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    National Epilepsy Day 2025: क्यों हर साल मनाते हैं राष्ट्रीय मिर्गी दिवस? यहां पढ़ें इतिहास और महत्व

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 08:19 AM (IST)

    भारत में हर साल 17 नवंबर को 'राष्ट्रीय मिर्गी दिवस' (National Epilepsy Day) मनाया जाता है। यह दिन एक ऐसी गंभीर बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है, जिसे लेकर आज भी हमारे समाज में कई तरह की गलतफहमियां और अंधविश्वास फैले हुए हैं। जी हां, मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसका मतलब है कि यह दिमाग से जुड़ी हुई समस्या है।

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    राष्ट्रीय मिर्गी दिवस 2025: हर साल क्यों मनाया जाता है यह दिन? (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में हर साल 17 नवंबर को National Epilepsy Day मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य सिर्फ एक बीमारी के बारे में जानकारी देना नहीं, बल्कि उससे जुड़े डर, गलतफहमियों और सामाजिक भेदभाव को खत्म करना भी है। एपिलेप्सी यानी मिर्गी को लेकर आज भी लोगों में कई मिथक मौजूद हैं, जबकि यह एक उपचार योग्य न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। यही वजह है कि यह दिन पूरे देश में जागरूकता फैलाने का एक बड़ा मंच बन चुका है।

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    National Epilepsy Day

    मिर्गी क्या है?

    एपिलेप्सी यानी मिर्गी एक ऐसी स्थिति है जिसमें मस्तिष्क की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी गड़बड़ा जाती है। इस वजह से मरीज को बार-बार दौरे (Seizures) आ सकते हैं। यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है और इसके पीछे कई संभावित कारण होते हैं- जैसे सिर पर चोट, संक्रमण, जेनेटिक कारण या कोई अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्या।

    दौरे के दौरान व्यक्ति का शरीर अनियंत्रित हो सकता है, कुछ सेकंड के लिए चेतना खो सकती है, भ्रम, धीमी सोच, अजीब संवेदनाएं या अचानक डर का अनुभव भी हो सकता है।

    राष्ट्रीय मिर्गी दिवस का इतिहास

    भारत में इस दिन की शुरुआत एपिलेप्सी फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने की थी। यह संस्था 2009 में मुंबई में डॉ. निर्मल सूरी द्वारा स्थापित की गई थी। संगठन का उद्देश्य लोगों को एपिलेप्सी के बारे में शिक्षित करना, मरीजों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें बेहतर उपचार तथा परामर्श देना था। इसी मिशन को आगे बढ़ाने के लिए नेशनल एपिलेप्सी डे की शुरुआत की गई, ताकि पूरे देश में जागरूकता का दायरा बढ़ाया जा सके।

    राष्ट्रीय मिर्गी दिवस का महत्व

    इस दिन कई महत्वपूर्ण संदेशों पर जोर दिया जाता है:

    • अंधविश्वास और भेदभाव को खत्म करना, क्योंकि आज भी कई लोग मिर्गी को गलत नजरिए से देखते हैं।
    • यह बताना कि एपिलेप्सी पूरी तरह उपचार योग्य है और मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं।
    • स्कूलों, ऑफिसों और समाज में समझ और संवेदनशीलता बढ़ाना।
    • सरकार और स्वास्थ्य संस्थानों को बेहतर इलाज, दवाइयों और पुनर्वास सुविधाओं के लिए प्रेरित करना।
    • लोगों को यह सिखाना कि दौरा पड़ने के समय सही प्रतिक्रिया कैसे दें।
    • मरीजों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करना।

    epilepsy signs

    मिर्गी के आम लक्षण

    एपिलेप्सी के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं, फिर भी कुछ सामान्य संकेत हैं:

    • कुछ क्षणों के लिए चेतना का खो जाना
    • शरीर में अनियंत्रित हरकतें
    • गंध, आवाज या दृश्य संवेदनाओं में बदलाव
    • अचानक डर या अजीब अनुभव होना
    • भ्रम, धीमी सोच या प्रतिक्रिया देर से देना

    कितने प्रकार के होते हैं दौरे?

    मिर्गी में दो मुख्य तरह के दौरे देखे जाते हैं:

    फोकल ऑनसेट सीजर्स

    ये मस्तिष्क के किसी एक हिस्से में शुरू होते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-

    • फोकल अवेयर सीजर: इसमें व्यक्ति को दौरे के दौरान होश रहता है।
    • फोकल इम्पेयर्ड अवेयर सीजर: इसमें व्यक्ति चेतना खो सकता है।

    जनरलाइज्ड ऑनसेट सीजर्स

    इसमें दौरा मस्तिष्क के दोनों हिस्सों के बड़े नेटवर्क को प्रभावित करता है। इसके कई प्रकार होते हैं- जैसे एबसेंस सीजर्स, टॉनिक, क्लॉनिक, टॉनिक-क्लॉनिक, मायोक्लॉनिक आदि।

    मिर्गी को नियंत्रित रखने के आसान उपाय

    • दवाइयां समय पर लें: नियमित दवा लेना सबसे जरूरी है।
    • अच्छी नींद लें: नींद की कमी दौरे का खतरा बढ़ाती है।
    • कैफीन से बचें: कॉफी, एनर्जी ड्रिंक, सोडा आदि दौरा ट्रिगर कर सकते हैं।
    • हाइड्रेटेड रहें: पानी की कमी शरीर को तनाव में डाल सकती है।
    • फ्लिकरिंग लाइट्स से बचें: तेज चमकती रोशनियां खासकर बच्चों में दौरे को ट्रिगर कर सकती हैं।

    नेशनल एपिलेप्सी डे पर देशभर में वर्कशॉप, हेल्थ कैंप, सेमिनार और जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनका मकसद लोगों को बताना है कि एपिलेप्सी किसी भी तरह की सामाजिक कमजोरी नहीं, बल्कि एक चिकित्सकीय स्थिति है। इन कार्यक्रमों में बताया जाता है कि दौरे के वक्त कैसे मदद करनी चाहिए और मरीजों के लिए किस तरह का भावनात्मक और सामाजिक समर्थन जरूरी है।

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