Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लंग कैंसर की शुरुआत हो सकते हैं ये 4 लक्षण, डॉक्टर ने बताया फेफड़ों पर कैसे असर डालता है प्रदूषण

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 06:50 PM (IST)

    लंग कैंसर एक गंभीर समस्या है, जिसके लिए वायु प्रदूषण भी एक बड़ा खतरा है। छोटे धूल कण और हानिकारक केमिकल फेफड़ों में सूजन और डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है। दिल्ली-एनसीआर जैसे प्रदूषित इलाकों में रहने वाले और धूम्रपान न करने वाले लोग भी खतरे में हैं। 

    Hero Image

    फेफड़ों के कैंसर का खतरा: प्रदूषण, लक्षण और बचाव के तरीके (Picture Credit- AI Generated)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। लंग कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो दुनियाभर में लोगों के लिए परेशानी की वजह बनी हुई है। पूरी दुनिया में कई लोग इसका शिकार हैं और कई इसकी वजह से अपनी जान भी गंवा चुके हैं। कई साल तक लोग यही सोचते रहे कि सिगरेट पीना फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण है, लेकिन अब वजह और भी है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कई शोध में यह पता चला है कि इस बीमारी की एक और खतरनाक वजह है और वह है हवा जिसमें हम सांस लेते हैं। भारत में, खासकर मेट्रो शहरों और औद्योगिक इलाकों में, वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर का एक बड़ा खतरा बन गया है। यहा तक कि उन लोगों के लिए भी जो धूम्रपान नहीं करते। यह ज्यादा खतरनाक इसलिए भी है, क्योंकि यह अदृश्य है, हम इसे देख नहीं सकते, लेकिन यह हमारी हर सांस के साथ हमारे फेफड़ों में पहुंच जाता है।

    क्यों खतरनाक है वायु प्रदूषण?

    मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉ. विकास गोस्वामी बताते हैं कि वायु प्रदूषण हानिकारक पदार्थों जैसे बेहद छोटे धूल के कण (PM2.5 और PM10), नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बनिक कंपाउंड नामक केमिकल का मिश्रण है। ये कण इतने छोटे होते हैं कि ये हमारे शरीर के नेचुरल डिफेंस को भेदकर फेफड़ों में गहराई तक जा सकते हैं।

    कैसे कैंसर का कारण बनती है जहरीली हवा 

    यहां तक कि यह खून में भी प्रवेश कर सकते हैं। एक बार अंदर जाने पर ये सूजन, डैमेज और हमारे सेल्स में मौजूद डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं। समय के साथ, इससे सेल्स में ऐसे बदलाव आ सकते हैं, जो कैंसर का कारण बनते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने बाहरी वायु प्रदूषण और सूक्ष्म कणों को ग्रुप 1 कार्सिनोजेन्स (कार्सिनोजेन्स) घोषित किया है, जिसका मतलब है कि ये तंबाकू और एस्बेस्टस जितने ही खतरनाक हैं।

    किन लोगों को है ज्यादा खतरा

    भारत और अन्य स्थानों पर हाल के अध्ययनों से पता चला है कि ज्यादा लोग बिना धूम्रपान किए, खासकर दिल्ली-एनसीआर जैसे प्रदूषित इलाकों में, फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं। डॉक्टर आगे बताते हैं कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेना उतना ही हानिकारक हो सकता है, जितना कि रोजाना कई सिगरेट पीना। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है, क्योंकि उनके फेफड़े छोटे होते हैं और वे ज्यादा देर तक प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं।

    लंग कैंसर के शुरुआती लक्षण

    शुरुआती लक्षण को लोग अक्सर अनदेखा कर देते हैं या प्रदूषण के कारण होने वाली एलर्जी समझ लेते हैं। हालांकि, लंबे समय तक इन लक्षणों के रहने पर इन्हें इग्नोर नहीं करना चाहिए। ये लक्षण निम्न हैं- 

    • लंबे समय तक रहने वाली खांसी
    • सांस लेने में थोड़ी तकलीफ
    • सीने में तकलीफ 
    • असामान्य थकान

    कैसे करें फेफड़ों की सुरक्षा

    एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) दिखाने वाले एप्स का इस्तेमाल करके नियमित रूप से वायु गुणवत्ता की जांच करें और प्रदूषण ज्यादा होने पर बाहर जाने से बचें।

    हानिकारक कणों को रोकने के लिए N95 या इसी तरह का कोई सुरक्षात्मक मास्क पहनें। 

    एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करके, घर के अंदर धूम्रपान या धूपबत्ती जलाने से बचें और प्रदूषण का लेवल कम होने पर खिड़कियां खोलकर घर के अंदर की हवा को साफ रखें। 

    ऐसे फूड्स खाएं, जो फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए अच्छे हों, जैसे खट्टे फल, पत्तेदार सब्जियां, हल्दी और ड्राई फ्रूट्स, जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं। 

    अगर आप हाइ रिस्क वाले क्षेत्र में रहते हैं या आपके परिवार में कैंसर का इतिहास है, तो नियमित रूप से लंग हेल्थ की जांच कराएं, भले ही आप धूम्रपान न करते हों।

    यह भी पढ़ें- सिर्फ सांस लेने में तकलीफ या आंखों में जलन नहीं, कैंसर को भी न्योता दे रहा है Air Pollution

    यह भी पढ़ें- दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा में बुजुर्गों का रखें खास ख्याल, ये जरूरी टिप्स आएंगे काम