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    World AIDS Day 2025: डॉक्टर ने समझाया कब HIV बन जाता है एड्स और समय रहते इलाज क्यों है सबसे जरूरी

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 07:22 AM (IST)

    अक्सर लोग एचआईवी (HIV) और एड्स (AIDS) को एक ही समझते हैं, लेकिन मेडिकल साइंस के नजरिए से ये दोनों स्थितियां बिल्कुल अलग हैं। एक बीमारी की शुरुआत है, तो दूसरी उसका सबसे गंभीर चरण। जी हां, आइए आज 1 दिसंबर को मनाए जा रहे World AIDS Day 2025 के मौके पर डॉ. प्रभात रंजन सिन्हा से इस विषय के बारे में समझते हैं।

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    World AIDS Day 2025: डॉक्टर दूर कर रहे हैं एचआईवी और एड्स का कन्फ्यूजन (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हमारे समाज में एचआईवी और एड्स को लेकर कई तरह की गलतफहमियां फैली हुई हैं। बहुत से लोग इन दोनों को एक ही बीमारी मान लेते हैं, जबकि मेडिकल साइंस के अनुसार एचआईवी और एड्स दो अलग-अलग कंडीशन हैं।

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    आकाश हेल्थकेयर में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. प्रभात रंजन सिन्हा, इस विषय पर रोशनी डालते हुए बताते हैं कि लोगों में इन दोनों को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति रहती है, जबकि इन्हें समझना बहुत जरूरी है। आइए, 1 दिसंबर को मनाए जा रहे World AIDS Day के मौके पर इस बारे में विस्तार से समझते हैं।

    HIV Positive

    एचआईवी क्या है?

    एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस एक ऐसा खतरनाक वायरस है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर धीरे-धीरे हमला करता है। यह वायरस खासतौर पर CD4 कोशिकाओं को निशाना बनाता है, जो संक्रमणों से लड़ने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

    डॉक्टर के अनुसार, एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को शुरुआती समय में कोई स्पष्ट लक्षण महसूस हों, यह जरूरी नहीं है। कई लोग वर्षों तक बिना किसी परेशानी के एचआईवी पॉजिटिव रह सकते हैं। इस दौरान वायरस शरीर में सक्रिय रहता है और धीरे-धीरे इम्यून सिस्टम को कमजोर करता जाता है। अगर इस इन्फेक्शन का सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति आगे चलकर गंभीर रूप ले सकती है।

    एड्स क्या है?

    एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम एचआईवी संक्रमण का सबसे अंतिम और गंभीर चरण है। यह कोई अलग वायरस नहीं है, बल्कि एचआईवी से लंबे समय तक बिना इलाज के रहने पर विकसित होने वाली स्थिति है।

    जब किसी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति का CD4 काउंट 200 से नीचे पहुंच जाए, या उसे कुछ विशेष प्रकार के संक्रमण या कैंसर हो जाएं, तो उसे एड्स के रूप में डायग्नोज किया जाता है। इस अवस्था में शरीर बेहद कमजोर हो जाता है और सामान्य संक्रमण भी गंभीर हो सकते हैं।

    एचआईवी को एड्स में बदलने में कितना समय लगता है?

    यह प्रक्रिया हर व्यक्ति में अलग हो सकती है। औसतन-

    • अगर एचआईवी का इलाज बिल्कुल न किया जाए,
    • तो यह संक्रमण 8 से 10 साल में एड्स के चरण तक पहुंच सकता है।
    • हालांकि, यह अवधि व्यक्ति के लाइफस्टाइल, सेहत और बीमारी की गंभीरता पर भी निर्भर करती है।

    क्या एचआईवी का इलाज संभव है?

    आज चिकित्सा विज्ञान के पास एचआईवी को पूरी तरह खत्म करने का उपाय नहीं है, लेकिन एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) ने इस संक्रमण की प्रकृति को पूरी तरह बदल दिया है।

    ART क्या करती है?

    • वायरस को नियंत्रित रखती है।
    • प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने में मदद करती है।
    • वायरस को एड्स में बदलने से काफी हद तक रोकती है।
    • मरीज को सामान्य, लंबा और स्वस्थ जीवन जीने में सक्षम बनाती है।

    यह दवाएं वायरस को शरीर से हटाती नहीं हैं, लेकिन उसे इतना कमजोर कर देती हैं कि बीमारी आगे नहीं बढ़ पाती।

    समय पर जांच क्यों है जरूरी?

    एचआईवी संक्रमण के शुरुआती वर्षों में लक्षण न दिखना सबसे बड़ी चुनौती है। इसलिए, समय-समय पर एचआईवी टेस्ट, सुरक्षित व्यवहार, और नियमित दवा लेना इन सबकी मदद से एड्स को पूरी तरह रोका जा सकता है।

    एचआईवी और एड्स एक ही नहीं हैं। एचआईवी एक वायरस है, जबकि एड्स उस वायरस का अंतिम और गंभीर चरण। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि आज की आधुनिक चिकित्सा, खासकर ART के जरिए एचआईवी संक्रमित व्यक्ति लंबे समय तक बिल्कुल सामान्य जीवन जी सकता है।

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