Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    झारखंड में बदली राजस्व नीति का दिख रहा असर, अब बालू-मिट्टी भी भरेगी सरकार का खजाना

    झारखंड में राजस्व बढ़ोतरी के लिए सरकार ने जो कमेटी बनाई उसकी अनुशंसाओं पर काम होने का फल मिलना शुरू हो गया है। चालू वित्तीय वर्ष में विभिन्न माध्यमों से राज्य सरकार का राजस्व लगातार बढ़ रहा है। सबसे बड़ी उछाल बालू से प्राप्त राजस्व में संभावित है। पिछले वित्तीय वर्ष में बालू से प्राप्त कुल राजस्व 10 करोड़ का आंकड़ा भी नहीं छू पाया था।

    By Ashish Jha Edited By: Kanchan Singh Updated: Thu, 28 Aug 2025 05:37 PM (IST)
    Hero Image
    अब बालू-मिट्टी से भरेगा राज्य का खजाना।

    आशीष झा, रांची। झारखंड में राजस्व बढ़ोतरी के लिए सरकार ने जो कमेटी बनाई उसकी अनुशंसाओं पर काम होने का फल मिलना शुरू हो गया है। चालू वित्तीय वर्ष में विभिन्न माध्यमों से राज्य सरकार का राजस्व लगातार बढ़ रहा है। सबसे बड़ी उछाल बालू से प्राप्त राजस्व में संभावित है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पिछले वित्तीय वर्ष में बालू से प्राप्त कुल राजस्व 10 करोड़ का आंकड़ा भी नहीं छू पाया था। वहीं चालू वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा 2800 करोड़ से ऊपर होने का अनुमान है। इस अनुमान के नजदीक भी पहुंचना एक बड़ी उपलब्धि होगी।

    परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो यह आंकड़ा और अधिक हो सकता है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि झारखंड में सरकार के प्रयासों से बालू भी सोना उगलने लगेगा। ईमानदारी से प्रयास हो तो सरकार का खजाना भरेगा ही।

    पिछली नीति का फायदा आम लोगों से अधिक बिचौलियों को 

    झारखंड में बालू की दर सब्सिडी देने के बाद निर्धारित होने से इसका लाभ आम लोगों से कहीं अधिक बिचौलियों को हो रहा था। कम कीमत पर बालू खरीद कर ठेकेदार आम लोगों से दो से तीन गुना पैसा वसूल रहे थे।

    अब ऐसा नहीं होगा। बालू के भंडारण से लेकर बिक्री तक के लिए जो नीति बनी है, वह बाजार आधारित प्रतियोगी दर के अनुरूप काम करेगी। इससे बालू की कीमतें भी नियंत्रण में हों और बिचौलियों पर भी लगाम कसा जा सकेगा।

    हाई पावर कमेटी की अनुशंसा पर हो रहा काम

    पिछले वर्ष झारखंड में राजस्व बढ़ाने के लिए एक हाई पावर कमेटी का गठन हुआ था जिसके निर्देश पर शुरू हुए प्रयासों का असर दिखने लगा है।

    इसी कमेटी ने बालू बिक्री को लेकर नीति बदलने की अनुशंसा की थी जिसका लाभ अब झारखंड को मिलता दिख रहा है। वाणिज्य कर एवं राजस्व के अन्य रास्ते भी खुल रहे हैं।

    समीक्षा बैठक के दौरान मुख्य सचिव को दी गई जानकारी

    बुधवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के दौरान राजस्व बढ़ोतरी के तमाम संसाधनों की अपडेट जानकारी दी गई।

    उन्हें बताया गया कि बालू से प्राप्त राजस्व में कई गुना की बढ़ोतरी संभावित है। ज्ञात हो कि बालू को लेकर नई नीति अक्टूबर माह से प्रभावित होगी। फिलहाल एनजीटी की ओर से खनन पर रोक है। -

    आंकड़े बता रहे सही रास्ते पर आगे बढ़ रही सरकार

    राज्य के स्वयं के कर राजस्व में पहली चार माह में ही 30 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। राज्य सरकार की ओर से विभिन्न स्तरों पर वसूली जा रही करों जिसे स्टेट ओन टैक्स भी कहते हैं में शुरुआत के चार महीनों में ही बढ़ोतरी देखी जा रही है।

    इससे यह बात भी स्पष्ट है कि सरकार सही रास्ते पर आगे बढ़ रही है। राज्य माल और सेवा कर (एसजीएसटी), राज्य उत्पाद शुल्क, वाहनों पर कर, स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क, भूमि राजस्व, माल और यात्रियों पर कर आदि शामिल हैं।

    राज्य के अपने टैक्स का तुलनात्मक आकलन बता रहा है कि जुलाई महीने तक ही प्रदेश को पिछले वर्ष की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक राशि की उगाही हुई है।

    ईडी की रेड का असर उत्पाद कर संग्रह पर

    झारखंड में उत्पाद घोटाला का मामला हो अथवा उत्पाद से जुड़े अधिकारियों के ऊपर नियमित तौर पर ईडी की रेड का, असर राजस्व संग्रह पर स्पष्ट तौर से दिख रहा है।

    पिछले वर्ष जुलाई महीने के अंत तक जहां 919.54 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था वहीं इस वर्ष यह आंकड़ा 25 प्रतिशत कम होकर 686.05 करोड़ रुपये पर टिक गया है। वहीं राजस्व के अन्य माध्यमों से सरकार की आमदनी बढ़ रही है।

    भू राजस्व 488% बढ़ा, निबंधन से भी आमदनी बढ़ी

    पिछले वर्ष 138.45 करोड़ की तुलना में झारखंड में राजस्व विभाग को चालू वर्ष में अब तक 813.61 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हो चुके हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 488 प्रतिशत है।

    इसके अलावा निबंधन के माध्यम से भी सरकार का राजस्व बढ़ा है। निबंधन के माध्यम से झारखंड को पिछले वर्ष की तुलना में 42 प्रतिशत अधिक राजस्व मिला।

    विभिन्न माध्यमों से प्राप्त राजस्व कर का आंकड़ा

    • विभागवार टैक्स             जुलाई 2025          जुलाई 2024              अंतर
    • वाणिज्य कर                   7764                  7178                        08%
    • भू राजस्व                       813.61               138.45                      488%
    • उत्पाद कर                     686.05                919.54                     25%
    • निबंधन                          634.10                440.67                    44%
    • परिवहन                         644.29                606.16                      06%