नारी शक्ति के लिए क्यों इतना खास है 8 मार्च का दिन? पढ़ें International Women’s Day का इतिहास
हर साल 8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day 2025) मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने लैंगिक समानता की वकालत करने और समाज में महिलाओं की भूमिका को सम्मान देने के लिए समर्पित है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन की शुरुआत कैसे हुई? आइए इसके इतिहास और महत्व को समझते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। International Women’s Day 2025: महिलाओं का सम्मान सिर्फ एक परंपरा या औपचारिकता नहीं, बल्कि समाज की उन्नति और विकास की सबसे अहम बुनियाद है। आज जब हम महिलाओं की ताकत और उपलब्धियों की बात करते हैं, तो 8 मार्च का दिन खुद-ब-खुद एक प्रतीक बन जाता है।
यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि नारी शक्ति के संघर्ष, संकल्प और सफलता का उत्सव है। दुनिया भर में इस दिन को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस खास दिन की शुरुआत कैसे हुई?
क्या आप जानते हैं कि यह दिन नारी सशक्तिकरण, समानता और अधिकारों की लंबी लड़ाई का परिणाम है? आइए, इस आर्टिकल में हम आपको महिला दिवस के इतिहास, इसके महत्व (March 8 Women’s Day Significance) और इस साल की थीम के बारे में बताते हैं।
महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई?
आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं, लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था। एक समय था जब महिलाओं को न तो शिक्षा का अधिकार था, न ही वोट देने का और न ही उन्हें पुरुषों के बराबर माना जाता था। इस असमानता के खिलाफ महिलाओं ने आवाज उठाई और 1908 में न्यूयॉर्क शहर में करीब 15,000 महिलाओं ने एक विशाल प्रदर्शन किया। वे कम वेतन, बेहतर काम करने की परिस्थितियां और वोटिंग के अधिकार की मांग कर रही थीं।
इस आंदोलन ने पूरे विश्व का ध्यान खींचा और 1910 में डेनमार्क के कोपेनहेगन शहर में एक अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में जर्मनी की समाजवादी नेता क्लारा जेटकिन ने यह प्रस्ताव रखा कि हर साल एक दिन महिलाओं के अधिकारों और समानता के लिए समर्पित किया जाना चाहिए। इस विचार को कई देशों ने अपनाया और 1911 में पहली बार ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया।
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8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है महिला दिवस?
रूस में 1917 की क्रांति के दौरान महिलाओं ने बड़ी संख्या में प्रदर्शन किया। उन्होंने युद्ध के खिलाफ आवाज उठाई और बेहतर अधिकारों की मांग की। महिलाओं के इस आंदोलन ने वहां की सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया, और उन्हें वोटिंग का अधिकार मिला। यह प्रदर्शन 8 मार्च को हुआ था, इसलिए इस तारीख को महिला दिवस के रूप में चुना गया।
बाद में, संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 1977 में आधिकारिक रूप से 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया। तब से लेकर अब तक, यह दिन महिलाओं के सम्मान और उनके हक की लड़ाई का प्रतीक बन चुका है।
महिला दिवस क्यों है इतना खास?
आज भले ही महिलाएं पुरुषों के बराबर अधिकार पाने की दिशा में आगे बढ़ चुकी हैं, लेकिन अभी भी समाज में लैंगिक असमानता (Gender Inequality), घरेलू हिंसा, वेतन में भेदभाव और महिला शिक्षा जैसे कई मुद्दे मौजूद हैं। ऐसे में यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें महिलाओं के लिए एक समान, सुरक्षित और सशक्त समाज बनाने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।
क्या है महिला दिवस मनाने का मकसद?
- महिला अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना
- महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना
- लैंगिक समानता (Gender Equality) को बढ़ावा देना
- महिला शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों में सुधार
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की थीम
हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक खास थीम के साथ मनाया जाता है। साल 2025 की थीम 'एक्सीलरेट एक्शन' (Accelerate Action) रखी गई है, जिसका अर्थ है तेजी से कार्य करना।
नारी शक्ति को सलाम!
आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं – चाहे वह राजनीति हो, विज्ञान हो, खेल हो या फिर कला और व्यापार।
- कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में उड़ान भरकर भारत का सिर ऊंचा किया।
- मैरी कॉम ने बॉक्सिंग में विश्व विजेता बनकर नारी शक्ति की मिसाल पेश की।
- इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनकर राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ी।
ऐसी ही कई महिलाओं ने यह साबित कर दिया कि अगर उन्हें सही अवसर मिले, तो वे किसी भी क्षेत्र में कमाल कर सकती हैं। इस महिला दिवस पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम महिलाओं के सम्मान, उनके अधिकारों और उनकी उन्नति के लिए हमेशा आवाज उठाएंगे।
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