बार काउंसिल चुनाव का नामांकन शुल्क कम करने के लिए याचिका दायर, 1.25 लाख शुल्क रखने को बताया अनुचित
बार काउंसिल चुनाव के लिए नामांकन शुल्क 1.25 लाख रुपये निर्धारित करने के खिलाफ याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह शुल्क बहुत अधिक है और कई संभावित उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोकता है। उन्होंने अदालत से बार काउंसिल को शुल्क कम करने का निर्देश देने का आग्रह किया है ताकि सभी को समान अवसर मिल सके।

राज्य ब्यूरो, रांची। बार काउंसिल चुनाव में नामांकन शुल्क 1.25 लाख रुपये किए जाने के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने याचिका दायर कर नामांकन शुल्क में बढ़ोतरी को अनुचित बताते हुए तत्काल प्रभाव से इस पर रोक लगाने का आग्रह किया है।
याचिका में कहा गया है कि पिछले चुनाव में नामांकन शुल्क दस हजार रुपये निर्धारित था। लेकिन बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआइ) ने नामांकन शुल्क 1.25 लाख कर दिया है। इससे आम अधिवक्ता चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित हो जाएंगे।
कहा- इससे पूंजीवादी संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा
इससे केवल पूंजीवादी संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। शुल्क बढ़ोतरी से आम अधिवक्ताओं के अधिकार का हनन होगा। बीसीआइ के प्रिंसिपल सेक्रेटरी श्रीमंतो सेन ने 25 सितंबर को सभी स्टेट बार काउंसिल को पत्र भेजा है।
इसमें सुप्रीम कोर्ट के 24 सितंबर के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि सभी राज्यों में स्टेट बार काउंसिल चुनाव 31 जनवरी 2026 तक संपन्न करा लिए जाएं। कोर्ट ने इसके लिए सात सदस्यीय चुनाव समिति गठित करने के भी निर्देश दिए हैं।
इसी क्रम में बीसीआइ ने चुनावी प्रक्रिया के लिए आवश्यक व्यय जुटाने के उद्देश्य से नामांकन शुल्क में बढ़ोतरी का निर्णय लिया है। बीसीआइ ने अपने आदेश में कहा है कि ला ग्रेजुएट्स के नामांकन शुल्क को सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 16 हजार रुपये से घटाकर मात्र 600 रुपये कर दिया है।
इस कारण स्टेट बार काउंसिल की आय में भारी गिरावट आई है और उनके पास चुनाव आयोजन के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं बचे हैं। खर्चों की भरपाई के लिए नामांकन शुल्क बढ़ाने की आवश्यकता बताई गई है।
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