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    इमारती लकड़ियों के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा झारखंड, मनरेगा आएगा काम

    By Ashish Jha Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Fri, 24 Oct 2025 12:40 AM (IST)

    झारखंड मनरेगा योजना के तहत इमारती लकड़ियों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। फलदार पौधों के आसपास सागवान, सखुआ, शीशम और महुआ जैसे इमारती लकड़ी के पौधे लगाए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों को पौधे लगाने और उनकी सुरक्षा करने की जिम्मेदारी दी गई है। योजना का लक्ष्य राज्य को इमारती लकड़ी के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।

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    आनेवाले कुछ वर्षों में झारखंड इमारती लकड़ियों के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहेगा

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    राज्य ब्यूरो,रांची। आनेवाले कुछ वर्षों में झारखंड इमारती लकड़ियों के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहेगा। इसके लिए आधार तैयार करने का काम महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार कार्यक्रम (मनरेगा) योजना के माध्यम से हो रहा है।

    इसके जरिए ग्रामीण और जंगल से सटे इलाकों में फलदार पौधों के इर्द-गिर्द इनकी सुरक्षा के दृष्टिकोण से इमारती लकड़ियों के पौधों को लगाया जा रहा है।

    राज्य में सागवान, सखुआ, शीशम और महुआ जैसी लकड़ियों के लिए पौधे लगाए जा रहे हैं। मनरेगा योजना से पौधरोपण होने के साथ ही यह बात सुनिश्चित होती दिखती है कि इन पौधों की कम से कम पांच वर्ष तक रक्षा होती रहेगी।

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    सखुआ, सागवान और महुआ पर जोर

    झारखंड में इमारती लकड़ियों को देखें तो यहां के किसानों का जोर सखुआ, सागवान, महुआ आदि पेड़ों पर अधिक रहता है। सखुआ जहां कठाेर, भारी और मजबूती के लिए पसंद किया जाता है वहीं सागवान को मजबूती और सुंदरतो के लिए पसंद किया जाता है।

    इनका उपयोग मकान के साथ-साथ फर्नीचर बनाने में भी किया जाता है। दूसरी ओर, महुआ एक बहुत ही उपयोगी वृक्ष है जिसकी लकड़ी पानी के प्रति प्रतिरोधी होती है। इसकी लकड़ी से दरवाजे और खंभे बनाए जाते हैं। कुछ इलाकों में शीशम के पौधे भी लगाए जा रहे हैं।

    आम लोगों की पसंद और मांग पर तैयार हो रहे बगीचे

    झारखंड में आम-लीची की बागवानी के लिए जिन इलाकों का चयन किया गया है वहां के स्थानीय लोगों की मांग पर ही इन बगीचों के इर्द-गिर्द इमारती लकड़ियों के पौधे लगाए जा रहे हैं।

    झारखंड में आम लोगों को ही इन पौधों को लगाने की जिम्मेदारी दी गई है और इन्हीं काे इनकी सुरक्षा करने का जिम्मा भी दिया जाता है। इस प्रकार ना सिर्फ अच्छे किस्म के पौधे लगते हैं बल्कि इनकी सुरक्षा भी होती रहती है।

    • वर्ष -                           जिलों की संख्या -   इमारती लकड़ियों के पौधे
    • 2016- 17                     04                        00
    • 2017-18                      14                        58461
    • 2018-19                      24                        00
    • 2019-20                      18                         00
    • 2020-21                      24                         7,04,789
    • 2021-22                      24                         12,64,986
    • 2022-23                      24                          8,37,320
    • 2023-24                      24                          22,07,774
    • 2024-25                      24                          7,27,232
    • ----------------------
    • कुल पौधे : 58,00,562