खराब लाइफस्टाइल बढ़ाती है कोलन कैंसर का जोखिम, इन 6 लक्षणों से करें इसकी वक्त रहते पहचान
कोलन कैंसर के बढ़ते मामले काफी चिंताजनक हैं। कोलन कैंसर बड़ी आंत में होने वाला कैंसर है जिसके लक्षणों (Colon Cancer Symptoms) को लोग पेट से जुड़ी साधारण समस्या समझकर इग्नोर कर देते हैं। हालांकि ऐसा करना आगे चलकर जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए कोलन कैंसर के लक्षणों की वक्त पर पहचान करना जरूरी है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कोलन कैंसर बड़ी आंत में होने वाला कैंसर है, जिसका अगर वक्त पर इलाज न किया जाए, तो यह मौत का भी कारण बन सकता है। हालांकि, अक्सर इसके लक्षणों (Colon Cancer Symptoms) को लोग पेट की आम गड़बड़ी समझकर इग्नोर कर देते हैं। इसलिए इसकी पहचान करने में आमतौर पर देर हो जाती है।
इसलिए कोलन कैंसर के लक्षणों के बारे में जानकारी होना जरूरी है, ताकि इसकी पहचान करके जल्द से जल्द इलाज शुरू किया जा सके। आइए जानें कोलन कैंसर के लक्षण (Warning Signs of Colon Cancer) कैसे होते हैं और इसके रिस्क फैक्टर्स क्या हैं।
यह भी पढ़ें- कोलन कैंसर से बचने के लिए क्या खाना चाहिए, डॉक्टर ने खुद बताए एक-एक फूड के नाम
कोलन कैंसर के लक्षण कैसे होते हैं?
- मल त्याग में बदलाव- कोलन कैंसर का सबसे आम लक्षण मल त्याग की आदतों में बदलाव है। इसमें डायरिया, कब्ज या मल के रंग में बदलाव शामिल हो सकता हैं। अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
- मल में खून आना- मल के साथ खून आना कोलन कैंसर का एक अहम संकेत है। खून का रंग गहरा लाल या काला हो सकता है। हालांकि, बवासीर या फिशर की वजह से भी खून आ सकता है, लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
- पेट में दर्द या ऐंठन- लगातार पेट दर्द, गैस, सूजन या ऐंठन होना कोलन कैंसर का संकेत हो सकता है। यदि दर्द बिना किसी कारण के बना रहे, तो जांच करवाना जरूरी है।
- वजन घटना- बिना किसी कोशिश के अचानक वजन कम होना कोलन कैंसर का एक चेतावनी संकेत हो सकता है। यह शरीर में कैंसर की वजह से होने वाले मेटाबॉलिक बदलावों के कारण होता है।
- थकान और कमजोरी- कोलन कैंसर में अक्सर मल के साथ खून जाने की वजह से शरीर में आयरन की कमी हो जाती है, जिससे थकान, चक्कर आना और कमजोरी महसूस होती है।
- पूरी तरह मल न निकलने का अहसास- कुछ मरीजों को ऐसा महसूस होता है कि मल त्याग के बाद भी पेट साफ नहीं हुआ है। इस स्थिति को टेनेस्मस कहते हैं और यह कोलन या रेक्टम में ट्यूमर की वजह से हो सकता है।
कोलन कैंसर के रिस्क फैक्टर्स क्या हैं?
उम्र- ज्यादातर कोलन कैंसर के मामले 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों में पाए जाते हैं। हालांकि युवाओं में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं।
- फैमिली हिस्ट्री- अगर परिवार में किसी को कोलन कैंसर या पॉलीप्स की हिस्ट्री रही हो, तो रिस्क बढ़ जाता है।
- खराब जीवनशैली- डाइट में रेड मीट, प्रोसेस्ड फूड ज्यादा और फाइबर की कमी वाला खाना कोलन कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। स्मोकिंग और शराब भी इसके खतरे को बढ़ा देते हैं। इसके अलावा, एक्सरसाइज न करने वाले लोगों में भी इसका जोखिम ज्यादा होता है।
- मोटापा- मोटापा और डायबिटीज कोलन कैंसर के अहम रिस्क फैक्टर्स में से हैं।
- इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD)- क्रोन डिजीज या अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों में कोलन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
यह भी पढ़ें- Colon Cancer vs Irritable Bowel Syndrome: दोनों के लक्षण एक जैसे, पर बीमारियां अलग; कैसे करें पहचान
Source:
Cleveland Clinic: https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/14501-colorectal-colon-cancer#symptoms-and-causes
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।