Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मानव-हाथी संघर्ष में पांच साल में देशभर में 2,829 मानव मौतें, इन जिलों में गजराज का ज्यादा आतंक

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 01:48 PM (IST)

    पूर्वी भारत के पांच राज्य ओडिशा झारखंड बंगाल असम और छत्तीसगढ़ मानव-हाथी संघर्ष में सर्वाधिक नुकसान उठा रहे हैं। ओडिशा पहले और झारखंड दूसरे स्थान पर है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2019 से 2024 तक देशभर में हाथी हमलों से 2829 मानव मौतें हुईं जिनमें झारखंड में 474 मौतें दर्ज की गईं।

    Hero Image
    मानव-हाथी संघर्ष में सर्वाधिक नुकसान ओडिशा एवं झारखंड को हो रहा है।

    प्रदीप सिंह, रांची। पूर्वी भारत के पांच राज्य ओडिशा, झारखंड, बंगाल असम और छत्तीसगढ़ मानव-हाथी संघर्ष में सर्वाधिक नुकसान उठा रहे हैं।

    ओडिशा पहले और झारखंड दूसरे स्थान पर है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2024 तक देशभर में हाथी हमलों से 2,829 मानव मौतें हुईं, जिनमें झारखंड में 474 मौतें दर्ज की गईं। 

    जबकि ओडिशा में 624 जानें गईं। बंगाल, असम और छत्तीसगढ़ क्रमशः नुकसान के पायदान पर तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर हैं।

    एलीफेंट कारिडोर नष्ट होने से बढ़ा ज्यादा टकराव

    झारखंड के सरायकेला-खरसावां, लातेहार, गुमला और पश्चिम सिंहभूम जैसे जिले इस संघर्ष से सबसे अधिक प्रभावित हैं। राज्य में कोयला खनन और मानव बस्तियों के जंगली क्षेत्रों में विस्तार ने हाथियों के प्राकृतिक गलियारों (एलीफेंट कारिडोर) को नष्ट किया है, जिससे टकराव ज्यादा बढ़ा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हाथी फसलों को नष्ट करते हैं, जिससे किसानों में आक्रोश पनपता है। राज्य में वन विभाग ने ड्रोन और रैपिड रिस्पांस टीमें तैनात की हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में नहीं है।

    ओडिशा के ढेंकानाल (31 मौतें), अंगुल (24 मौतें), सुंदरगढ़ (22 मौतें) और क्योंझर (18 मौतें) जैसे जिले सबसे प्रभावित हैं।

    ओडिशा में हाथियों की संख्या अपेक्षाकृत कम (1,976) होने के बावजूद संघर्ष अधिक है, क्योंकि वन क्षेत्र तेजी से सिकुड़ रहे हैं। राज्य सरकार ने 'जना सुरक्षा, गजा रक्षा' योजना के तहत सोलर फेंसिंग और कुमकी हाथियों का उपयोग शुरू किया है, लेकिन मौतें रुकने का नाम नहीं ले रही।

    सारंडा से ओडिशा तक का एलीफेंट कारिडर खनन से नष्ट

    झारखंड के पश्चिम सिंहभूम में स्थित एशिया के सर्वाधिक सघन वन क्षेत्र सारंडा से लेकर ओडिशा के सुंदरगढ़ तक का एलीफेंट कारिडोर खनन से नष्ट हो गया है, जिससे हाथी भटक रहे हैं।

    राज्य सरकार ने जागरूकता अभियान चलाए हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। वन विभाग के अनुसार, हाथी निगरानी के लिए ड्रोन और रैपिड रिस्पांस टीम का उपयोग हो रहा है, फिर भी संघर्ष जारी है।

    हाथी 12-18 घंटे भोजन की तलाश में भटकते हैं, जिससे मानव बस्तियों में टकराव होता है। झारखंड में कोयला खनन ने गलियारों को बाधित किया है। इससे न केवल मानव मौतें हो रही हैं, बल्कि फसल नुकसान से आर्थिक हानि भी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

    गजराजों को भी हो रहा भारी नुकसान

    वन क्षेत्र में अतिक्रमण से हाथियों की मौतें भी बढ़ीं है। 2019-24 में 528 मौतें हुई है, जिनमें 392 विद्युत झटके की घटनाएं है। पूर्वी राज्यों में 55% मौतें हैं, जबकि हाथी की आबादी केवल 10% है।

    केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत 33 हाथी रिजर्व स्थापित किया है, जिनमें झारखंड में एक शामिल है।

    राज्यों को सोलर फेंसिंग, वैकल्पिक फसलें (मिर्च, लेमनग्रास) और जागरूकता पर जोर देने की सलाह दी गई है। ओडिशा-झारखंड के बीच एलीफेंट गलियारा बहाली भी आवश्यक है ताकि हाथी नहीं भटकें।

    comedy show banner
    comedy show banner