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    जलस्रोतों पर अतिक्रमण और प्रदूषण की भयावह स्थिति, हाई कोर्ट ने निगरानी के लिए बनाई कमेटी

    Updated: Sat, 30 Aug 2025 03:15 PM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट ने रांची में जलस्रोतों पर अतिक्रमण और प्रदूषण मुक्त करने की निगरानी के लिए एक कमेटी बनाई है। इस मामले में अब तक हाई कोर्ट के निर्देशों का सही तरीके से पालन नहीं करने के कारण झालसा को यह जिम्मेवारी दी गई है। झालसा के सदस्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई।

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    हाई कोर्ट ने जलस्रोतों पर अतिक्रमण और प्रदूषण की निगरानी के लिए कमेटी बनाई है।

    राज्य ब्यूरो,रांची । झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में रांची के डैम और अन्य जलस्रोतों पर अतिक्रमण के खिलाफ शुक्रवार को महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं।

    अदालत ने जलस्रोतों पर अतिक्रमण और प्रदूषण मुक्त करने की निगरानी के लिए एक कमेटी बनाई है। इस मामले में अब तक हाई कोर्ट के निर्देशों का सही तरीके से पालन नहीं करने के कारण झालसा को यह जिम्मेवारी दी गई है।

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    अदालत ने झालसा के सदस्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की। कमेटी में जिला प्रशासन, नगर निगम, जल संसाधन विभाग, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग और पुलिस प्रशासन के अधिकारी शामिल होंगे।

    हाई कोर्ट ने कमेटी को समय-समय पर जलस्रोतों का निरीक्षण कर कोर्ट को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। निरीक्षण में पारा लीगल वालंटियर्स और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की मदद भी ली जाएगी।

    कमेटी को दो सप्ताह में बैठक कर कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने और जलाशयों के निरीक्षण के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी।

    सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और नगर निगम की ओर से दाखिल शपथ पत्रों में बताया गया कि अब तक कई जगह अतिक्रमण हटाए गए हैं। कांके डैम क्षेत्र से 20 अतिक्रमण हटाए गए हैं।

    जबकि बड़ा तालाब के आसपास 43 अवैध निर्माण की पहचान कर 29 ढांचे तोड़े जा चुके हैं। बाकी 14 निर्माण नगर निगम द्वारा सार्वजनिक हित में किए गए हैं, जैसे शौचालय आदि। हिनू नदी क्षेत्र से 106 अतिक्रमण में से 96 हटाए गए हैं। गेतलसूद डैम और हरमू नदी पर भी कार्रवाई जारी है।

    प्लास्टिक कचरे पर कोर्ट की चिंता

    हाई कोर्ट ने बड़ा तालाब और कांके डैम में प्लास्टिक व अन्य कचरे की डंपिंग पर चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि बड़ा तालाब और आसपास प्लास्टिक की बोतलें और अन्य कचरा फेंका गया है।

    कांके डैम और गेतलसूद डैम के कैचमेंट क्षेत्र में भी प्लास्टिक व मलबे की डंपिंग हो रहा है, जिससे पेयजल स्रोत प्रदूषित हो रहा है।

    यह हालात खतरनाक हैं क्योंकि रांची के लोगों को पेयजल इन्हीं स्रोतों से मिलता है। अगर प्रदूषण और अतिक्रमण को रोका नहीं गया तो भविष्य में जल संकट और स्वास्थ्य संकट खड़ा हो सकता है।

    कचरा डंपिंग डिपो हटाने का आदेश

    कोर्ट ने कहा कि नगर निगम ने स्कूल, अस्पताल और स्टेडियम के पास कचरा डंपिंग डिपो बना दिया है। इससे आसपास प्रदूषण और दुर्गंध फैल रही है। कोर्ट ने इसे बच्चों, मरीजों और आम नागरिकों के लिए खतरनाक बताते हुए तत्काल इस डिपो को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का आदेश दिया।

    हाई कोर्ट ने कहा कि स्वच्छ और प्रदूषण रहित पानी नागरिकों का मौलिक अधिकार है। यदि जलाशयों में अतिक्रमण और प्रदूषण जारी रहता है तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) का सीधा उल्लंघन होगा। इसलिए सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इन जलाशयों को संरक्षित और स्वच्छ बनाए रखे।