Jharkhand Politics: पेसा कानून पर मचा सियासी घमासान, भाजपा पर पलटवार करेगा सत्तारूढ़ गठबंधन
झारखंड में पेसा कानून को लागू करने को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। भाजपा आदिवासियों की सहानुभूति पाने के लिए दबाव बना रही है जिस पर महागठबंधन ने पलट ...और पढ़ें

प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा) को लागू करने को लेकर सियासी तनातनी चरम पर है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पेसा कानून को लागू करने का दबाव बनाकर आदिवासी समुदाय की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश की है, जिससे सत्तारूढ़ महागठबंधन सतर्क हो गया है।
महागठबंधन ने इस दबाव को भाजपा की राजनीतिक चाल करार देते हुए पलटवार की रणनीति तैयार की है। इसके तहत व्यापक प्रचार युद्ध शुरू करने की योजना है, जिसका थीम होगा कि भाजपा ने अपने शासनकाल में पेसा कानून लागू नहीं किया तो अब अनावश्यक दबाव क्यों?
इस रणनीति में आदिवासी संगठनों की आड़ में भाजपा की कथित साजिश का पर्दाफाश और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के शासनकाल में आदिवासी दमन के मुद्दे को उछाला जाएगा।
पेसा कानून को लेकर एक्टिव दिखे रघुवर दास
भाजपा, विशेष रूप से रघुवर दास ने हाल के दिनों में पेसा कानून को लागू करने की मांग को जोर-शोर से उठाया है। बीते 26 जून को जमशेदपुर में रघुवर दास ने हेमंत सोरेन सरकार पर पेसा कानून लागू करने में उदासीनता का आरोप लगाया और पूछा कि मुख्यमंत्री किससे डर रहे हैं?
उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने 2018 में पेसा नियमावली के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली थी। महागठबंधन इसे भाजपा की रणनीति मानता है, जिसका मकसद सरकार को जल्दबाजी में गलती करने के लिए मजबूर करना है, ताकि इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया जा सके।
हेमंत सोरेन सरकार में शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने 28 जून को कहा कि भाजपा ने 15-16 साल शासन किया, तब पेसा कानून लागू क्यों नहीं किया? अब केवल राजनीति के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
महागठबंधन का प्रचार युद्ध: थीम और रणनीति
महागठबंधन ने भाजपा के इस दबाव का जवाब देने के लिए आक्रामक प्रचार अभियान की योजना बनाई है। इसका मुख्य थीम होगा कि भाजपा ने अपने शासनकाल में आदिवासी हितों की उपेक्षा की और अब केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए पेसा कानून का मुद्दा उठा रही है।
प्रचार में यह बताया जाएगा कि रघुवर दास के शासनकाल में आदिवासी समुदायों का दमन हुआ। लैंड बैंक के लिए भूमि अधिग्रहण हुए और ग्राम सभाओं की अनदेखी की गई। पत्थरगढ़ी को लेकर भी जुल्म हुआ। महागठबंधन इन मुद्दों को उजागर करेगा।
आदिवासी संगठनों की आड़ में साजिश का पर्दाफाश
महागठबंधन का दावा है कि भाजपा कुछ पाकेट आदिवासी संगठनों का इस्तेमाल कर माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। इन संगठनों को भाजपा का समर्थन प्राप्त होने का आरोप है, जिसे महागठबंधन अपने प्रचार में उजागर करेगा।
महागठबंधन यह साबित करने की कोशिश करेगा कि भाजपा का दबाव केवल दिखावा है। कांग्रेस, जो महागठबंधन का हिस्सा है, पहले भी दावा कर चुकी है कि भाजपा ने पेसा कानून को कमजोर करने की कोशिश की।
पेसा कानून पर छिड़ी सियासी जंग झारखंड की राजनीति को नया मोड़ दे रही है। यह प्रचार युद्ध न केवल पेसा कानून बल्कि आदिवासी पहचान और अधिकारों की लड़ाई को भी केंद्र में लाएगा।

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