Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिमाग है वेट लॉस का असली दुश्मन, समझें क्यों डाइट बंद करते ही तेजी से वापस आ जाता है आपका वजन?

    Updated: Sun, 16 Nov 2025 12:49 PM (IST)

    कई लोगों से आपने सुना होगा कि जैसे ही वे डाइटिंग बंद करते हैं, उनका वजन फिर से बढ़ जाता है। ऐसे में ज्यादातर लोग मानते हैं कि यह सेल्फ कंट्रोल की कमी के कारण होता है। लेकिन हकीकत इससे कुछ अलग है। दरअसल, दोबारा वजन बढ़ने के पीछे दिमाग का काफी अहम रोल होता है। आइए जानें कैसे दिमाग आपका वजन कम करना (Weight Loss) मुश्किल बना देता है। 

    Hero Image

    क्यों दिमाग करता है वजन घटाने का विरोध? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने डाइटिंग शुरू की, कुछ किलो कम भी कर लिए, लेकिन देखते ही देखते वजन फिर वापस आ गया? बहुत लोग इसे अपनी सेल्फ कंट्रोल की कमी समझते हैं, लेकिन साइंस कहता है कि असली कारण आपकी इच्छाशक्ति नहीं, बल्कि आपका दिमाग (Brain's Role in Weight Loss) है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जी हां, यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन के शोधकर्ता बताते हैं कि वजन घटाना (Weight Loss) सेल्फ कंट्रोल बनाए रखने की लड़ाई नहीं, बल्कि एक न्यूरोबायोलॉजिकल वॉर है, जिसमें दिमाग अक्सर वजन घटाने के खिलाफ काम करता है।

    दिमाग क्यों कम नहीं होने देता वजन?

    यह सब हमारे पूर्वजों की विरासत है। लाखों साल पहले जब खाना हर समय उपलब्ध नहीं होता था, तब शरीर ने फैट को सुरक्षा कवच की तरह जमा करना शुरू किया। यानी खाने की कमी- खतरा, फैट- सुरक्षा। आज भले ही खाना हर जगह आसानी से मिल जाता है, लेकिन दिमाग अब भी पुराने सिस्टम पर काम करता है। इसलिए जैसे ही आप वजन घटाने की कोशिश करते हैं, दिमाग खतरे का अलार्म बजा देता है।

    इसका असर तीन तरह से दिखता है- 

    • भूख बढ़ जाती है- डाइटिंग शुरू करते ही घ्रेलिन जैसे हार्मोन बढ़ जाते हैं, जिससे लगातार भूख लगती है।
    • एनर्जी का खर्च कम हो जाता है-  शरीर कैलोरी बचाने की कोशिश करता है, यानी आप पहले की तुलना में कम कैलोरी बर्न करते हैं।
    • दिमाग पुराना वजन ‘याद’ रखता है- यह शरीर का सेट-पॉइंट वजन होता है। दिमाग कोशिश करता है कि वजन उसी पर वापस आ जाए, चाहे आप कितना भी कोशिश कर लें।

    यही वजह है कि वजन कम करना उतना मुश्किल नहीं है, जितना उसे बनाए रखना। क्योंकि दिमाग बार-बार शरीर को पुराने वजन पर लाने की कोशिश करता है।

    weight Loss Tips (4)

    वेगोवी और मौंजारो जैसी दवाएं क्या स्थायी इलाज हैं?

    वजन घटाने वाली नई दवाएं जैसे वेगोवी और मौंजारो आंत के हार्मोन की नकल करके भूख कम करती हैं। यह वजन घटाने में मदद करती हैं, लेकिन इलाज बंद होते ही दिमाग फिर वही पुराना प्रोग्राम चालू कर देता है। भूख वापस बढ़ती है, एनर्जी का खर्च कम हो जाता है और वजन धीरे-धीरे फिर बढ़ जाता है। इसलिए वजन घटाने की दवाएं स्थायी समाधान नहीं हैं।

    अब वैज्ञानिक ऐसी थेरेपी पर काम कर रहे हैं जो दिमाग की वजन मेमोरी यानी सेट-पॉइंट को रीसेट कर सके, ताकि शरीर नया वजन ही “सुरक्षित” समझने लगे।

    किस उम्र तक वजन नियंत्रित करने की क्षमता बनती है?

    रिसर्च बताते हैं कि हमारी खाने की आदतें और वजन नियंत्रित करने की क्षमता प्रेग्नेंसी से लेकर करीब 7 साल की उम्र तक विकसित हो जाती है। इसी दौरान दिमाग सीखता है कि कब भूख लगती है, कितना खाना चाहिए, शरीर कितना फैट स्टोर करेगा यानी मोटापे का बीज बचपन में ही बोया जाता है। अगर शुरुआती सालों में सही खानपान और खाने का पैटर्न विकसित हो जाए, तो आगे चलकर वजन नियंत्रित रखना आसान होता है।

    वजन कम करना दिमाग, हार्मोन और बायोलॉजी के बीच चलने वाली एक लड़ाई है। हमारा दिमाग सुरक्षा के नाम पर वजन को स्थिर बनाए रखने की कोशिश करता है, भले ही आज खाने की कोई कमी न हो। लेकिन अच्छी बात यह है कि वैज्ञानिक तेजी से समझ रहे हैं कि दिमाग वजन को कैसे नियंत्रित करता है। भविष्य में ऐसी थेरेपी संभव है, जो दिमाग के वजन-सेटिंग सिस्टम को रीसेट कर सके और वजन घटाना न सिर्फ आसान, बल्कि स्थायी भी हो जाए।