सीजीएल पेपर लीक मामले में सभी पक्षों की बहस पूरी, Jharkhand High court ने सुरक्षित रखा फैसला
झारखंड उच्च न्यायालय ने सीजीएल पेपर लीक मामले में सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। सभी पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं, जिसके बाद अदालत ने कहा कि सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। अदालत का फैसला इस मामले में आगे की कार्रवाई का निर्धारण करेगा।

सीजाएल पेपर लीक मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
राज्य ब्यूरो,रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में सीजीएल पेपर लीक मामले की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई।
सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने कहा कि अगर किसी को लिखित बहस प्रस्तुत करना है, तो मंगलवार तक जमा कर दें।
प्रार्थी का दावा, पेपर लीक और पैसे के लेनदेन के भी सबूत
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता समीर रंजन ने पक्ष रखा। उनकी ओर से सरकार और हस्तक्षेप कर्ताओं की ओर से रखे गए पक्ष का बिंदुवार जवाब दिया गया।
कोर्ट को बताया कि सीजीएल परीक्षा का पेपर लीक हुआ और जानबूझकर इसकी जांच को कमजोर किया गया। दावा किया कि 22 सितंबर, 2024 को हुई परीक्षा से पहले ही प्रश्न पत्र लीक हो गया था।
उनके पास ऐसे सबूत हैं जिनमें वाट्सएप चैट, संदिग्धों के बयान, नेपाल कनेक्शन और परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों द्वारा बाद में किए गए भुगतानों के सबूत शामिल हैं।
दो उम्मीदवारों ने परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सितंबर-अक्टूबर 2024 में रिश्वत का भुगतान किया, जो पेपर लीक के बदले पैसे लेने का संकेत है। प्राथमिकी दर्ज करने और जांच शुरू करने में हुई देरी को गंभीर चूक बताया।
यह भी आरोप लगाय कि एसआइटी के गठन में तीन बार बिना किसी ठोस कारण के बदलाव किया गया, जिससे जांच प्रभावित हुई। उनका कहना है इस मामले में पक्के सबूत मौजूद हैं। जिसमें आरोपितों के बयान, इलेक्ट्रानिक डिवाइस, काल डिटेल रिकार्ड (सीडीआर) और पैसे के लेन-देन के रिकार्ड शामिल हैं, जो एक साजिश की ओर इशारा करते हैं।
सरकार का दावा- अब तक की जांच में पेपर लीक के सबूत नहीं
ऐसे में परीक्षा निरस्त करना या दोबारा कराना ही उचित होगा। पूर्व में महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया था कि उक्त परीक्षा में पेपर लीक होने के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। सीआइडी की जांच में अभी तक किसी तरह के पेपर लीक की बात सामने नहीं आई है।
अलग-अलग तीन वर्षों के कुछ प्रश्नों की पुनरावृत्ति हुई है। इसे पेपर लीक नहीं माना जा सकता है। संतोष मस्ताना से पूछताछ में गेस क्वेश्चन की बात सामने आई है, लेकिन पेपर लीक की कोई बात नहीं है।
राज्यभर के 830 परीक्षा केंद्रों में से केवल तीन केंद्रों पर अनियमितता की आशंका सामने आई है। बताया गया कि इन केंद्रों पर कुछ अभ्यर्थियों द्वारा मोबाइल फोन के माध्यम से प्रश्न लिखवाने और उत्तर पत्र पर आंसर लिखने की बात सामने आई थी।
बाद में उन उत्तर पत्रों को फाड़कर डस्टबिन में फेंक दिया गया था। जब उन्हें उठाकर देखा गया, तो पाया गया कि प्रश्न पत्र के प्रश्नों और उत्तरों में समानता थी। इसी कारण लोगों को लगा कि पेपर लीक हुआ है।
हस्तक्षेप कर्ताओं की ओर से कहा गया था कि वंशिका यादव (नीट) के मामले में सु्प्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पेपर लीक में शामिल अभ्यर्थियों को अलग करते हुए नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।
इसलिए इस परीक्षा को निरस्त नहीं किया जाए। बता दें कि प्रार्थी प्रकाश कुमार व अन्य की ओर से जनहित याचिका दाखिल कर सीजीएल परीक्षा निरस्त करने तथा पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराने का आग्रह किया गया है।

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