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    इथियोपिया की Volcanic Ash ने बढ़ाया दिल्ली का दमघोंटू संकट, स्वास्थ्य पर क्या हैं खतरे और कैसे करें बचाव?

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 09:38 AM (IST)

    दिल्ली-एनसीआर में इथियोपिया के हायली गुब्बी ज्वालामुखी से निकली जहरीली राख का खतरे के बारे में तो आ जानते होंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि यह राख PM10 से छोटे कणों और हानिकारक गैसों का मिश्रण है, जो रेस्पिरेटरी सिस्टम को गंभीर नुकसान (Volcanic Ash Health Risks) पहुंचा सकती है। ऐसे में आइए जानें किनके लिए यह ज्यादा खतरनाक है और बचाव के लिए क्या करें। 

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    किन लोगों के लिए Volcanic Ash है ज्यादा खतरनाक? (Picture Courtesy: AI Generated Image)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर पहले से ही दुनिया के सबसे खराब वायु प्रदूषण संकट से जूझ रहा है, और अब एक नया खतरा सिर पर मंडरा रहा है। इथियोपिया के हायली गुब्बी ज्वालामुखी (Hayli Gubbi volcano) से निकली ज्वालामुखीय राख (Volcanic Ash) के कण भारतीय आकाश में दाखिल हो चुकी है । 

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    यह स्थिति राजधानी के निवासियों के लिए एक गंभीर चुनौती बनकर उभरी है। इस राख में मौजूद कण रेस्पिरेटरी सिस्टम के साथ-साथ और भी कई स्वास्थ्य चुनौतियों का कारण बन सकता है। आइए जानें कि इसके कारण क्या-क्या परेशानियां (Health Issues from Volcanic Ash) हो सकती हैं और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए।

    रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए क्यों है इतना खतरनाक?

    ज्वालामुखीय राख साधारण धूल या धुएं जैसी नहीं होती। यह चट्टानों, खनिजों और एसिडिक गैस के बेहद छोटे कणों का एक जहरीला मिश्रण होती है। ये कण अक्सर 10 माइक्रोन (PM10) से भी छोटे होते हैं। इस साइज के कण हमारी नाक की नेचुरल फिल्टर सिस्टम को आसानी से पार करके सीधे फेफड़ों की गहराई तक और यहां तक कि ब्लड फ्लो में भी घुस सकते हैं। इसके कारण-

    • नाक, गले और ऊपरी वायुमार्ग में जलन।
    • सूखी खांसी, गले में खराश और सीने में तकलीफ।
    • अस्थमा या ब्रोंकाइटिस के मरीजों में घरघराहट या ब्रोंकाइटिस जैसे लक्षणों का उभरना।
    • ज्यादा एक्सपोजर पर स्वस्थ लोगों को भी सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
    Air Pollution (1)

    किन लोगों को है सबसे ज्यादा खतरा?

    यह राख सभी के लिए हानिकारक है, लेकिन कुछ लोगों के लिए इसका जोखिम ज्यादा गंभीर है-

    • सांस संबंधी बीमारी के मरीज- अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी या फेफड़ों के अन्य बीमारियों से पीड़ित लोग।
    • दिल के मरीज- दिल की बीमारी वाले लोग, क्योंकि यह कण दिल पर एक्स्ट्रा दबाव डाल सकते हैं।
    • बुजुर्ग और बच्चे- इनकी इम्युनिटी कमजोर होती है और रेस्पिरेटरी सिस्टम ज्यादा सेंसिटिव होता है।
    • प्रेग्नेंट महिलाएं- भ्रूण के विकास पर इसके नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।

    लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से राख के कणों पर मौजूद अम्लीय परत वायुमार्ग को नुकसान पहुंचा सकती है। बेहद दुर्लभ मामलों में, क्रिस्टलीय सिलिका वाली बारीक राख सिलिकोसिस जैसी घातक बीमारी का कारण भी बन सकती है।

    सिर्फ राख ही नहीं, गैसों का भी खतरा

    ज्वालामुखी विस्फोट केवल राख ही नहीं उगलते। इनके साथ सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), हाइड्रोजन क्लोराइड और फ्लोराइड जैसी जहरीली गैसें भी निकलती हैं। सल्फर डाइऑक्साइड हवा में मौजूद नमी के साथ मिलकर 'वोग' (Vog) नाम की एक जहरीला धुंध बनाती है, जो सांस की तकलीफों को और बढ़ा देती है। इन गैसों के प्रभावों में आंखों में जलन, चक्कर आना, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं।

    बचाव के लिए क्या करें?

    घर के अंदर ही रहें- जितना हो सके घर के अंदर रहने की कोशिश करें। खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें ताकि राख अंदर न आ सके।

    • सही मास्क का इस्तेमाल करें- अगर बाहर जाना जरूरी हो तो साधारण कपड़े का मास्क न पहनें। केवल N95 या P95/P100 ग्रेड के रेस्पिरेटर मास्क ही इन सूक्ष्म कणों को रोकने में सक्षम होते हैं।
    • इनडोर एयर क्वालिटी सुधारें- एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और उसके फिल्टर को नियमित बदलते/साफ करते रहें। ऐसी एसी यूनिट्स के इस्तेमाल से बचें जो बाहर की हवा खींचती हैं।
    • बाहरी गतिविधियां सीमित करें- खासतौर पर तब जब राख गिर रही हो या हवा में धुंधलापन दिखे। दौड़ना, साइकिल चलाना जैसी एक्सरसाइज बिल्कुल न करें।
    • गीली सफाई करें- सूखा झाड़ने या पोंछने की बजाय पानी से धोएं या गीले कपड़े से साफ करें।

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