कुड़मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग, दिल्ली में प्रदर्शन के बाद आर्थिक नाकेबंदी की चेतावनी
कुड़मी समाज ने जंतर-मंतर पर अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। शीतल ओहदार ने कहा कि 75 वर्षों से कुड़मियों के साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि मांग पूरी न होने पर झारखंड में चक्का जाम किया जाएगा। प्रदर्शन में कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की भी मांग की गई।

राज्य ब्यूरो,रांची। कुड़मियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नहीं किया तो समाज आर्थिक नाकेबंदी करने को मजबूर होगा। यह बातें समाज के अगुआ नेता शीतल ओहदार ने नई दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान कहीं।
ओहदार की अध्यक्षता में झारखंड, बंगाल और ओडिशा के कुड़मियों ने धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम में अपनी सहभागिता दर्ज कराई। इसके माध्यम से कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई।
इस धरना प्रदर्शन में मुख्य रूप से कुड़मी समाज पश्चिम बंगाल के केंद्रीय अध्यक्ष राजेश महतो, ओडिशा आदिवासी कुड़मी सेना के केंद्रीय अध्यक्ष दिव्य सिंह महंता सहित दर्जनों महिला पुरुष शामिल हुए।
धरना प्रदर्शन में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए शीतल ओहदार ने कहा कि हम कुड़मियों के साथ विगत 75 वर्षों से अन्याय होता आया है। आज के ही दिन छह सितंबर 1950 को कारपोरेट घरानों के इशारे पर हमें जनजातीय अधिकार से वंचित किया गया और पिछड़ी जाति के श्रेणी में रखा गया।
ओहदार ने कहा कि विपरीत परिस्थिति में झारखंड, प.बंगाल और ओडिशा के कुड़मी अति सुदूर क्षेत्र से दिल्ली के जंतर-मंतर में आना पड़ा। इस संघर्ष से आपने हक अधिकार के प्रति सजग होने का प्रमाण दिया है।
ओहदार ने कहा कि कुड़मियों को प्रथम जनगणना 1901ई० एवं 1911ई० में "एबोरिजिनल ट्राईब" 1921 ई० में "एनीमिस्ट ट्राईब" तथा 1931 ई० में "प्रिमिटिव ट्राइब" की श्रेणी में रखा गया था। आजादी के बाद अचानक ही हमें ट्राईब की श्रेणी से हटा दिया गया, कारण यह रहा कि हमारे जमीन के अंदर विभिन्न प्रकार के खनिज-अयस्क भरे पड़े हैं और पूंजीपतियों का इस खनिज पदार्थ पर गीद्ध नजर हमेशा से रहा कारण तत्कालीन सरकार के कुछ नेताओं की मिलीभगत से हमें एसटी में ना रखकर बैकवर्ड क्लास में रखा गया।
धरना प्रदर्शन के माध्यम से केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि कुड़मियों को अविलंब अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू नहीं होती है तो संपूर्ण झारखंड में चक्का जाम करने की घोषणा की जाएगी।
यहां से खनिज अयस्क को बाहर नहीं दिया जाएगा। ओडिशा के दिव्या सिंह मोहंता ने कहा कि कुड़मियों को लगातार 75 वर्षों तक संघर्ष करने के बाद भी संवैधानिक अधिकार से वंचित किया गया है। इस कार्यक्रम में शामिल महिला पुरुषों ने अपने परंपरागत पोशाक और संस्कृति को प्रदर्शित किया। जिसमें छऊ नृत्य, झुमर नृत्य, पैका नृत्य आदि का प्रदर्शन किया गया।
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