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    क्यूटनेस के चक्कर में इग्नोर न करें बच्चे की हेल्थ, बढ़ता वजन कम उम्र में बना सकता है उन्हें बीमार

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 08:29 PM (IST)

    मोटापा आजकल बच्चों में एक गंभीर समस्या बन गई है, जिसके कई कारण हैं जैसे गलत खानपान और निष्क्रिय जीवनशैली। इससे टाइप 2 डायबिटीज और हृदय रोग जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। बच्चों को छोटी उम्र से ही हेल्दी आदतें सिखाना, स्क्रीन टाइम कम करना और पर्याप्त नींद लेना मोटापे से बचाने में मदद करता है।

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    बच्चों में बढ़ता मोटापा: कारण, खतरे और बचाव के उपाय (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मोटापा एक गंभीर बीमारी है, जो दुनियाभर में कई लोगों के लिए परेशानी की वजह बनी हुई है। खुद WHO भी इसे लेकर चेतावनी जारी कर चुका है। यह एक महामारी की तरह पूरी दुनिया में अपने पैर पसारने लगी है। चिंता की बात यह है कि अब बच्चे भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। 

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    इस बारे में जब हमने मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली में  गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, हेपेटोलॉजी और एंडोस्कोपी सीनियर डायरेक्टर डॉ. सुभाशीष मजूमदार से बात की, तो उन्होंने बताया कि बचपन में मोटापे के बढ़ते मामले आधुनिक समाज के लिए गंभीर चिंताओं में से एक बन गया है। जो समस्या कभी वयस्कों को होती थी, वह अब स्कूली बच्चों और यहां तक कि छोटे बच्चों में भी आम होती जा रही है।

    बच्चों में मोटापे का कारण

    डॉक्टर बताते हैं कि बढ़ते मोटापे के कई कारण हैं, जैसे लाइफस्टाइल में बदलाव, बदलते पर्यावरणीय प्रभाव और सामाजिक आदतें जो बच्चों में खान-पान, एक्टिविटी और व्यवहार के अनहेल्दी पैटर्न को बढ़ावा देती हैं। पांच में से एक बच्चा अब ज्यादा वजन या मोटापे से पीड़ित है। तेजी से होती यह बढ़ोतरी भारत में, खासकर शहरी इलाकों में, साफ रूप से दिखाई दे रही है, जहां ज्यादा सुविधा, अनहेल्दी खानपान, इनएक्टिव लाइफस्टाइल और स्क्रीन टाइम डेली लाइफ का हिस्सा बन चुका है।

    क्यों हानिकारक है मोटापा

    डॉक्टर बताते हैं कि मोटापा एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है, जिसकी वजह से सेहत से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इसके कारण टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज और हार्ट डिजीज के शुरुआती लक्षण शामिल हैं। डॉक्टर मानते हैं कि समस्या सिर्फ ज्यादा खाने की नहीं है, बल्कि ऐसे वातावरण की है जो खराब पोषण को बढ़ावा देता है, इनएक्टिव रहने की आदत इसे बढ़ाता है। 

    इसके अलावा, नींद की कमी को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, फिर भी यह सीधे तौर पर हार्मोनल रेगुलेशन को प्रभावित करता है और क्रेविंग को बढ़ावा देता है, जिससे ज्यादा खाने की आदत लगती है। शोध बताते हैं कि कम नींद लेने वाले बच्चों में अनहेल्दी खाने की आदतें विकसित होने की संभावना ज्यादा होती है। इमोशनल ईटिंग, जो अक्सर तनाव या साथियों की बातचीत से प्रभावित होता है, भी इस समस्या का एक महत्वपूर्ण कारण है।

    हेल्दी आदतें सिखाना जरूरी

    एक हेल्दी लाइफस्टाइल की शुरुआत छोटी उम्र से ही हो जाती है। बच्चे देखकर सीखते हैं, इसलिए माता-पिता और देखभाल करने वाले क्या करते हैं, यह बहुत मायने रखता है। परिवार के साथ मिलकर खाना, जहां बच्चे सबको हेल्दी खाते देखते हैं और सोच-समझकर खाना सीखते हैं, सख्त खाने के नियम बनाने से बेहतर है। इसका उद्देश्य खाने की चीजों को कम करना नहीं, बल्कि बच्चों को हेल्दी तरीके से अच्छा खाने के बारे में सिखाना है।

    बच्चों को शुरुआत से ही अलग-अलग फल, सब्जियां और साबुत अनाज खिलाने से इनका स्वाद उन्हें भा जाता है। खाने को इनाम या सजा देने के तरीके के रूप में इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे बाद में अनहेल्दी खाने की आदतें पड़ सकती हैं। साथ ही रोजाना बच्चों को बाहर खेलना, साइकिल चलाना या खेलकूद जैसी एक्टिविटीज के लिए प्रेरित करें।

    इन बातों का भी रखें ध्यान

    अच्छी आदतें सिखाने साथ-साथ बच्चों को कुछ अनहेल्दी आदतों और बुरी चीजों से दूर रखना भी जरूरी है। बिना स्क्रीन के खाना और शुगरी ड्रिंक्स से परहेज सबसे ज्यादा जरूरी है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपका बच्चा पर्याप्त नींद लें। ये सभी चीजें भले ही छोटी लग सकती हैं, लेकिन असल में यह बड़ा बदलाव लाती हैं। जल्दी शुरू की जाने वाली ये हेल्दी आदतें मोटापे और उससे जुड़ी समस्याओं से बचने का सबसे अच्छा तरीका हैं।

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