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    एचआइवी प्रकरण के बाद राज्य सरकार ने ब्लड बैंक जांच प्रणाली बदली

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 09:36 PM (IST)

    पश्चिमी सिंहभूम जिले में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने के बाद राज्य सरकार ने ब्लड बैंकों की जांच प्रणाली में बदलाव किया है। जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने चाईबासा सदर अस्पताल के ब्लड बैंक की जांच की और रैपिड किट की जगह लैब आधारित जांच को अनिवार्य कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने रक्तदाताओं के नमूने भी एकत्र करने शुरू कर दिए हैं।

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    चाईबासा स्थित ब्लड बैंक की जांच करने स्वास्थ्य विभाग की विशेष सचिव डा. नेहा अरोड़ा पहुंची।

    जागरण संवाददाता, चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम जिले में थैलेसीमिया से पीड़ित पांच बच्चों के एचआईवी पाजिटिव पाए जाने के गंभीर खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की नींद खुली। मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय समिति गठित की है। समिति ने चाईबासा सदर अस्पताल के ब्लड बैंक की जांच शुरू कर दी है। समिति ने जांच के दौरान स्पष्ट निर्देश दिया है कि अब राज्य के ब्लड बैंकों में रैपिड किट से नहीं, बल्कि केवल लैब आधारित जांच से ही रक्त परीक्षण किया जाएगा। संक्रमण की जड़ तक पहुंचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने उन सभी रक्तदाताओं के सैंपल भी इकट्ठा करने शुरू कर दिए हैं, जिनका रक्त संक्रमित बच्चों को चढ़ाया गया था।
     

    ब्लड बैंक में अब रैपिड किट से नहीं होगी जांच, लैब टेस्ट अनिवार्य :
    पश्चिमी सिंहभूम जिले में थैलेसीमिया से पीड़ित पांच बच्चों के एचआइवी पाजिटिव पाए जाने के गंभीर मामले की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति मंगलवार को चाईबासा पहुंची। राज्य सरकार द्वारा गठित इस समिति की अध्यक्ष विशेष सचिव (स्वास्थ्य) डा. नेहा अरोड़ा हैं। उनके साथ निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डा. सिद्धार्थ सान्याल, चिकित्सा शिक्षा निदेशक डा. एसके सिंह, राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय की संयुक्त निदेशक ऋतु सहाय, डब्ल्यूएचओ रांची के डा. अमरेन्द्र कुमार और रक्त कोष प्रभारी डा. सुष्मा कुमारी शामिल थे।

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    टीम ने केंद्र के तकनीशियन व कर्मचारियों से की पूछताछ : 
    समिति ने सदर अस्पताल स्थित रक्त अधिकोष की परीक्षण, भंडारण और वितरण प्रणाली की गहन जांच की। टीम ने अभिलेखों, परीक्षण रिपोर्टों, रक्त बैग की लेबलिंग, उपकरणों की कैलिब्रेशन और किट व रिएजेंट की गुणवत्ता की भी पड़ताल की। जांच टीम ने केंद्र के प्रभारी, तकनीशियन और कर्मचारियों से घंटों पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार, समिति अध्यक्ष ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि अब ब्लड बैंक में रैपिड किट से जांच नहीं की जाएगी। इसके स्थान पर लैब आधारित जांच को अनिवार्य बनाया गया है, ताकि भविष्य में किसी तरह की त्रुटि या संक्रमण की संभावना न रहे।
     
    बच्चों के ब्लड सैंपल जांच को भेजे गए रिम्स :
    इस बीच, एचआइवी संक्रमित सभी छह बच्चों के रक्त नमूने लेकर उन्हें रांची स्थित रिम्स लैब भेजा गया है। संक्रमण के स्रोत का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने उन रक्तदाताओं के भी नमूने लेने शुरू कर दिए हैं, जिनका रक्त इन बच्चों को चढ़ाया गया था। विभाग की टीमें रक्तदाताओं से संपर्क कर उनके घर जाकर सैंपल संग्रह कर रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि रक्तदाताओं की रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि संक्रमण ब्लड बैंक के माध्यम से फैला या किसी अन्य कारण से। स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
     
    सात दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का दिया आदेश :
    जांच के दौरान प्रभारी सिविल सर्जन डा. भारती गौरी मिंज, डा. शिव चरण हांसदा और डा. मीनू कुमारी भी मौजूद थीं। राज्य सरकार ने समिति को सात दिनों के भीतर अंतरिम रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। मामले में सिविल सर्जन डा. सुशांतो कुमार माझी, ब्लड बैंक प्रभारी डा. दिनेश संवैया और अन्य कर्मियों को निलंबित किया जा चुका है।