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    इस सात्विक भोजन के बिना अधूरा है छठ का त्योहार, जानें क्यों इतना खास है यह महाप्रसाद

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 03:57 PM (IST)

    पूरे देश में छठ पूजा की धूम है, जो बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश का मुख्य त्योहार है। यह चार दिनों तक चलता है, जिसमें महिलाएं बच्चों के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह पर्व सूर्य देव को समर्पित है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसमें सात्विक भोजन बनता है। इस दौरान लौकी की सब्जी का विशेष महत्व है, जो शुद्धता और स्वास्थ्य का प्रतीक है।

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    छठ पूजा: सात्विक भोजन और लौकी का महत्व (Picture Credit- AI Generated)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में छठ पूजा की धूम देखने को मिल रही है। यह हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। इस दौरान महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और विधि-विधान से पूजा-पाठ करती हैं। 

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    यह पर्व मुख्य रूप से भगवान सूर्य (सूर्य देव) को समर्पित है। इस दौरान इन्हीं आराधना की जाती है। इस साल यह पर्व 25 से 28 अक्टूबर तक मनाया जा रहा है। छठ की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। इस दौरान सात्विक भोजन बनाया जाता है। खासकर लौकी की सब्जी, जिसे इस पर्व की शुरुआत में खाया जाता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे छठ के दौरान क्यों महत्वपूर्ण होता है सात्विक भोजन और क्यों इसकी शुरुआत में खाई जाती है लौकी की सब्जी- 

    सात्विक भोजन क्या है?

    सात्विक भोजन आमतौर पर व्रत-उपवास में इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा इसलिए क्यों इस तरह का खाना शुद्ध, ताजा और नेचुरल फूड्स से बना होता है। इसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दालें, मेवे और बीज आदि शामिल होते हैं और यह शरीर और मन को शांत और स्वस्थ रखता है।

    छठ पूजा में क्यों बनाते हैं सात्विक भोजन?

    छठ पूजा के दौरान सात्विक खाना बनाया जाता है, क्योंकि इस दौरान इसका काफी महत्व होता है। इस दौरान बनाए जाने वाले हर एक व्यंजन को पवित्रता, संयम और आध्यात्मिक एकाग्रता के अनुरूप तैयार किया जाता है। सात्विक भोजन मन को विचलित किए बिना शरीर को पोषण देता है।

    chhath puja

    नहाय खाय के दिन, व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान और प्रार्थना के बाद सात्विक भोजन करती हैं। इसके मुख्य रूप से लौकी की सब्जी बनाई जाती है, जिसे घी और हल्दी में बेहद सिंपल तरीके से बनाया जाता है और इसे चावल के साथ परोसा जाता है। यह देखने में भले ही साधारण लगे, लेकिन इसका गहरा आध्यात्मिक अर्थ होता है। इसके बिना नहाय खाय अधूरा-सा लगता है।

    सात्विक भोजन का महत्व

    छठ पूजा के दौरान सात्विक भोजन बनाया जाता है, जिसमें ताजे, मौसमी फल और सब्जियां शामिल होती हैं, जो पचाने में आसान होती हैं। इसमें कुछ चीजों को शामिल नहीं किया जाता है और इसे बनाने की कुछ खासियत भी होती है, जो निम्न हैं- 

    • लहसुन या प्याज: सात्विक भोजन में लहसुन या प्याज का इस्तेमाल नहीं किया जाता, क्योंकि माना जाता है कि ये शरीर में गर्मी बढ़ाने वाले और ध्यान भटकाने वाले होते हैं, इसलिए इन्हें व्रत में खाने के लिए सही नहीं माना जाता।
    • हल्का मसाला: सात्विक भोजन में जीरा, हल्दी, हरी मिर्च, सेंधा नमक और घी का इस्तेमाल किया जाता है, जो इसे बिल्कुल हल्का भोजन बनाता है। 
    • बनाने का तरीका: इस तरह के भोजन को धीरे-धीरे और कोमलता से पकाया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि यह पौष्टिक और पचाने में आसान रहे।
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