स्टॉकिंग से सिर्फ मेंटल हेल्थ ही नहीं, महिलाओं के दिल को भी खतरा; बढ़ जाता है Heart Disease का रिस्क
स्टॉकिंग महिलाओं के दिल की सेहत पर बुरा असर डालती है, भले ही कोई शारीरिक चोट न लगे। अध्ययनों से पता चला है कि स्टॉकिंग की शिकार महिलाओं में हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। लगातार तनाव में रहने से कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम प्रभावित होता है। अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस में शिकायत करें और डॉक्टर से सलाह लें।

स्टॉकिंग से महिलाओं की हार्ट हेल्थ पर गंभीर खतरा (Picture Credit- AI Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। स्टॉकिंग के दौरान भले ही महिला को कोई शारीरिक चोट नहीं लगती लेकिन उनकी दिल की सेहत काफी प्रभावित होती है। 3 में से 1 महिला इसका शिकार होती हैं और इस ट्रॉमा की वजह से हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। समस्या ज्यादा होने पर किसी एक्सपर्ट की राय लेना एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
भले ही हर महिला स्टॉक (stalk) की शिकार न हुई हों, लेकिन इसके डर को जरूर महसूस कर सकती हैं। हार्वर्ड में हुई एक स्टडी से खुलासा हुआ है कि जो महिलाएं इस खतरनाक उत्पीड़न का शिकार होती हैं, उनके दिल पर गहरा असर पड़ता है। उन्हें भविष्य में हार्ट डिजीज या स्ट्रोक होने का खतरा 40% तक बढ़ जाता है।
इस तरह होती है स्टॉकिंग
- आप पर कोई लगातार नजर रख रहा होता है या पीछा कर रहा होता है।
- आपके घर या ऑफिस के आस-पास कोई व्यक्ति बार-बार नजर आए।
- आपकी जासूसी कर रहा हो।
- बेवजह के मैसेज या तोहफे मिल रहे हों।
5 में से 1 महिला की मौत का खतरा हार्ट डिजीज से
दुनियाभर में महिलाओं की मौत का एक प्रमुख कारण हार्ट डिजीज भी माना जाता है। इसके होने के पांच प्रमुख कारण हैं हाई ब्लड प्रेशर, हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, ज्यादा वजन और स्मोकिंग। हालांकि, कई सारी स्टडी स्टॉकिंग जैसी तनावपूर्ण घटनाओं और स्ट्रेस को भी इसका कारण मानती है। महिलाओं के साथ होने वाली ये घटनाएं भले ही आम मानी जाती है, लेकिन इसका प्रभाव आगे चलकर उनकी कार्डियोवेस्कुलर हेल्थ पर भी पड़ता है।
ट्रॉमा का असर क्यों पड़ता है दिल पर
लगातार स्ट्रेस की स्थिति में बने रहने से कार्डियोवेस्कुलर और मेटाबॉलिक सिस्टम को नुकसान पहुंचता है और दिल के रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इतना ही नहीं जिन महिलाओं का लगातार पीछा किया जाता है उनकी नींद, भूख और एक्टिव रहने की इच्छा भी प्रभावित होती है।
ऐसे में क्या करें
अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले पुलिस की मदद लें और इसकी शिकायत करें। इसके साथ ही अपने डॉक्टर से भी इस बारे में बताएं। ज्यादातर डॉक्टर्स जानते हैं कि स्टॉकिंग का किस प्रकार दिमाग और शरीर पर प्रभाव पड़ता है। खुद को दोष देने की बजाय अपने आस-पास एक सपोर्ट सिस्टम बताएं और किसी भरोसेमंद से इस बारे में बात करें।

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