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    Land Mutation: लखराज जमीन की हो गई खरीद-बिक्री! अधिकारियों ने म्यूटेशन और लगान तक फिक्स कर दिया

    साहिबगंज जिले के बरहड़वा अंचल में भूमि घोटाले का मामला सामने आया है जिसमें लखराज श्रेणी की जमीन बेची गई। सिरासिन मौजा में भूमि माफियाओं ने यह काम किया और अधिकारियों ने म्यूटेशन करके लगान भी निर्धारित कर दिया। एक प्राचीन शिव मंदिर की जमीन पर भी विवाद है जिससे ग्रामीणों ने सुरक्षा की गुहार लगाई है। मामले की जांच जारी है।

    By Pranesh Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 31 Jul 2025 02:46 PM (IST)
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    बरहड़वा में लखराज जमीन की भी हो गई खरीद-बिक्री!

    डॉ. प्रणेश, साहिबगंज। साहिबगंज जिले के बरहड़वा अंचल में हुए भूमि घोटाले में हर रोज नए-नए तथ्य निकल कर सामने आ रहे हैं। सिरासिन मौजा में लखराज श्रेणी की जमीन भी भूमि माफियों ने बेच दी तथा अधिकारियों ने उसका म्यूटेशन कर लगान भी निर्धारित कर दिया। लखराज श्रेणी की जमीन मुगलकाल में विभिन्न श्रेणियों के लोगों को दी गई थी तथा यह लगान मुक्त थी।

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    खतियान में भी इसके लगान मुक्त होने का उल्लेख है। नियमत: इसकी खरीद बिक्री नहीं हो सकती है। वैसे भी लगान निर्धारण का अधिकार एलआरडीसी के पास है, लेकिन यहां कर्मचारी, सीआई व सीओ के स्तर से ही सब कुछ हो गया।

    सिरासिन मौजा के खाता नंबर 181 का प्लॉट संख्या 226, 228 व 230 इसी प्रकार की है, लेकिन रजिस्टर टू में 226 नंबर प्लॉट में से मनारूल शेख ने करीब छह बीघा जमीन अपने नाम पर करा लिया। खतियान में इसे पोखर बताया गया है। वर्तमान में भी वहां पोखर मौजूद है, लेकिन उसपर मुस्लिम समुदाय के लोगों का कब्जा है।

    नियमत: रैयती पोखर की बिक्री भी टुकड़ों में नहीं हो सकती। इसी खाता का प्लॉट संख्या 228 व 230 भी मनारूल शेख के नाम पर चढ़ा हुआ है।

    प्लॉट संख्या 228 में पांच कट्ठा 13 धुर तथा प्लॉट संख्या 230 में से आठ कट्ठा 11 धुर जमीन मनारूल शेख के नाम पर दर्ज है। उधर, खतियानी रैयत रजनीकांत दास के वंशज इस खाते की जमीन बेचने की बात से साफ इनकार कर रहे हैं।

    क्यों हो रही इस जमीन की चर्चा?

    बरहड़वा अंचल के सिरासिन मौजा (159) का जमाबंदी नंबर 181 रजनीकांत दास के नाम पर खतियान में दर्ज है। इस खाता में कुल 12 बीघा आठ कठ्ठा 14 धूर जमीन है। कुल आठ प्लाट है। इसी खाता के प्लाट संख्या 229 में एक प्राचीन शिव मंदिर है।

    आसपास के लोगों की मानें 1982 में इस मंदिर के पुजारी की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद वहां पूजा अर्चना बंद हो गई। शिवलिंग को गांव में ही एक व्यक्ति के यहां रख दिया गया। कुछ दिन पूर्व ग्रामीणों ने मंदिर के जीर्णोंद्धार का निर्णय लिया।

    इस काम के लिए ग्रामीण गए तो मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने उन्हें धमकाया। वहां लगाए गए बिजली के कनेक्शन को नोच दिया गया। मंदिर में रखे गए दानपेटी को भी उठाकर ले गए। इसके बाद ग्रामीणों ने अंचलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों को आवेदन देकर सुरक्षा की गुहार लगाई है।

    आवेदन में सिरासिन के मुस्लिम शेख, बबलू शेख, असराफल शेख के अलावा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के फरक्का थाना क्षेत्र के नजरूल शेख पर जमीन कब्जे का आरोप लगाया गया है।

    सामने आए तथ्यों की जांच पड़ताल करायी जाएगी जिसके बाद ही कुछ भी कहा जा सकता है। पूर्व में कुछ सरकारी जमीन के अतिक्रमण का मामला सामने आया था जिसे मुक्त कराने की कार्रवाई की जा रही है। - सदानंद महतो, एसडीओ, राजमहल