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    Jharkhand News: भैंस बेचा, कर्ज लिया तब बना सरकारी कुआं, अब पैसे के लिए लगाने पड़ रहे दफ्तर के चक्कर

    सतबरवा प्रखंड में मनरेगा योजनाओं की स्थिति खराब है। मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही जिससे उन्हें कर्ज लेना पड़ रहा है। कई मजदूरों ने संपत्ति बेचकर काम पूरा किया पर भुगतान अटका हुआ है। रबदा पंचायत के गुडविल सिंह और बधन सिंह जैसे लाभुकों को सामग्री मद का पैसा नहीं मिला।

    By Sachidanand Kumar Edited By: Nishant Bharti Updated: Thu, 28 Aug 2025 03:16 PM (IST)
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    मनरेगा के कूप पर संकट मजदूरी रुकी, सामग्री मद गायब

    संवाद सूत्र,सतबरवा (पलामू)। सतबरवा प्रखंड में मनरेगा योजनाओं की स्थिति बदहाल है। कहीं मजदूरी भुगतान अटका हुआ है तो कहीं सामग्री मद की राशि का कोई अता-पता नहीं है। हालात ऐसे हैं कि लाभुकों को अधूरी योजनाएं पूरी करने के लिए कर्ज तक लेना पड़ रहा है। कई जगहों पर मजदूरों ने मजबूरी में अपनी संपत्ति, यहां तक कि भैंस तक बेचकर काम पूरा कराया है।

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    मजदूरों का कहना है कि उन्होंने पसीना बहाकर काम पूरा कर दिया, लेकिन महीनों गुजरने के बाद भी भुगतान नहीं हो रहा। कहीं मजदूरी की राशि अटकी है, कहीं सामग्री मद का पैसा नहीं आया, तो कहीं बीच में ही राशि काट ली गई।

    ग्रामीणों का आरोप है कि यह स्थिति न सिर्फ सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करती है बल्कि प्रखंड स्तर पर प्रशासनिक लापरवाही की भी पोल खोलती है। जब मजदूरों ने काम पूरा कर दिया तो भुगतान रोकने का औचित्य आखिर क्या है ?

    रबदा पंचायत के चेतमा गांव निवासी गुडविल सिंह को 21 मार्च 2021 को मनरेगा के तहत सिंचाई कूप स्वीकृत हुआ था। 3 अप्रैल 2021 से काम शुरू हुआ और इसे छह माह में पूरा करना था। रिकॉर्ड के अनुसार 11 जनवरी 2023 तक 23 मजदूरों ने यहां काम किया और 448 कार्य दिवस में 1,03,464 रुपये मजदूरी का भुगतान हुआ। लेकिन आज तक सामग्री मद का एक भी रुपया नहीं मिला।

    गुडविल सिंह बताते हैं कि पहले पत्नी अंजली देवी के नाम से महिला समूह से 50 हजार रुपये कर्ज लिया। 2023 की बरसात में कूप भरक गया तो कैशपार से 40 हजार रुपये और कर्ज लेना पड़ा। जब भुगतान नहीं हुआ तो दो भैंस 48 हजार रुपये में बेचनी पड़ी। अब रोजगार सेवक महीनों से सिर्फ टालमटोल कर रहे हैं।

    इस संबंध में कनीय अभियंता का कहना था कि मुझे पदभार लिए दो वर्ष हो चुके हैं। यह पुराना मामला है। गुडविल सिंह के कूप से संबंधित कोई रिकार्ड मेरे पास नहीं है। वर्तमान में जो नए कूप बन रहे हैं, उनमें सामग्री मद का 50 हजार रुपये भुगतान हुआ है। पुराने मामलों की स्थिति एमबी देखने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी।

    रबदा पंचायत के फुलवरिया गांव निवासी बधन सिंह को 20 सितंबर 2023 को बिरसा सिंचाई समवर्धन कूप योजना स्वीकृत हुई थी। योजना संख्या 65650 की प्राक्कलन राशि 4 लाख 2 हजार 547 रुपये तय की गई थी।

    रिकार्ड के अनुसार 13 मजदूरों और 20 मास्टर रोल के जरिए 1 लाख 12 हजार 623 रुपये मजदूरी का भुगतान हुआ और 415 कार्य दिवस दर्शाए गए, जबकि एक कूप में सामान्यतः करीब 900 कार्य दिवस रोजगार सृजित होता है।

    लाभुक की शिकायत पर 2 अगस्त 2024 को नरेगा लोकपाल शंकर कुमार ने जांच की। उस समय केवल 35 हजार रुपये ही मिले थे। जांच के बाद 77 हजार 623 रुपये और भुगतान हुए, मगर सामग्री मद का पैसा अब तक जारी नहीं हुआ।

    लाभुक बधन सिंह का आरोप है कि भेंडर ने मटेरियल के नाम पर केवल 25–26 हजार रुपये दिए, शेष राशि काट ली गई। मजदूर पैसे की मांग कर रहे हैं और सामग्री खरीदने के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ा।

    रोजगार सेवक ने भी माना कि मटेरियल का भुगतान नहीं हुआ है। लोकपाल का कहना है कि सामग्री मद बाद में भी दिया जा सकता है, लेकिन 900 कार्य दिवस की जगह 415 दिन दिखाना जांच का विषय है।