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    6 घंटे से कम नींद लेने पर शरीर में शुरू हो जाती है 'गंभीर हलचल', डॉक्टर बता रहे हैं कैसे

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 08:29 AM (IST)

    क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो सोचते हैं कि 6 घंटे से कम सोकर भी काम चल जाएगा? अगर हां, तो आपको सावधान होने की जरूरत है। जी हां, डॉक्टर चेतावनी दे रहे हैं कि पर्याप्त नींद न लेना सिर्फ थकान नहीं लाता, बल्कि हमारे शरीर के अंदर 'गंभीर हलचल' भी शुरू कर देता है, जिससे कई खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कि जब आप कम सोते हैं, तो आपके शरीर के साथ क्या होता है।

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    छह घंटे से कम नींद लेने से शरीर पर पड़ता है कुछ ऐसा असर (Image Source: AI-Generated)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अगर आप भी रोज देर रात तक मोबाइल चलाने, काम खत्म करने या बस वक्त निकालने के चक्कर में छह घंटे से कम सोते हैं, तो यह आदत धीरे-धीरे आपके शरीर के अंदर ऐसी हलचल पैदा करती है, जिसका असर लंबे समय तक महसूस होता है। शुरुआत में यह बस थकान, चिड़चिड़ापन या भारीपन जैसा लगता है, लेकिन असल नुकसान तो भीतर शुरू हो चुका होता है। आइए, डॉ. अजय कुमार गुप्ता (मैक्स सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, वैशाली में इंटरनल मेडिसिन के डिपार्टमेंट हेड) से जानते हैं इस बारे में।

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    शरीर का रीसेट बटन है नींद

    नींद सिर्फ आराम नहीं, बल्कि वह समय है जब शरीर खुद को ठीक करता है, हार्मोन संतुलित करता है और दिमाग से टॉक्सिन्स को साफ करता है। जब रोजाना छह घंटे से कम सोया जाता है, तो यह पूरा तंत्र बिगड़ने लगता है।

    हार्मोनल सिस्टम का असंतुलन

    कम नींद सबसे पहले एंडोक्राइन सिस्टम यानी हार्मोन तंत्र को प्रभावित करती है। तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर लंबे समय तक बढ़ा रहता है, जिससे शरीर लगातार अलर्ट मोड में रहता है। इसके साथ ही, यह चिंता, चिड़चिड़ापन, ब्लड प्रेशर और भूख पर असर डालता है। रोज छह घंटे से कम नींद लेने पर शरीर में इंसुलिन का संतुलन बिगड़ने लगता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा समय के साथ बढ़ जाता है।

    दिल पर बढ़ता बोझ

    नींद की कमी का सबसे तगड़ा असर हार्ट पर पड़ता है। रिसर्च बताती है कि नियमित रूप से कम सोने वाले लोगों में हाई ब्लड प्रेशर, अनियमित दिल की धड़कन और हार्ट अटैक का जोखिम ज्यादा होता है।

    इसके अलावा, नींद की कमी रक्त वाहिकाओं में सूजन बढ़ाती है, जिससे दिल लगातार दबाव में रहता है। अगर किसी को पहले से दिल की बीमारी है, तो नींद की कमी उसका असर और गंभीर बना सकती है।

    कमजोर इम्युनिटी

    गहरी नींद के दौरान शरीर साइटोकिन्स जैसे प्रोटीन बनाता है, जो इन्फेक्शन और सूजन से लड़ने में मदद करते हैं। नींद कम होने पर इस प्रोटीन का प्रोडक्शन घट जाता है। नतीजा– बार-बार बीमार पड़ना, चोट या संक्रमण का देर से ठीक होना। बता दें, लंबे समय तक ऐसा रहने पर शरीर में लगातार बनी रहने वाली सूजन बढ़ जाती है, जो मोटापा, गठिया और मेटाबॉलिक समस्याओं से जुड़ी है।

    याददाश्त पर असर

    कम नींद का असर दिमाग पर तुरंत दिखाई देने लगता है। सिर्फ एक रात की कम नींद ध्यान, प्रतिक्रिया समय और फैसले लेने की क्षमता को खराब कर देती है।

    लंबे समय में दिमाग में जमा होने वाला कचरा साफ नहीं हो पाता, जिसमें बीटा-एमिलॉइड भी शामिल है- वह प्रोटीन जिसे अल्जाइमर से जोड़ा जाता है। इसलिए लगातार कम नींद दिमाग की उम्र को तेजी से बढ़ा सकती है।

    मूड और भूख पर काबू मुश्किल

    नींद की कमी भावनात्मक संतुलन बिगाड़ देती है। थोड़ी-सी बात पर चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग और तनाव संभालने में कठिनाई आम हो जाती है।

    भूख से जुड़े हार्मोन भी गड़बड़ा जाते हैं, जिससे मीठा, तला-भुना और ज्यादा कैलोरी वाला खाना खाने का मन करता है। इसी वजह से कम नींद वजन बढ़ने का एक बड़ा कारण बन सकती है।

    कैसे सुधारें सोने की आदत?

    अच्छी नींद के लिए जीवन में बड़े बदलाव करने की जरूरत नहीं, बस कुछ सिंपल हैबिट्स ही काफी हैं:

    • सोने और जागने का समय रोज एक जैसा रखें।
    • सोने से पहले मोबाइल और स्क्रीन का इस्तेमाल कम करें।
    • कम रोशनी, ठंडा और शांत कमरा नींद की गुणवत्ता बढ़ाता है।
    • शाम के बाद कैफीन कम लें।
    • सोने से पहले हल्की-फुल्की रिलैक्सिंग रुटीन अपनाएं।

    छह घंटे से कम सोना शरीर के लगभग हर अंग पर दबाव डालता है। आज के बिजी लाइफस्टाइल में लोग अक्सर नींद को कम महत्व देते हैं, लेकिन एक अच्छी नींद ही शरीर की ऊर्जा, सेहत और उम्र के सही संतुलन को बनाए रखने में सबसे ज्यादा कारगर है।

    जब शरीर पूरा आराम पाता है, तो वह बेहतर काम करता है, जल्दी ठीक होता है और लंबे समय तक स्वस्थ रहता है। इसलिए नींद को समय देना खुद के लिए किया गया सबसे आसान और जरूरी इन्वेस्टमेंट है।

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