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    Jharkhand News: बीमार एचईसी को चलाना मुश्किल, दायित्वों को पूरा करने में भी अक्षम

    By Amit SinghEdited By: Kanchan Singh
    Updated: Wed, 19 Nov 2025 12:07 PM (IST)

    झारखंड में एचईसी की हालत नाज़ुक है। कंपनी को चलाना मुश्किल हो रहा है और अपने दायित्वों को निभाने में भी असमर्थ है। आर्थिक तंगी की वजह से कर्मचारियों को वेतन देने में भी दिक्कतें आ रही हैं। कंपनी के भविष्य को लेकर चिंता बनी हुई है।

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    हैवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन लिमिटेड (एचईसी) कंपनी बंद होने के कगार पर पहुंच गई है।

    अमित सिंह, रांची। हैवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन लिमिटेड (एचईसी) कंपनी का धीरे-धीरे क्षरण हो रहा है। वर्तमान में बंद करने का मामला सार्वजनिक उपक्रम विभाग (वित्त मंत्रालय) के अधीन प्रक्रिया में है।

    कंपनी का संचित घाटा और देनदारियां 4300 करोड़ तक पहुंच गई हैं। 31 मार्च, 2025 तक वित्तीय देनदारियां 2,067 करोड़ दर्ज की गई हैं। कार्यशील पूंजी समाप्त हो गई है और यह 1,594 करोड़ तक पहुंच गई है।

    एचईसी संचालन के साथ वैधानिक दायित्वों को पूरा करने में असक्षम है। एचईसी स्वतंत्र इकाई है और अपने कर्मचारियों के वेतन आदि के लिए सीधे जिम्मेदार है।यह जानकारी भारी उद्योग मंत्रालय के अवर सचिव कन्हैया लाल ने झारखंड हाई कोर्ट में सितंबर में दिए गए शपथ पत्र में दी है।

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    मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि लगातार सात वित्तीय वर्ष में कंपनी को कुल 1663.06 करोड़ का घाटा हुआ है। नेशनल इंस्टीच्यूशन फार ट्रांसफार्मिंग ने अप्रैल, 2021 में एचईसी को बंद करने की सिफारिश की थी।

    इसके अलावा, कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में निवेश पर कोर समूहों के सचिवों (सीजीडी) द्वारा अगस्त, 2021 व बाद में सीईओ, एनआइटीआइ आयोग, निवेश व सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग, भारी उद्योग मंत्रालय और सार्वजनिक उद्यम विभाग के सचिवों और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधियों की समिति द्वारा वर्ष 2023 में भी बंद करने की सिफारिश की गई है।

    मंत्रालय नहीं है जिम्मेदार

    शपथ पत्र के अनुसार, एचईसी भारी उद्योग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। यह स्वयं के परिचालन, वित्तीय व वैधानिक दायित्वों के लिए जिम्मेदार है। मंत्रालय कर्मचारियों के दिन-प्रतिदिन प्रबंधन या वेतन, मजदूरी या वैधानिक देयों के भुगतान की सीधी जिम्मेदारी नहीं लेता है।

    कंपनी को हुआ नुकसान

    वित्तीय वर्ष          नुकसान      

    2018-19         93.67 करोड़

    2019-20          405.37 करोड़

    2020-21          175.78 करोड़

    2021-22          256.07 करोड़

    2022-23          230.85 करोड़ 

    2023-24          275.19 करोड़

    2024-25          226.13 करोड़

    कुल योग            1663.06 करोड़


    पैकेज के रूप में मिल चुका है 4400 करोड़

    एचईसी की निवल संपत्ति 1992 में पूरी तरह से समाप्त हो गई थी। तब इसे औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड (बीआइएफआर) को भेजा गया था। बीआइएफआर ने कंपनी को बीमार घोषित किया और वर्ष 2004 में कंपनी को बंद करने की सिफारिश की।

    बंद करने का आदेश सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के पुनर्निर्माण बोर्ड (बीआरपीएसई) को भेजा गया। जिसने एचईसी के पुनरुद्धार की सिफारिश की। इसके बाद लगभग 4400 करोड़ की राशि केंद्र सरकार की ओर से 2005, 2008, 2013, 2014 और 2017 में पुनरुद्धार पैकेज के रूप में दी गई।

    इसके बाद भी कंपनी घाटे से बाहर नहीं आई। कमजोर प्रदर्शन और नुकसान में योगदान दिया। विनिवेश की योजना हो गई फेल केंद्र सरकार के पुनरुद्धार रणनीति के तहत नीति आयोग की सिफारिश के बाद विनिवेश का प्रयास किया गया था।

    वर्ष 2018 में एचईसी को परमाणु ऊर्जा विभाग में स्थानांतरित करने का भी प्रयास किया गया था। परमाणु ऊर्जा विभाग ने प्रशासनिक नियंत्रण को बनाए रखने की सिफारिश की थी, इसलिए यह नहीं हो सका।