इंसानों की ही तरह पौधे भी करते हैं आस-पास की टेंशन महसूस, समझें इसके पीछे का पूरा प्रोसेस
इंसान अपने सेंसरी ऑर्गन्स की मदद से आस-पास क्या चल रहा है इसका आसानी से पता लगा सकते हैं। लेकिन क्या आपको पता है इंसानों की ही तरह पौधे भी अपने आस-पास के वातावरण के बारे में पता लगा सकते हैं। आइए समझें पौधे ऐसा कैसे करते हैं और ये क्यों उनके लिए जरूरी है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अपने आस-पास के वातावरण का पता लगाने के लिए इंसानों के पास त्वचा है, जो उनके सेंस ऑर्गन्स में से एक है। त्वचा की मदद से हम ठंडी, गर्मी आदि का पता लगा पाते हैं। लेकिन अगर हम कहें कि इंसानों की ही तरह पौधे भी अपने आस-पास के माहौल को महसूस कर सकते हैं तो?
यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह बिल्कुल सच है। वे अपने आस-पास के वातावरण को महसूस करने और उसके अनुसार खुद को ढालने की अद्भुत क्षमता रखते हैं। आइए जानें कैसे बिना आंख, कान या नाक के भी, आस-पास के खतरों, मौसमी परिवर्तनों और यहां तक कि आस-पास मौजूद अन्य पौधों को समझ सकते हैं।
तनाव को महसूस करना और आकार बदलना
पौधे लगातार पर्यावरणीय दबावों- जैसे तेज हवा, बारिश, या फिजिकल बैरियर के बीच जीवित रहते हैं। इन तनावों के खिलाफ उनका रिएक्शन साफ दिखाई देता है। उदाहरण के लिए, लगातार तेज हवाओं के संपर्क में आने वाला पौधा अपना आकार बदल लेता है; वह छोटा और मजबूत हो जाता है, ताकि हवा का सामना बेहतर ढंग से कर सके। इसी तरह, जड़ें यदि रास्ते में किसी चट्टान से टकराती हैं, तो वे उसके चारों ओर घूमकर विकसित होती हैं। यह दिखाता है कि पौधे न सिर्फ अपने आस-पास की चीजों को महसूस करते हैं, बल्कि उनके अनुसार खुद को ढाल भी लेते हैं।
एपिडर्मिस- पौधों की 'त्वचा'
मनुष्यों की तरह, पौधों की भी एक बाहरी परत, एपिडर्मिस होती है, जो एक सेफ्टी बैरियर का काम करती है। यह परत न सिर्फ अंदरूनी संरचना की सुरक्षा करती है और पानी के नुकसान को रोकती है, बल्कि यह पर्यावरणीय दबावों को 'सेंस' करने का मुख्य सेंटर भी है। पौधों की यह 'त्वचा' सेल्स की डेंस लेयरिंग से बनी होती है, जो अक्सर मोम की एक परत से ढकी रहती है।
इस बात की पुष्टि करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग भी किया था, जिसमें सूरजमुखी के तने को हल्का-सा काटा गया। उन्होंने देखा कि बाहरी एपिडर्मिस परत सिकुड़ गई, जबकि इंटरनल टिश्यूज बढ़ते रहे। इससे पता चला कि पौधे की बाहरी परत टेंशन में होती है, जबकि अंदरूनी भाग कंप्रेशन का सामना कर रहा होता है। यह स्ट्रेस ही पौधे के विकास और दिशा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
टेंशन को भांपकर करते हैं ग्रोथ
पौधे की त्वचा एक इंफॉर्मेशन सेंटर की तरह काम करती है। जब यह तनाव को महसूस करती है, तो इसके पास दो ऑप्शन होते हैं- या तो खुद को और मजबूत बनाकर इस स्ट्रेस को रेजिस्ट करना, या फिर दबाव को कम करने के लिए खुद को 'रिलैक्स करना। यह निर्णय पौधे की ग्रोथ पैटर्न, उसकी मजबूती और उसके आकार को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।
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Source:
The University of Melbourne: https://pursuit.unimelb.edu.au/articles/plants-have-feelings-too
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