हार्ट डिजीज के इन शुरुआती लक्षणों को न करें इग्नोर, अनदेखा करने की गलती पड़ सकती है भारी
दिल की बीमारियां अचानक नहीं होती हैं। ये बहुत पहले शुरू हो चुकी होती हैं, जिनका संकेत हमारा शरीर हमें देता भी है। लेकिन हम इन लक्षणों (Heart Disease Symptoms) को नजरअंदाज कर देते हैं। इसके कारण समस्या का जल्दी पता नहीं चलता और परेशानी धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। इसलिए हार्ट डिजीज के लक्षणों को वक्त पर पहचानना काफी जरूरी है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हार्ट डिजीज (Heart Disease) के बढ़ते मामले एक गंभी चिंता का विषय है। हालांकि, ये बीमारियां अचनाक नहीं होती है। जैसे-जैसे दिल कमजोर होने लगता है, हमारा शरीर कुछ संकेतों के जरिए हमें चेतावनी देना शुरू कर देता है। हालांकि, अक्सर हम इन लक्षणों को इग्नोर कर देते हैं।
हार्ट डिजीज के शुरुआती लक्षणों पर ध्यान न देने के कारण परेशानी बढ़ने लगती है, जिसका खामियाजा व्यक्ति को आगे चलकर भुगतना पड़ता है। वहीं, अगर इन लक्षणों (Early Signs of Heart Disease) को वक्त पर पहचान लिया जाए, तो बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। आइए जानें दिल की बीमारियों के शुरुआती लक्षण कैसे होते हैं।

हार्ट डिजीज के शुरुआती लक्षण
- सीने में दर्द या भारीपन- यह सबसे सामान्य और शुरूआती लक्षण है, खासकर जब दर्द बाएं हाथ, पीठ या जबड़े तक फैलता है।
- सांस फूलना- थोड़ी सी मेहनत में भी सांस चढ़ना हार्ट के कमजोर होने का संकेत हो सकता है।
- थकान और एनर्जी की कमी- जब हार्ट भरपूर ऑक्सीजन नहीं पंप करता, तो बहुत ज्यादा थकावट महसूस होती है।
- बेहोशी या चक्कर आना- अचानक चक्कर आना या होश खो बैठना, हार्ट की धड़कनों में गड़बड़ी का लक्षण हो सकता है।
- तेज या अनियमित धड़कन- दिल की तेज या असामान्य धड़कन चिंता का कारण हो सकती है।
- सूजन- पैरों, टखनों या पेट में सूजन इस ओर संकेत करती है कि हार्ट ठीक तरह से ब्लड पंप नहीं कर रहा।
- पसीना आना- बिना किसी शारीरिक मेहनत के पसीना आना भी एक चेतावनी संकेत है।
- पेट दर्द या मतली- महिलाओं में हार्ट अटैक के दौरान यह लक्षण आम हो सकते हैं।
हार्ट डिजीज के रिस्क फैक्टर्स क्या होते हैं?
- हाइ ब्लड प्रेशर- यह दिल की दीवारों पर दबाव डालकर उन्हें नुकसान पहुंचाता है।
- डायबिटीज- अनियंत्रित ब्लड शुगर ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचाता है।
- स्मोकिंग और शराब- आर्टरीज को छोटे से भी छोटा बनाते जाता है जिससे ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा पैदा होती है।
- अनहेल्दी फूड्स- ज्यादा नमक, ट्रांस फैट और प्रोसेस्ड फूड से कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर बढ़ता है।
- फिजिकली एक्टिव न करना- एक्सरसाइज की कमी से मोटापा और ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है।
- स्ट्रेस और अनिद्रा- लगातार स्ट्रेस में रहने से हार्मोनल असंतुलन पैदा होता है जो दिल को प्रभावित करता है।
- कोलेस्ट्रॉल बढ़ना- गुड कोलेस्ट्रॉल कम और बैड कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होने से आर्टरीज में प्लाक जमता है।
- फैमिली हिस्ट्री- अगर परिवार में हार्ट डिजीज का इतिहास है तो सावधानी जरूरी है।
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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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