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    माता पार्वती से हर पत्नी को लेनी चाहिए 5 सीख, रिश्ते की मिसाल देंगे लोग; बनी रहेगी म‍िठास

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 10:18 AM (IST)

    सावन के महीने में महादेव की पूजा अर्चना का महत्व है। माना जाता है कि इस दौरान व्रत रखने से लड़कियों को अच्छे वर की प्राप्ति होती है और विवाहितों का रिश्ता खुशहाल होता है। देवी पार्वती को आदर्श पत्नी माना जाता है जिनका जीवन प्रेम समर्पण और त्याग का प्रतीक है।

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    माता पार्वती से हर पत्नी को सीखनी चाह‍िए ये बातें (Image Credit: Freepik)

    लाइफस्‍टाइल डेस्‍क, नई द‍िल्‍ली। सावन का पावन महीना चल रहा है। इस महीने महादेव की पूजा अर्चना की जाती है। कहते हैं कि‍ सावन में अगर कोई लड़की व्रत रखती है तो उसे अच्‍छे वर की प्राप्‍त‍ि होती है। वहीं शादीशुदा लोगों का र‍िश्‍ता खुशहाल होता है। ऐसा करने से भगवान श‍िव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है। आपको बता दें क‍ि देवी पार्वती को एक आदर्श पत्नी के रूप में पूजा जाता है।

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    उनका जीवन प्रेम, समर्पण, धैर्य और त्याग का प्रतीक माना जाता है। शिव-पार्वती का रिश्ता न सिर्फ आध्यात्मिक दृष्टि से जरूरी होता है, बल्कि ये एक मजबूत वैवाहिक संबंध की मिसाल भी पेश करता है। देवी पार्वती का अपने पति भगवान शिव के प्रति अटूट प्रेम, सेवा-भाव और सम्मान, आज भी महिलाओं के लिए प्रेरणा से कम नहीं है। आज के समय में र‍िश्‍ते ज्‍यादा ट‍िकते नहीं हैं। लड़ाई झगडों से र‍िश्‍ते टूटने तक की नौबत आ जाती है। हालांक‍ि, इसके पीछे पत‍ि-पत्‍नी दोनों ही ज‍िम्‍मेदार होते हैं। आलज हम पत्‍नि‍यों के बारे में बात करेंगे।

    माता पार्वती ने की थी कठोर तपस्‍या

    आपको बता दें क‍ि देवी पार्वती ने कठोर तपस्‍या करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था, जिससे ये समझ आता है कि एक सच्चा रिश्ता केवल बाहरी सुंदरता से नहीं, बल्कि अंदर के गुणों और समर्पण से बनता है। उन्होंने हर परिस्थिति में अपने पति का साथ दिया। अगर आप भी अपने र‍िश्‍ते को संवारना चाहती हैं तो देवी पार्वती से अच्‍छी पत्‍नी बनने के गुण जरूर सीखने चाह‍िए। आज हम आपको अच्‍छी पत्‍नी बनने के गुणों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं व‍िस्‍तार से-

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    माता पार्वती से सीखें अच्‍छी पत्‍नी बनने के गुण

    • माता पार्वती स‍िर्फ एक पत्‍नी ही नहीं थीं, उन्‍होंने भगवान श‍िव का हर पर‍िस्‍थ‍िति‍ में साथ द‍िया। साथ ही माता पार्वती भगवान श‍िव की सखी बनकर उनका मार्गदर्शन भी करती थीं।
    • माता पार्वती का भगवान श‍िव के ल‍िए प्रेम अटूट था। उन्‍होंने भगवान श‍िव को पाने के ल‍ि‍ए कई जन्‍म ल‍िए थे। वहीं पार्वती के रूप में माता ने हजारों वर्षों की तपस्‍या की थी। इस बात से हमें ये सीखने को म‍िलता है कि एक रिश्ते में त्याग और प्रेम का होना बेहद जरूरी है।
    • र‍िश्‍ते में धैर्य रखना भी बहुत जरूरी होता है। माता पार्वती ने शादी के बाद भी धैर्य को खोने नहीं द‍िया। आप सभी ने पढ़ा होगा क‍ि भगवान श‍िव हमेशा ध्‍यान में रहते थे। ऐसे में माता उनका धैर्यपूर्वक इंतजार करती थीं।
    • माता ने कभी भी महादेव का त‍िरस्‍कार नहीं क‍िया। सती के रूप में माता ने भगवान श‍िव के अपमान का बदला लेने के ल‍िए आत्‍मदाह कर ल‍िया था। पत्‍नी को हमेशा पत‍ि का सम्‍मान करना चाह‍िए।
    • भगवान शिव बाकी देवताओं से अलग थे। वे भस्म लगाए रहते थे, उनके शरीर पर सर्प लिपटे रहते थे और वे श्मशान में वास करते थे, लेकिन माता पार्वती ने उन्हें वैसे ही अपनाया, जैसे वे थे। इससे हमें ये सीख म‍िलती है क‍ि पत‍ि को बदलने की कोश‍िश न करें। वो जैसे हैं आपको उनके साथ वैसे ही रहना चाहिए।

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