्णय लिया है।
इस पर कोर्ट ने उक्त आदेश कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस दौरान मुख्य सचिव अलका तिवारी और नगर विकास सचिव सुनील कुमार कोर्ट में उपस्थित हुए थे। अदालत ने अगली सुनवाई के दौरान भी मुख्य सचिव को कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
बता दें कि पूर्व पार्षद रोशन खलखो सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई है। उनकी ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने अदालत को बताया कि सरकार निकाय चुनाव को टाल रही है।
कोर्ट ने एक साल पूर्व ही चुनाव कराने का निर्देश दिया था। लेकिन अभी तक चुनाव नहीं कराया जा रहा है। निकायों में जनप्रतिनिधियों के नहीं होने की वजह से जनता कार्य प्रभावित हो रहा है।
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