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    HIV के इलाज की जगी उम्मीद! वैज्ञानिकों ने खोजी 'सुपर एंटीबॉडी', जिसने 98% वेरिएंट्स को किया बेअसर

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 11:16 AM (IST)

    HIV का इलाज खोजना दशकों से वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है, लेकिन अब इस दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है, जिससे एचआईवी को खत्म करने की उम्मीद जगी है। दरअसल, जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोन के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी खास एंटीबॉडी की खोज की है, जो एचआईवी के लगभग सभी रूपों को खत्म करने में सक्षम है।

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    जर्मनी में वैज्ञानिकों ने खोजी ऐसी एंटीबॉडी, जो HIV का हर रूप कर देगी बेअसर (Image Source: Freepik) 

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए एचआईवी (HIV) अब भी एक ऐसा नाम है जो डर, दर्द और लाइलाज बीमारी का प्रतीक बन चुका है, लेकिन अब विज्ञान ने इस जंग में एक बड़ी उम्मीद जगा दी है। जर्मनी के वैज्ञानिकों ने ऐसी सुपर एंटीबॉडी की खोज की है जो लगभग हर टाइप के एचआईवी वायरस को निष्क्रिय करने में सक्षम है। अगर इसके क्लीनिकल ट्रायल सफल रहे, तो यह खोज एचआईवी के अंत की दिशा में सबसे बड़ा कदम साबित हो सकती है।

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    HIV treatment breakthrough

    नई उम्मीद का नाम- "04_A06"

    जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोन के शोधकर्ताओं ने जिस एंटीबॉडी की पहचान की है, उसका नाम है 04_A06। यह एंटीबॉडी अब तक के लगभग 300 से ज्यादा एचआईवी वेरिएंट्स पर जांची जा चुकी है और इनमें से 98.5% वायरस को निष्क्रिय करने में सफल रही है। यानी यह लगभग हर ज्ञात रूप पर असर डालती है।

    इस खोज को चिकित्सा विज्ञान में एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है, क्योंकि अब तक एचआईवी का वायरस अपने बदलते रूपों की वजह से हर इलाज से बच निकलता था, लेकिन 04_A06 की खासियत यह है कि यह वायरस के उन हिस्सों को निशाना बनाती है जो बदलते नहीं हैं, जिससे यह हर रूप पर कारगर साबित होती है।

    किससे मिली यह एंटीबॉडी?

    वैज्ञानिकों ने बताया कि यह एंटीबॉडी कुछ ऐसे दुर्लभ लोगों से मिली है जिन्हें “एलाइट न्यूट्रलाइजर” कहा जाता है। ये वे एचआईवी संक्रमित व्यक्ति हैं जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस से लंबे समय तक खुद ही लड़ने में सक्षम होती है। इन्हीं लोगों के ब्लड से हजारों एंटीबॉडी तैयार की गईं और उनमें से 04_A06 सबसे प्रभावी पाई गई।

    HIV super antibody

    एनिमल टेस्टिंग में मिले चौंकाने वाले नतीजे

    जब इस एंटीबॉडी को मानवकृत चूहों पर आजमाया गया, तो परिणाम उम्मीद से कहीं बेहतर निकले। एंटीबॉडी ने वायरस को इतनी तेजी से कमजोर कर दिया कि कुछ ही समय में वायरल लोड लगभग शून्य हो गया। आमतौर पर एचआईवी वायरस शरीर में तेजी से अपना रूप बदलकर दवाओं के असर से बच निकलता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।

    क्लिनिकल ट्रायल से तय होगा भविष्य

    अब वैज्ञानिक इस एंटीबॉडी को क्लिनिकल ट्रायल के लिए तैयार कर रहे हैं। अगर ये ट्रायल सफल रहते हैं, तो यह एंटीबॉडी भविष्य में एचआईवी संक्रमण से बचाव और इलाज दोनों के लिए एक वैक्सीन जैसी भूमिका निभा सकती है।

    यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोन, जर्मन सेंटर फॉर इंफेक्शन रिसर्च, यूरोपियन रिसर्च काउंसिल और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के संयुक्त सहयोग से किया गया है।

    एचआईवी रिसर्च में नई दिशा

    कोलोन यूनिवर्सिटी अस्पताल के निदेशक प्रोफेसर फ्लोरियन क्लाइन का कहना है कि यह खोज एचआईवी अनुसंधान की दिशा बदल सकती है। उनके अनुसार, “यह एंटीबॉडी न केवल इलाज में कारगर साबित हो सकती है, बल्कि संक्रमण को रोकने में भी एक बड़ा हथियार बन सकती है।”

    वे बताते हैं कि यह एंटीबॉडी वायरस के उन हिस्सों पर हमला करती है जो सामान्यतः स्थिर रहते हैं, इसलिए वायरस के नए रूप भी इससे बच नहीं पाते। यही वजह है कि वैज्ञानिक इसे एचआईवी के खिलाफ सुपर एंटीबॉडी कह रहे हैं।

    अगर आने वाले महीनों में इस एंटीबॉडी के क्लिनिकल ट्रायल सफल होते हैं, तो यह एचआईवी से जूझ रही दुनिया के लिए नई सुबह साबित होगी। वह दिन दूर नहीं जब “एचआईवी पॉजिटिव” सुनना डर का नहीं, बल्कि इलाज की उम्मीद का प्रतीक बन जाएगा।

    Source: German Center for Infection Research