बच्चों के साथ मनाएं सेफ दीवाली, पटाखों से लेकर खान-पान तक; सुरक्षा के लिए अपनाएं ये 5 गोल्डन रूल्स
दीवाली का त्योहार रोशनी और उमंग से भरा पर्व है। बच्चे इस त्योहार के लिए सबसे ज्यादा उत्सुक रहते हैं। लेकिन इस मौके पर उनकी ही सुरक्षा को लेकर ज्यादा सतर्क रहना चाहिए (Diwali Safety)। दरअसल, पटाखों और दीयों के कारण दुर्घटना का जोखिम रहता है। वहीं खान-पान में लापरवाही भी उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है।

दीवाली पर कैसे रखें बच्चों का ख्याल? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दीवाली (Diwali 2025) का त्योहार खुशियों, रोशनी और उत्साह से भरा होता है। बच्चों के लिए तो यह त्योहार खास आनंद लेकर आता है- नए कपड़े, मिठाइयां, और आतिशबाजी का मजा। लेकिन इसी उत्साह के बीच हमें बच्चों की सुरक्षा का खास ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है।
दीवाली के मौके पर छोटी सी लापरवाही बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। आइए जानते हैं दीवाली पर बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए 5 जरूरी टिप्स (Diwali Safety Tips)।
(Picture Courtesy: Freepik)
पटाखों पर निगरानी रखें
बच्चे कभी भी अकेले पटाखे न जलाएं। हमेशा बड़ों की देख-रेख में ही आतिशबाजी का आनंद लें। छोटे बच्चों को पटाखों से पूरी तरह दूर रखना ही बेहतर है। बड़े बच्चों को पटाखे जलाते समय सुरक्षा के नियमों के बारे में जरूर बताएं - जैसे कि पटाखों को कभी भी हाथ में पकड़कर न जलाएं, उन्हें दूर से फ्यूज जलाएं और तुरंत सुरक्षित दूरी पर चले जाएं। रॉकेट जैसे पटाखे खुले मैदान में ही जलाएं और ध्यान रखें कि आसपास कोई ज्वलनशील चीज न हो।
सही कपड़ों का चुनें
दीवाली के दिन बच्चों को सिंथेटिक या ढीले-ढाले कपड़े पहनाने से बचें। सूती कपड़े सबसे सुरक्षित ऑप्शन हैं, क्योंकि वे आग नहीं पकड़ते। बालों को भी ढक कर रखें, खासकर लंबे बालों वाली बच्चियों के। टाइट फिटिंग वाले कपड़े और जूते पहनाएं, ताकि कपड़े आसानी से आग न पकड़ें और पैर सुरक्षित रहें।
इमरजेंसी की तैयारी रखें
घर में फर्स्ट-एड किट जरूर रखें। इसमें बर्नोल क्रीम, एंटीसेप्टिक क्रीम, बैंड-एड, और जलन कम करने वाली दवाएं शामिल हों। बच्चों को आग लगने की स्थिति में 'स्टॉप, ड्रॉप एंड रोल' तकनीक सिखाएं। सभी बड़े सदस्यों को नजदीकी अस्पताल और डॉक्टर के नंबर पता होने चाहिए।
मिठाई और खान-पान पर ध्यान दें
दीवाली पर मिलने वाली मिठाइयों और चॉकलेट्स पर खास ध्यान दें। छोटे बच्चों को मेवे वाली मिठाइयां देते समय सावधानी बरतें कि कहीं कोई मेवा उनके गले में न अटके। बाहर की मिठाइयों से एलर्जी की संभावना हो सकती है, इसलिए घर की बनी मिठाइयां ही दें। ज्यादा मिठाई खाने से पेट खराब हो सकता है, इसलिए सीमित मात्रा में ही मिठाई दें।
ध्वनि प्रदूषण से बचाव
छोटे बच्चों के कान बहुत सेंसिटिव होते हैं। तेज आवाज वाले पटाखों से उन्हें डर लग सकता है और कानों को नुकसान पहुंच सकता है। बच्चों को कानों में रुई लगाकर रखने के लिए कहें। शिशुओं को तो पटाखों की आवाज से बिल्कुल दूर रखें। अगर बच्चा डर जाए तो उसे प्यार से समझाएं और सुरक्षित दूरी पर ले जाएं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।