Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हर 7 में से एक व्यक्ति है डिप्रेशन का शिकार, एम्स के डॉक्टर ने बताए इसके लक्षण और बचाव का सही तरीका

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 07:56 AM (IST)

    विश्व स्वास्थ्य संगठन की नई रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोग मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों से जूझ रहे है। ये कैसे किसी को आत्महत्या की ओर धकेल सकती है क्या है इसके लक्षण मानसिक सेहत बिगड़ने से कैसे बचाएं किन बातों का रखें ध्यान? आइए इनके जवाब जानें डॉ. नंद कुमार (प्रोफेसर मनोचिकित्सा विभाग एम्स दिल्ली) से।

    Hero Image
    कैसे करें डिप्रेशन की पहचान? (Picture Courtesy: Freepik)

    सीमा झा, नई दिल्ली। क्या पहले की तुलना में कामकाज क्या के प्रति संघ कम होती जा रही है, नींद बाधित रहती है, खालीपन या असहाय महसूस करते हैं? यदि हां, तो इन लक्षणों की अनदेखी न करें। हालांकि यह जानना जरूरी है कि ऐसा महसूस करने वाले आप अकेले नहीं हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह मनोदशा आज ज्यादातर लोगों की है और इसके कुछ ठोस कारण होते हैं। इन कारणों का उचित निदान किया जाए तो समय रहते अवसाद के गंभीर लक्षणों को उभरने से रोका जा सकता है।

    उल्लेखनीय है कि अवसाद सामान्य मनोदशा में होने वाले उतार-चढ़ाव से अलग होता है। ये लक्षण सामान्यतः दो हफ्ते से अधिक समय तक रहते हैं और यदि उचित उपचार न किया जाए तो यह स्वयं को नुकसान पहुंचाने या आत्महत्या की कगार पर पहुंचाने का जोखिम पैदा कर सकते हैं।

    एक जटिलता है, बीमारी नहीं

    यदि आप बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को लेकर चिंतित हैं तो यह जानना जरूरी है कि जिन्हें अवसाद नहीं होता, वे भी खुद को नुकसान पहुंचाने या आत्महत्या के कदम उठा सकते हैं। मैं मजबूत हूं या अमुक व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता, यह न सोचें। दरअसल, किसी एक कारण से आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने का सीधा संबंध नहीं होता। इसके कई कारण हो सकते हैं। सामाजिक, आर्थिक या सेहत से जुड़ी परेशानी के साथ - साथ रिश्तों में हो रही समस्याओं के कारण भी लोग ऐसा कदम उठा सकते हैं।

    अवसाद के लक्षण जानें

    • एकाग्रता में कमी
    • आत्मग्लानि होना
    • आवेश या आवेगपूर्ण व्यवहार
    • आत्मसम्मान की कमी
    • भविष्य के प्रति निराशा
    • स्वयं को हानि पहुंचाने या आत्महत्या के विचार
    • नींद की कमी
    • थकान व ऊर्जा में कमी महसूस करना आदि

    इन संकेतों को जानना जरूरी

    आत्महत्या के विचार आना किसी न किसी परिस्थिति वश हो सकता है। आपको उस परिस्थिति में स्वयं को संभालना होता है। अधिकांशतया यह तब घटता है, जब व्यक्ति स्वयं को बेबस और मूल्यहीन महसूस करने लगता है। कोई राह नहीं नजर आती और सपोर्ट सिस्टम की कमी रहती है तो वह ऐसे कदम उठा लेता है। कुछ संकेत हैं, जिन्हें उचित सूझबूझ से पहचान कर आत्महत्या को रोका जा सकता है।

    बचें दिमागी थकान से

    पिछले कुछ सालों में भावनात्मक सपोर्ट सिस्टम तेजी से कम हो रहा है। समय नहीं है, समय बर्बाद नहीं करना, अपने काम से काम रखना, इस तरह की सोच बढ़ी है। करियर में अच्छा करने की होड़ और ज्यादा बेहतर करने की महत्वाकांक्षा एक बड़ा कारण है, जिसे समय रहते समझने की जरूरत है। वास्तव में अधिक पाने की चाह दिमाग को बुरी तरह थका देती है। थका हुआ दिमाग जल्द ही ऊब का शिकार हो जाता है। जीवन नीरस लगने लगता है और इस क्रम में अवसाद चुपके से दबोच सकता है।

    दिनचर्या में रखें ध्यान

    थकान महसूस हो, कसरत न कर सकें तो कम से कम लंबी सांस लेने का अभ्यास करें।

    कामकाज में मन ना लगे तो कुछ नया सीखने की पहल करें।

    दिमाग को उलझाए रखें। लोगों से बात करें। अनजान लोगों से जुड़ने का प्रयास करें।

    जब नकारात्मकता हावी होने लगे

    • वर्तमान वातवारण को बदलें ।
    • स्वयं को अलग-थलग न करें।
    • बंद कमरे से बाहर निकलें।
    • नशे के सेवन से बचें। नशा तात्कालिक रूप में अच्छा लगेगा पर बाद में नकारात्मकता और भी हावी हो सकती है।
    • नींद से समझौता मुसीबत बढ़ा सकता है।

    युवाओं में बढ़ता जोखिम

    राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि युवाओं में आत्महत्या की दर में बेहताशा बढ़ोतरी हो रही है। प्रतिभाशाली और पढ़े-लिखे युवा भी आत्महत्या करते हैं तो लोग हैरान होते हैं। पर यह समझने की आवश्यकता है कि पढ़ाई और करियर में अच्छा करना अलग चीज है और जीवन में विपरीत परिस्थतियां आने पर उन पर विजय प्राप्त करना अलग।

    यह सही समय है जब बच्चों में समस्याओं का सामना करने या उनका सामना करने की क्षमता को प्रोत्साहन दिया जाए। कठिनाइयों से आगे निकलकर राह बनाना भी एक बड़ी जीत है, यह समझ विकसित करने की जरूरत है।

    यह भी पढ़ें- आत्महत्या की बड़ी वजह है डिप्रेशन, इन लक्षणों से करें टीनएजर्स में इसकी पहचान

    यह भी पढ़ें- आम नहीं है नींद में बड़बड़ाने की आदत, जानें इसकी वजह और कैसे करें इसे मैनेज