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देर रात तक जागने की आदत भी बना सकती है आपको मोटा, बचने के लिए अपनाएं ये तरीके

एक हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए अच्छे से सोना बेहद जरूरी है। जिस तरह हमारा खानपान हमारी सेहत को प्रभावित करता है ठीक उसी तरह हमारी नींद भी सेहत पर गहरा असर डालती है। इसके अलावा हमारी कुछ आदतों की वजह से भी नींद काफी प्रभावित होती है। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे नींद (Awaken Late Night Side Effects) और सेहत का कनेक्शन।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Tue, 24 Sep 2024 02:02 PM (IST)
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इन 5 स्टडीज से समझें क्यों जरूरी है नींद (Picture Credit- Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सेहतमंद रहने के लिए सिर्फ अच्छी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज ही नहीं, बल्कि अच्छी और पर्याप्त नींद भी बेहद जरूरी होती है। नींद पूरी होने से सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी दुरुस्त होता है। जिस तरह हमारे खानपान का हमारी सेहत पर गहरा असर पड़ता है, ठीक उसी तरह नींद भी हमारे स्वास्थ्य को सीधे प्रभावित करती है। नींद आपकी सेहत को सुधार भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है। इसलिए जरूरी है कि रोजाना अपनी नींद पूरी की जाए।

सेहत पर नींद के प्रभाव को लेकर साल 2024 में अब तक कई सारी स्टडीज की जा चुकी है। इन स्टडीज में यह पता चला कि कैसे नींद अलग-अलग तरीकों से आपकी सेहत पर प्रभाव (Health Tips) डालती है। साथ ही कुछ ऐसी कंडीशन की सामने आई, जो हमारी नींद को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में जानते हैं नींद से जुड़ी इन 5 स्टडीज के बारे में-

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मोटापे का खतरा

हार्वर्ड हेल्थ के एक अध्ययन के मुताबिक जो लोग देर तक जागते (Awaken Late Night Side Effects) हैं और अपनी पनी बायोलॉजिकल क्लॉक को नजरअंदाज करते हैं, उनके मेटाबॉलिज्म पर बुरा प्रभाव पड़ता है। खासकर पुरुषों से इसकी वजह से मोटापा बढ़ सकती है, जिससे उनके पेट पर चर्बी जमा हो सकती है। साथ ही मोटापे की वजह से हाई ट्राइग्लिसराइड का खतरा भी बढ़ जाता है।

  • उपाय- इस समस्या से बचने का सबसे प्रभावी और अच्छा तरीका अपने सोने और जागने का समय तय करना है। साथ ही शाम के समय हल्की एक्सरसाइज भी फायदेमंद साबित होगी।

सोचने की क्षमता पर असर

स्लीप फाउंडेशन की एक स्टडी के मुताबिक नींद पूरी न होने (Late Night Habits Side Effects) वजह से REM स्लीप कम हो सकती है। यह एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें आप सपना देखते हैं। इसमें मस्तिष्क दिन भर की छोटी-छोटी यादों को लॉन्ग टर्म मेमोरीज के बैंक में जमा करता है। इसका सोचने-समझने और अन्य ब्रेन फंक्शन से सीधा संबंध पड़ता है। ऐसे में नींद की कमी होने पर सोचने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

  • उपाय- दिनभर में अपना स्क्रीन टाइम सीमित करें। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट की ब्लू लाइट से दूर रहें, क्योंकि ये लाइट्स REM स्लीप के समय को कम कर सकती है।

गट हेल्थ के लिए जरूरी नींद

आपकी नींद की असर आपकी गट हेल्थ पर भी पड़ता है। शिकागो यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार आंतों में पाए जाने वाले हेल्दी बैक्टीरिया आंतों, मस्तिष्क और शरीर के सेंट्रल नर्वस सिस्टम के बीच कम्युनिकेशन कर नींद को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस कम्युनिकेशन को गट-ब्रेन-एक्सिस कहा जाता है।

  • उपाय- आंतों में गुड बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ाने के लिए आप डाइट में फर्मेंटेड फूड्स जैसे दही, छाछ आदि को डाइट में शामिल कर सकते हैं।

अकेलापन और नींद

नींद की कमी कई तरह से सेहत को प्रभावित करती है, लेकिन कुछ ऐसे फैक्टर्स भी है, जिससे आपकी नींद भी प्रभावित हो सकती है। अकेलापन इन्हीं फैक्टर्स में से एक है, जो ज्यादातर युवाओं में देखने को मिलता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के अनुसार जब युवा अकेले हेते हैं, तो उनके अंदर असुरक्षा की भावना जन्म लेती है, एंग्जायटी में बदल जाती है, जिससे नींद प्रभावित होती है।

  • उपाय- आप जब भी अकेलापन महसूस करें, तो इससे निपटने के लिए कुछ ऐसा करें, जो आपको पसंद हो और क्रिएटिव हो। साथ ही अपने करीबियों से भावना व्यक्त कर सकते हैं।

शेड्यूल में बदलाव का नींद पर प्रभाव

सोशल जेटलैग भी आपकी नींद को प्रभावित कर सकती है। मैगजीन नेचर के अनुसार वीकएंड में अपने रूटीन में होने वाले बदलाव को सोशल जेटलैग कहा जाता है। इस कंडीशन में आपके रोजमर्रा का शेड्यूल बदलता, लेकिन शरीर की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता, जिससे नींद प्रभावित होती है।

  • उपाय- अपने बिगड़े रूटीन को ठीक करने के लिए आप नींद में थोड़ा सो सकते हैं। साथ ही नींद के शेड्यूल में सुधार कर आप अपने रूटीन को नियमित बना सकते हैं।

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