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    "म्यूजिक मत बदलना"- Piyush Pandey की वो जिद, जिसने Cadbury के ऐड को हमेशा के लिए 'अमर' बना दिया

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 04:36 PM (IST)

    भारतीय विज्ञापन जगत में कुछ नाम ऐसे हैं, जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता है। इन्हीं में से एक थे पीयूष पांडे, जिन्होंने विज्ञापन को सिर्फ प्रोडक्ट बेचने का जरिया नहीं, बल्कि जिंदगी के प्यारे पलों को दिखाने का माध्यम बना दिया। 'फेविकोल' की मजेदार टैगलाइन हो या 'एशियन पेंट्स' का प्यारा संदेश, उनके काम ने भारतीय संस्कृति में अपनी गहरी जड़ें जमा रखी हैं।

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    सोशल मीडिया से पहले कैसे वायरल हुई थी कैडबरी वाली लड़की? (Image Source: X) 


    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अगर 90 के दशक में आपने टीवी देखा है, तो वह सीन शायद आज भी याद होगा- क्रिकेट का मैदान, शॉट लगते ही भीड़ में खुशियों की लहर और एक लड़की, जो हाथ में चॉकलेट लिए बिना सोचे-समझे मैदान पर दौड़ पड़ती है।

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    नीले रंग की ड्रेस में वह लड़की, मैदान में दौड़ती हुई, सुरक्षा गार्ड्स को पीछे छोड़ती हुई और बैकग्राउंड में बजता हुआ मधुर संगीत- यही तो था असली “स्वाद जिंदगी का।” जी हां, यह सिर्फ एक विज्ञापन नहीं था, यह उस दौर की भावना थी... और इसके पीछे थे भारतीय विज्ञापन जगत के महान हस्ताक्षर- पियूष पांडे।

    बच्चों की चॉकलेट से 'सबका सेलिब्रेशन' बनी कैडबरी

    साल था 1994... कैडबरी इंडिया एक अजीब चुनौती से जूझ रहा था। दरअसल, लोग मानते थे कि चॉकलेट सिर्फ बच्चों के लिए होती है। बड़े लोग या तो खुद नहीं खाते थे या बच्चों को गिफ्ट के तौर पर देते थे। ऐसे में, ब्रांड को अपनी पहचान बदलनी थी, उसे “मॉडर्न” और “कूल” बनाना था। इसी मुश्किल काम का जिम्मा मिला ओगिल्वी के पियूष पांडे को। वो उस वक्त दीवाली की छुट्टी मनाने अमेरिका गए हुए थे। तभी बॉस का फोन आया- “हमें कुछ बड़ा करना है, नहीं तो अकाउंट चला जाएगा।”

    पांडे उसी वक्त वापसी की फ्लाइट बुक करते हैं। और फ्लाइट में, सीट पर बैठे-बैठे ही बोर्डिंग पास के पीछे कुछ पंक्तियां लिखते हैं-

    “There’s something so real in everyone...”

    उन्हें अंदाजा नहीं था कि यही लाइन आगे जाकर भारतीय विज्ञापन इतिहास का सबसे यादगार जिंगल बनेगी।

    15 मिनट में बनी धुन, जिसने दिल जीत लिया

    मुंबई लौटते ही पांडे ने मशहूर म्यूजिशियन लुईस बैंक्स से संपर्क किया। बैंक्स ने अगले फ्लाइट से पहले सिर्फ 15 मिनट में ट्यून बना दी। अंग्रेजी वर्जन गाया गया, रिकॉर्डिंग पूरी हुई, लेकिन पांडे को लगा, इसमें 'दिल' नहीं है। उन्होंने खुद हिंदी में गीत लिखा- “कुछ स्वाद है जिंदगी में” और शंकर महादेवन को बुलाया। बता दें, महादेवन की आवाज में वो मिठास थी जो चॉकलेट जैसी लगी। यही जादू बन गया विज्ञापन की पहचान।

    खोज उस लड़की की, जिसने दिलों में जगह बना ली

    अब चाहिए थी एक चेहरा- जो “खुशी” को निभाए नहीं, महसूस करे। न कोई बड़ी मॉडल, न कोई स्टार- बस एक सच्ची मुस्कान और जिंदगी से भरी ऊर्जा।

    तभी आईं शिमोना राशी... वह प्रोफेशनल डांसर नहीं थीं और यही बात उन्हें खास बनाती थी। ब्रेबॉर्न स्टेडियम में शूट हुआ, एक ही टेक में सब कुछ कैद हो गया- बिना रिहर्सल, बिना कैमरा-डर।

    वो मैदान पर भागीं, घूमीं, हंसीं- जैसे हर बंधन से आजाद हों। पियूष पांडे की टीम जान गई- यही है “असली स्वाद जिंदगी का।”

    जब पूरा देश झूम उठा

    विज्ञापन टीवी पर आया और देशभर में छा गया। जी हां, लोगों ने उसे सिर्फ देखा नहीं, महसूस भी किया।

    पहली बार किसी ब्रांड ने चॉकलेट को सिर्फ बच्चों की खुशी नहीं, बल्कि हर उम्र की खुशी से जोड़ा। कैडबरी अब “गिल्ट-फ्री” हो चुका था- हर किसी के लिए, हर खुशी के लिए।

    वह लड़की, उसका डांस, और वो धुन- सब मिलकर एक ऐसा पल बना गए जो भारतीय विज्ञापन इतिहास में अमर हो गया।

    वक्त बदला, लेकिन धुन वही रही

    2020 में ओगिल्वी ने उसी विज्ञापन का नया रूप दिखाया- इस बार एक लड़का मैदान पर भागता है, और शॉट मारती है लड़की।
    कहानी बदली, समय बदला, पर पियूष पांडे ने कहा था-

    “जो चाहो करो, पर म्यूजिक मत बदलना।”

    क्योंकि वह धुन अब सिर्फ जिंगल नहीं, एक भावना थी।

    वो आदमी जिसने यादें बनाई, सिर्फ विज्ञापन नहीं

    पियूष पांडे ने सिर्फ प्रोडक्ट नहीं बेचे, बल्कि उन्होंने पलों को यादों में बदला। उनके बनाए विज्ञापन, उनके शब्द, और उनकी सोच ने लोगों को यह सिखाया कि असली ब्रांडिंग 'दिल छूने' से होती है, न कि सिर्फ बेचने से। ऐसे में, जब भी कभी वह पुराना कैडबरी ऐड बजता है, तो लगता है जैसे जिंदगी कुछ पल के लिए फिर से वही मासूम खुशी जी रही हो।

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