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    सिर्फ धूप ही नहीं! विटामिन D की कमी के पीछे छिपे हैं ये 4 कारण, इन्हें पहचानना है जरूरी

    By Meenakshi NaiduEdited By: Harshita Saxena
    Updated: Fri, 07 Nov 2025 05:10 PM (IST)

    विटामिन डी की कमी के लिए अक्सर सिर्फ धूप न मिलने को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन इसके पीछे कई और कारण भी हो सकते हैं। जैसे खराब डाइट जिसमें विटामिन डी से भरपूर फूड्स न हो, मोटापा, पाचन संबंधी बीमारी आदि। ये सभी कारण शरीर में विटामिन-डी के एब्जॉर्पशन या एक्टिविटी को प्रभावित करते हैं, जिससे हड्डियों, इम्यून सिस्टम, मेंटल हेल्थ पर नेगेटिव इफेक्ट पड़ सकता है।

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    विटामिन डी की कमी: धूप ही नहीं, ये कारण भी हैं जिम्मेदार (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। विटामिन डी हमारे शरीर के लिए एक जरूरी पोषक तत्व है, जो हड्डियों को मजबूत रखने, इम्यून सिस्टम को सपोर्ट करने, मांसपेशियों की कार्यक्षमता बनाए रखने और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद करता है।

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    आमतौर पर इसकी कमी के लिए सूर्य की रोशनी में कम समय बिताना प्रमुख कारण माना जाता है, लेकिन इसके अलावा भी कई छुपे हुए कारण हैं जो शरीर में विटामिन डी की कमी को जन्म दे सकते हैं। 

    आज मॉर्डन लाइफ स्टाइल में, कुछ बीमारियां और खानपान की आदतें इस पोषक तत्व की अवेलेबिलिटी को प्रभावित कर सकती हैं।तो आइए जानें ऐसे कुछ अन्य कारणों के बारे में,जो इसकी कमी के पीछे छुपे हो सकते हैं। 

    पोषक तत्वों की कमी वाली डाइट

    अगर आप ऐसे फूड्स नहीं खाते जो विटामिन डी से भरपूर हों जैसे अंडे की जर्दी, फैटी मछली (जैसे साल्मन, ट्यूना), फोर्टिफाइड दूध और अनाज, मशरूम आदि, तो शरीर को यह जरूरी विटामिन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता। वेजिटेरियन या वेगन डाइट लेने वालों को ये प्रॉब्लम ज्यादा होती है क्योंकि इनके नेचुरल सोर्स सीमित हैं।

    ज्यादा वजन या मोटापा

    शरीर में फैट सेल्स विटामिन डी को ‘ट्रैप’ कर लेती हैं, जिससे वह ब्लड सर्कुलेशन में नहीं पहुंच पाता। यही कारण है कि ओवरवेट या मोटे लोगों में अक्सर इसकी कमी पाई जाती है, भले ही वो धूप में पर्याप्त समय बिता रहे हों।

    किडनी और लिवर की खराब कार्यक्षमता

    विटामिन-D जब शरीर में प्रवेश करता है, तो किडनी और लिवर की मदद से यह एक्टिव रूप में परिवर्तित होता है। लेकिन जब इन अंगों में कोई रोग होता है, तो यह प्रोसेस प्रभावित हो जाती है और शरीर को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता।

    उम्र का प्रभाव

    उम्र बढ़ने के साथ स्किन की विटामिन डी सिंथेसिस कैपेसिटी कम हो जाती है। बुजुर्ग लोग अक्सर धूप से भी बचते हैं और उनका खानपान भी सीमित हो जाता है, जिससे यह कमी और बढ़ती है।

    पाचन से जुड़ी बीमारियां

    कुछ बीमारियां जैसे सीलिएक डिज़ीज, क्रोहन डिज़ीज़ या अल्सरेटिव कोलाइटिस, आंतों के माध्यम से पोषक तत्वों के अवशोषण को प्रभावित करती हैं। नतीजतन, विटामिन डी भी सही तरीके से शरीर में नहीं पहुंच पाता।

    कुछ दवाइयों का प्रभाव

    ऐसी दवाएं जो लंबे समय तक ली जाती हैं जैसे स्टेरॉयड्स, एंटी-कन्वल्सेंट्स या कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवाएं, शरीर में विटामिन डी के मेटाबालिज्म को धीमा कर सकती हैं।

    इन सभी कारणों को समझना जरूरी है, जिससे समय रहते विटामिन डी की कमी की पहचान हो सके और सही खानपान, एक्सरसाइज, धूप में समय बिताने व चिकित्सकीय सलाह से इसे संतुलित किया जा सके।

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