Bihar Election 2025: झारखंड में दिखेगा बिहार चुनाव की खटास का असर, मौके की ताक में झामुमो
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से किनारा कर लिया है, क्योंकि सीट बंटवारे में उसे दरकिनार कर दिया गया। राजद और कांग्रेस ने झामुमो की मांग को अनसुना कर दिया। झामुमो ने झारखंड में गठबंधन का सम्मान किया है। इस निर्णय से विपक्षी एकता को चोट पहुंच सकती है और झारखंड के राज्यसभा चुनावों पर असर पड़ेगा। भाजपा ने झामुमो पर कटाक्ष किया है।

हेमंत सोरेन और तेजस्वी यादव।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) से पूरी तरह किनारा कर लिया है। पार्टी ने विधिवत घोषणा की है कि वह चुनाव नहीं लड़ेगी। यह निर्णय सीट बंटवारे में दरकिनार किए जाने के बाद लिया गया है। बिहार में गठबंधन के प्रमुख घटक राजद और कांग्रेस ने झामुमो की सीटों की मांग को नजरअंदाज कर दिया था।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। अंतिम क्षण में घटक दलों ने मुंह मोड़ लिया था। इसके विपरीत झामुमो ने झारखंड में हमेशा गठबंधन का सम्मान किया। 2019 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो ने राजद को सात सीटें दीं और 2024 के विधानसभा चुनाव में बंटवारे के तहत छह सीटें दी गई।
दोनों चुनाव के बाद मंत्रिमंडल में राजद के एक विधायक को मंत्री पद भी मिला। अब झामुमो की नाराजगी झारखंड में गठबंधन पर असर डालेगी, जहां झामुमो के पास सबसे ज्यादा विधायक हैं। बिहार में गठबंधन की खटास झारखंड में झामुमो के दबदबे को मजबूत करेगी, क्योंकि पार्टी की गठबंधन के घटक दलों खासकर राजद पर किसी प्रकार की निर्भरता नहीं है।
विपक्षी एकता में दरार की नींव, आगे पड़ेगा प्रभाव
बिहार में कड़वा अनुभव के बाद झामुमो में घोर नाराजगी है। यह कदम विपक्षी एकता को चोट पहुंचा सकता है। चुनाव के बाद सबसे बड़ा असर झारखंड में होने वाले आगामी राज्यसभा चुनावों पर पड़ेगा। दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन से एक सीट रिक्त हुआ है। इसपर झामुमो की स्वाभाविक दावेदारी है।
इसके अलावा जून 2026 में भाजपा के राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राज्यसभा चुनाव होगा, जिसपर झामुमो दावा ठोकेगा। गठबंधन में झामुमो की मजबूत स्थिति है और इसमें उसे किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी।
बिहार के परिणाम पर भी दारोमदार
बिहार चुनाव के बाद झारखंड में गठबंधन की समीक्षा करने का झामुमो ने निर्णय लिया है। जाहिर है इसके माध्यम से झामुमो ने साथी दलों को चेतावनी दी है। हालांकि 14 नवंबर को बिहार विधानसभा का चुनाव परिणाम आने के बाद ही अंतिम फैसला होगा। कुल मिलाकर बिहार में गठबंधन की खटास झारखंड पर असर दिखाएगी, जहां झामुमो मौके का फायदा उठाकर दबदबा दिखाएगा।
भाजपा को तंज कसने का मिला मौका
बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो को नजरंदाज किए जाने पर भाजपा ने तंज कसा है। पार्टी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने नसीहत दी है कि मोर्चा ने इतनी बार यू टर्न मारा है कि अब उसे जेएमएम (यू) कहना चाहिए। शुरुआत में ये 16 सीट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। फिर यू टर्न मारा और सीटों की संख्या 12 कर दी। उसके बाद गठबंधन के नेताओं से मिले। कहा कि सीटों पर फैसला हो गया।
इसके बाद फिर टर्न मारा और सीटों की संख्या तीन तक घटा दी। गठबंधन ने जब ठेंगा दिखाया तो छह सीटों पर लड़ने की घोषणा की। 24 घंटे में फिर से यू टर्न मारा और एक भी सीट पर नामांकन नहीं किया। लंबे समय तक झारखंड मुक्ति मोर्चा याचना करती रही, लेकिन गठबंधन में उनकी दाल नहीं गली। सवाल उठाया कि पार्टी समीक्षा की बात कह रही है तो क्या कांग्रेस व राजद के विधायकों को मंत्री पद से हटाया जाएगा?
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