Jharkhand New DGP: अनुराग गुप्ता ने लिया रिटायरमेंट, तदाशा मिश्रा बनीं प्रभारी डीजीपी
झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता का वीआरएस आवेदन सरकार ने मंजूर कर लिया है। आईपीएस अधिकारी तदाशा मिश्रा को राज्य का नया प्रभारी डीजीपी नियुक्त किया गया है। वह 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। मिश्रा अगले आदेश तक डीजीपी का पद संभालेंगी।

अनुराग गुप्ता और तदाशा मिश्रा। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। उन्होंने मंगलवार की रात राज्य सरकार को अपनी एैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन दिया था, जिसे राज्य सरकार ने गुरुवार को स्वीकार कर लिया। उन्हें छह नवंबर से सेवानिवृत्त माना गया है।
उनके स्थान पर झारखंड कैडर के 1994 बैच की आइपीएस अधिकारी तदाशा मिश्रा को झारखंड का प्रभारी डीजीपी बनाया गया है। गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने इससे संबंधित अधिसूचना गुरुवार की देर रात जारी कर दी है।
मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली तदाशा मिश्रा वर्तमान में गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग में विशेष सचिव के पद पर पदस्थापित थीं। राज्य सरकार ने उन्हें अगले आदेश तक के लिए प्रभारी डीजीपी बनाया है।
हालांकि, तदाशा मिश्रा अगले ही महीने 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त भी हो जाएंगी। डीजीपी के पद के लिए यूपीएससी की नियमावली हो या राज्य सरकार की नियमावली हो, दोनों ही नियमावली के तहत डीजीपी पद पर नियमित पदस्थापन के लिए सेवानिवृत्ति की तिथि कम से कम छह महीने रहना अनिवार्य है।
इस नियमावली के तहत तदाशा मिश्रा को अवधि विस्तार नहीं मिल सकता है। तदाशा मिश्रा के प्रभारी डीजीपी बनने के साथ ही राज्य के नियमित डीजीपी की खोज भी अब शुरू हो जाएगी। जल्द ही राज्य सरकार इसकी प्रक्रिया पूरी करेगी।
विवादित रहा है पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता का कार्यकाल
पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता का कार्यकाल विवादित रहा है। उनपर वर्ष 2016 के राज्यसभा चुनाव में हार्स ट्रेडिंग का आरोप लगा था। राज्य सरकार ने उन्हें करीब 26 महीने तक निलंबित रखा था। उनपर विभागीय कार्यवाही भी चली थी।
विभिन्न चुनावों में उन्हें चुनाव आयोग के निर्देश पर राज्य से बाहर भी किया गया था। निलंबन मुक्त होने के बाद वे राज्य के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। वे सीआइडी, एसीबी के डीजी रहे। झारखंड के 26 जुलाई 2024 को राज्य सरकार ने उन्हें झारखंड का प्रभारी डीजीपी बनाया था।
वे नियमत: 30 अप्रैल 2025 को सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें अवधि विस्तार दे रखा था। उनके अवधि विस्तार को केंद्र ने नियम विरुद्ध बताया था और राज्य सरकार से उन्हें हटाने का निर्देश दिया था।

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