एचआइवी प्रकरण के बाद राज्य सरकार ने ब्लड बैंक जांच प्रणाली बदली
पश्चिमी सिंहभूम जिले में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने के बाद राज्य सरकार ने ब्लड बैंकों की जांच प्रणाली में बदलाव किया है। जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने चाईबासा सदर अस्पताल के ब्लड बैंक की जांच की और रैपिड किट की जगह लैब आधारित जांच को अनिवार्य कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने रक्तदाताओं के नमूने भी एकत्र करने शुरू कर दिए हैं।

चाईबासा स्थित ब्लड बैंक की जांच करने स्वास्थ्य विभाग की विशेष सचिव डा. नेहा अरोड़ा पहुंची।
ब्लड बैंक में अब रैपिड किट से नहीं होगी जांच, लैब टेस्ट अनिवार्य :
पश्चिमी सिंहभूम जिले में थैलेसीमिया से पीड़ित पांच बच्चों के एचआइवी पाजिटिव पाए जाने के गंभीर मामले की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति मंगलवार को चाईबासा पहुंची। राज्य सरकार द्वारा गठित इस समिति की अध्यक्ष विशेष सचिव (स्वास्थ्य) डा. नेहा अरोड़ा हैं। उनके साथ निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डा. सिद्धार्थ सान्याल, चिकित्सा शिक्षा निदेशक डा. एसके सिंह, राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय की संयुक्त निदेशक ऋतु सहाय, डब्ल्यूएचओ रांची के डा. अमरेन्द्र कुमार और रक्त कोष प्रभारी डा. सुष्मा कुमारी शामिल थे।
जांच के दौरान प्रभारी सिविल सर्जन डा. भारती गौरी मिंज, डा. शिव चरण हांसदा और डा. मीनू कुमारी भी मौजूद थीं। राज्य सरकार ने समिति को सात दिनों के भीतर अंतरिम रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। मामले में सिविल सर्जन डा. सुशांतो कुमार माझी, ब्लड बैंक प्रभारी डा. दिनेश संवैया और अन्य कर्मियों को निलंबित किया जा चुका है।

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