सिर्फ नाइटलाइफ ही नहीं, अपने खाने के लिए भी मशहूर है गोवा, ट्राई करें यहां की गोअन फिश करी
शानदार समुद्री तट और नाइटलाइफ ही नहीं जायकेदार भोजन भी पहचान है गोआ की। यहां की पारंपरिक फिश करी ऐसा ही लाजवाब व्यंजन है। वेस्टिन गोआ के एक्जीक्यूटिव शेफ पंकज सैनी बता रहे हैं कि इस विशेष करी को कैसे वे देते हैं स्पेशल टच के साथ इसकी असली पहचान।

आरती तिवारी, नई दिल्ली। गोअन फिश करी में बोल्ड कोस्टल फ्लेवर, ताजे मसालों की महक और पाक कला की गहरी विरासत का मेल होता है। इसकी असली पहचान ताजे पिसे हुए नारियल के स्वाद, हल्दी और कश्मीरी मिर्च जैसे मसालों और कोकम या इमली की खटास से होती है।
गोवा में ही हर घर और हर गांव में फिश करी बनाने का तरीका अलग होता है। कुछ लोग मिठास के लिए गुड़ की एक चुटकी डालते हैं, तो कुछ सूखे झींगे का उपयोग करते हैं। कई परिवारों में एक सीक्रेट तरीका या तकनीक होती है जो पीढ़ियों से चली आ रही है।
धीमी आंच का जादू
गोअन फिश करी में हम रेसिपी के मूल स्वाद को नहीं बदलते मगर इसे पेश करने के तरीके में थोड़ा बदलाव लाते हैं- जैसे कि इसे हैंडक्राफ्टेड बर्तनों में सर्व करना। यह तरीका है जिससे हम विरासत को बचाते हुए मेहमानों को इसे अनुभव करने का मौका देते हैं। गोअन फिश करी बनाने के लिए पारंपरिक और घरेलू तरीके का पालन किया जाता है।
इस प्रक्रिया में सबसे पहले ताजे नारियल, कश्मीरी मिर्च, लहसुन, हल्दी और बाकी मसालों को पीसकर एक पेस्ट बनाया जाता है। इस पेस्ट को धीमी आंच पर तब तक पकाया जाता है जब तक कि इसका कच्चापन खत्म न हो जाए और खुशबू न फैलने लगे। यही वह कदम है जो पूरे व्यंजन का आधार बनाता है। इसके बाद इसमें कोकम, इमली या कच्चा आम जैसी खटास वाली सामग्री डाली जाती है, जो मौसम और मछली के प्रकार पर निर्भर करती है।
करी के साथी
फिश करी का असली मजा सही साइड डिश के साथ आता है। पारंपरिक रूप से, इसे उबले हुए चावल के साथ खाया जाता है। कभी-कभी लाल पारबायल्ड चावल या उकडा चावल भी इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा फर्मेंटेड बैटर से बने चावल के केक सन्ना के साथ खाते हैं, इसकी हल्की मिठास करी के तीखेपन को संतुलित करती है। ब्रेड पसंद करने वालों के लिए गोवा के लोकल पाव या पोई बेहतरीन विकल्प हैं।
इसके साथ ही फूगथ जैसे मौसमी सब्जियाें का व्यंजन या नारियल के साथ स्टिर-फ्राइड भिंडी सर्व की जाती है। इसके साथ परफेक्ट ड्रिंक की पेयरिंग की बात करें तो इसमें नॉन-अल्कोहलिक में नारियल के दूध और कोकम से तैयार सोल कढ़ी सबसे अच्छा विकल्प है, जो करी के तीखेपन को बैलेंस करती है और प्राकृतिक पाचन का काम करती है। अल्कोहलिक पेय के तौर पर गोवा की पहचान फेनी है। चाहे वह काजू फेनी हो या नारियल फेनी, इसका स्वाद करी की रिचनेस को बखूबी काटता है। शेफ इसे स्थानीय नींबू या जिंजर ऐल जैसे हल्के काकटेल के साथ सर्व करते हैं।
दिल से शुरू स्वाद का सफर
एक नजर में गोअन फिश करी बनाना आसान लग सकता है, लेकिन इसका सही स्वाद पाने के लिए संतुलन, सही समय और सामग्री की गहरी समझ जरूरी है। कुछ बातों का ध्यान रखकर इस पारंपरिक व्यंजन को परफेक्ट बना सकते हैं:
- हमेशा ताजी मछली का ही उपयोग करें। स्थानीय स्तर पर मिली मछली सबसे अच्छी होती है। किंगफिश, पांफ्रेट या स्नैपर जैसी फर्म और सफेद मछली चुनें। ये करी को अच्छी तरह से सोख लेती हैं और पकाने के बाद भी अपना टेक्सचर बनाए रखती हैं।
- करी में सबसे खास उसका मसाला होता है। ताजा नारियल, कश्मीरी मिर्च, लहसुन, धनिया, और हल्दी को एक साथ पीसें। मसाले जितने ताजे होंगे, करी का स्वाद उतना ही जीवंत होगा। मसाले को भूनने में जल्दबाजी न करें। इसे धीमी आंच पर तब तक पकाएं जब तक कि तेल अलग न होने लगे और महक गहरी न हो जाए। यहीं से पकवान का असली स्वाद उभरता है।
- करी में खटास लाने के लिए कोकम, इमली या कच्चे आम का उपयोग सोच-समझकर करें। यह करी के स्वाद को बढ़ाए, न कि उस पर हावी हो जाए। मछली को हमेशा अंत में डालें और धीमी आंच पर पकाएं, ताकि उसकी साफ्टनेस बनी रहे।
- परोसने से पहले करी को कुछ देर के लिए छोड़ दें। कई पारंपरिक व्यंजनों की तरह, स्वाद को आपस में मिलने के लिए समय चाहिए होता है। संभव हो तो मिट्टी के बर्तन में पकाएं। इससे खाने में एक अलग ही गहराई और देसीपन आ जाता है, जिसकी नकल करना मुश्किल है।
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